Terrorism in Pakistan: दुनिया में इस्लामिक आतंक फैलाने के चक्कर में पाकिस्तान खुद बन रहा शिकार
पाकिस्तान कई वर्षों से वैश्विक आतंकवाद का गढ़ बना हुआ है। वहां बढ़ रही धार्मिक कट्टरता अब पाकिस्तान के नागरिकों पर ही भारी पड़ रही है।
Terrorism in Pakistan: पाकिस्तान के पेशावर में 30 जनवरी 2023 को एक बड़ा आतंकवादी हमला हुआ, जिसमें 61 लोगों की मारे गए और 150 से ज्यादा लोग घायल हो गये। पेशावर की एक मस्जिद में हुए इस आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी तहरीक-ए-तालिबान-ए-पाकिस्तान (TTP) ने ली है। पाकिस्तान में ऐसे कई बड़े आतंकवादी हमले पहले भी हो चुके हैं, जिनमें पाकिस्तान और अफगानिस्तान के आतंकवादी संगठनों का हाथ रहा है।
कब शुरू हुआ पाकिस्तान में आतंकवाद का सिलसिला
1979 में सोवियत संघ द्वारा अफगानिस्तान में अपनी सेना भेजकर कम्युनिस्ट शासन स्थापित करने के चलते पाकिस्तान इस्लामिक मुजाहिदीन का सबसे बड़ा केंद्र बन गया था। इन मुजाहिदों ने रूस के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी थी। गौरतलब है कि इन्हें अमेरिका का भरपूर समर्थन प्राप्त था और इनके नेता तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के लगातार संपर्क में रहते थे। तब इसे हक्कानी नेटवर्क के नाम से जाना गया जोकि बाद में अमेरिका का ही दुश्मन बन गया। आज इसे वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित किया जा चुका है।
इसी दौरान अफगानिस्तान में लड़ने के लिए पाकिस्तान में तालिबान का गठन किया गया। 1989 में सोवियत फौजें तो अफगानिस्तान से निकल गयी, लेकिन तब तक अफगानिस्तान और पाकिस्तान में आतंकवादियों की बड़ी फौज तैयार हो चुकी थी, जिन्होंने बाद में पाकिस्तान सरकार और सेना के खिलाफ ही युद्ध छेड़ दिया। इन आतंकी संगठनों में पाकिस्तानी तालिबान, तहरीक-ए-तालिबान-ए-पाकिस्तान, जमात-उल-अहरर शामिल हैं।
इनके अलावा अन्य आतंकवादी समूहों जैसे कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद भी पाकिस्तान में काफी सक्रिय हैं और भारत के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। हालांकि, इन आतंकी संगठनों को पाकिस्तानी सेना का सहयोग मिला हुआ है और ये भी पाकिस्तान की चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने के लिए कई बार इस तरह के आतंकी हमलों को अंजाम देते रहते हैं। पाकिस्तानी सेना दावा करती है कि इन आतंकियों से निपटारे के लिए नेशनल ऐक्शन प्लान (NAP) बनाया गया है, लेकिन अब तक इसे ठीक से लागू नहीं किया गया है।
कैसे बना तहरीक-ए-तालिबान-ए-पाकिस्तान?
तहरीक-ए-तालिबान-ए-पाकिस्तान वहां मौजूद इस्लामी आतंकवादी संगठनों का एक एकीकृत (Umbrella) संगठन है, जो अफगान-पाकिस्तान सीमा पर मुख्य तौर पर सक्रिय है। इस आतंकवादी संगठन को 2007 में बैतुल्लाह महसूद ने बनाया था और मौजूदा लीडर नूर वली महसूद है। नूर वली महसूद का अफगानी तालिबान से गहरा नाता है। यही कारण है कि पाकिस्तानी तालिबान और अफगानी तालिबान की विचारधारा एक जैसी है।
अमेरिकी डिफेंस रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 तक अफगानिस्तान में 3 से 4 हजार तहरीक-ए-तालिबान-ए-पाकिस्तान के आतंकी थे। जुलाई से लेकर नवंबर 2020 के बीच पाकिस्तानी तालिबान में अमजद फारूकी ग्रुप, लश्कर-ए-झांगवी, मूसा शाहिद कारवां ग्रुप, मोहमंद तालिबान, बाजोर तालिबान, जमात-उल-अहरार और हिजाब-उल-अहरार शामिल हो गए। 2020 में पाकिस्तानी तालिबान के लीडर नूर वली महसूद ने इस आतंकी ग्रूप को फिर से संगठित और सक्रिय करने का फैसला किया। साल 2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा किया, जिसके बाद यह आतंकी ग्रुप पाकिस्तान में फिर से सक्रिय हो गया।
पाकिस्तान के बड़े आतंकी हमले
पिछले साल दिसंबर में पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में नवनिर्मित पुलिस थाने पर हुए आतंकी हमले में चार पाकिस्तानी पुलिसकर्मी मारे गए, जबकि कई घायल हो गए। दक्षिण वजीरिस्तान कबाइली जिले की सीमा से लगे लकी मारवात स्थित बरगई पुलिस थाने पर आतंकवादियों ने हथगोले और रॉकेट लॉन्चर समेत कई घातक हथियारों से हमला किया था।
पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट एंड सिक्योरिटी स्टडीज (PICSS) की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में पाकिस्तान पर होने वाले आतंकी हमलों में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पाकिस्तान में होने वाले ज्यादातर आतंकी हमले फेडरल एडमिनिस्ट्रेटर ट्राइबल एरिया (FATA), खैबर पख्तूनख्वा (KP) और बालूचिस्तान में हुए हैं।
2022 की शुरुआती चार महीनों में हुए 60 आतंकी हमलों में करीब 150 लोगों की जानें गई। इन हमलों में कई सुरक्षाकर्मी, आम नागरिक समेत करीब 315 लोग गंभीर रुप से घायल हुए थे। पाकिस्तान में हुए इन सभी आतंकवादी हमलों की जिम्मेदारी अफगानिस्तानी आतंकी सगंठनों ने ली है। इसके आलावा बलूचिस्तान की अस्थिरता भी पाकिस्तान में होने वाले हमलों के लिए कहीं न कहीं जिम्मेदार है।
दो दशक में 16 हजार से ज्यादा आंतकी हमले
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साउथ एशिया टेररिजम पोर्टल (SATP) के मुताबिक, साल 2000 से लेकर अब तक कुल 16,023 आतंकी हमले हुए हैं, जिनमें 21,028 आम नागरिकों की जानें गई हैं। इन आतंकी हमलों में 7,930 आर्म्ड फोर्स, 33,825 उग्रवादी और आतंकी, 3,208 अन्य लोग मारे गए हैं। गौरतलब है कि इन आतंकी हमलों में कुल 65,991 लोगों की जानें जा चुकी हैं। इस साल 30 जनवरी 2023 तक 31 आतंकी हमले हुए, जिनमें 142 लोगों की जानें जा चुकी हैं।
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