Bal Thackeray: जब बालासाहेब ठाकरे ने कहा था, हमारे देश के नेता पूरे देश को टॉयलेट बनाना चाहते हैं
आज बालासाहेब ठाकरे का जन्मदिन है। उन्होंने शिवसेना जैसे राजनैतिक दल का गठन किया और जिंदगी भर हिंदुओं और हिंदुस्तान को लेकर अपना मजबूती से पक्ष रखा था।
बालासाहेब ठाकरे का जीवन बड़ा ही रोचक रहा है। एक कार्टूनिस्ट होने के बावजूद उन्होंने हिंदुत्व विचारधारा को लेकर एक पार्टी खड़ी की। मराठी लोगों के लिए न्याय और उत्तर भारतीयों पर हमलों को लेकर वह हमेशा चर्चा में रहे। ठाकरे का जन्म 23 जनवरी, 1926 को पुणे में हुआ था। इनका पूरा नाम बाल केशव ठाकरे था और प्यार से लोग उन्हें बालासाहेब ठाकरे कहते थे। बालासाहेब ने अपने जीवन काल में एक भी चुनाव नहीं लड़ा लेकिन उनके एक इशारे पर मुंबई थम जाती थी। जून 1966 को शिवसेना की स्थापना की गई थी। उनके पिता प्रबोधन ठाकरे ने ही पार्टी को शिवसेना नाम दिया था।
देश
को
टॉयलेट
बनाना
चाहते
हैं
नेता
अभिनेत्री
तबस्सुम
ने
एक
बार
बालासाहेब
का
इंटरव्यू
लिया।
इस
मौके
पर
national
integration
पर
कोई
चर्चा
शुरू
हो
गई।
ऐसे
में
बाल
साहब
ठाकरे
ने
एक
कहानी
सुनाई।
उन्होंने
कहा
कि
एक
बार
एक
राजा
था।
उस
राज्य
में
दंगे-फसाद
हो
रहे
थे।
राजा
ने
पूछा
कि
इसका
कारण
क्या
है
तो
लोगों
ने
कहा
कि
मंदिर
बनाना
है
तो
राजा
ने
कहा
कि
मंदिर
बनवा
दो।
उसके
बाद
फिर
से
दंगे
हुए।
राजा
ने
पूछा
कि
अब
क्या
हुआ
तो
लोगों
ने
कहा
कि
मस्जिद
की
मांग
की
जा
रही
है।
राजा
ने
मस्जिद
बनवा
दी।
इसके
बाद
फिर
से
दंगा
फसाद
हो
गया
तो
राजा
ने
पूछा
कि
अब
क्या
चाहिए
इन
लोगों
को।
राजा
ने
अपने
सलाहकार
बुलाए
और
कहा
कि
सब
तुड़वा
दो
और
सामुदायिक
शौचालय
का
निर्माण
करवाओ।
उसके
कुछ
दिनों
बाद
जब
राजा
ने
पूछा
तो
उनके
सलाहकारों
ने
बताया
कि
अब
देश
में
शांति
है।
इस
पर
बाल
ठाकरे
ने
व्यंग
में
कहा
कि
हमारे
देश
के
नेता
पूरे
देश
का
टॉयलेट
बनाना
चाहते
हैं।
मराठियों
के
लिए
हमेशा
खड़े
रहे
ठाकरे
एकबार
शिवसेना
की
पहली
रैली
में
इतने
लोग
आए
कि
मुम्बई
का
शिवाजी
मैदान
भी
छोटा
पड़
गया
था।
बाल
ठाकरे
मराठियों
से
काफी
प्यार
करते
थे।
उनको
आगे
बढ़ाने
के
लिए
वह
अपने
विरोधियों
को
समर्थन
देने
से
भी
पीछे
नहीं
हटते
थे।
उन्होंने
एक
बयान
में
कहा
था
कि
"महाराष्ट्र
मराठियों
का
है।
उनका
सम्मान
यहां
नहीं
किया
जाएगा
तो
क्या
पंजाब
या
बंगाल
में
किया
जाएगा।
जैसे
अन्य
लोगों
को
उनके
प्रांत
का
अभिमान
है
वैसे
ही
हम
कर
रहे
हैं।
इसमें
कोई
गुनाह
नहीं
है।"
ठाकरे
की
एक
बार
पूर्व
क्रिकेटर
सचिन
तेंदुलकर
से
टकरार
हो
गई
थी।
सचिन
ने
महाराष्ट्र
को
लेकर
कहा
था
कि
इस
राज्य
पर
पूरे
भारत
का
हक
है।
इस
पर
बाल
ठाकरे
नाराज
हो
गए।
उन्होंने
कहा
था
कि
तेंदुलकर
क्रिकेट
की
पिच
पर
ही
रहें,
राजनीति
का
खेल
हमें
खेलने
दें।
राजनीति
का
रिमोट
कंट्रोल
मेरे
हाथ
में
2004
में
जब
ठाकरे
ने
अपने
बेटे
उद्धव
ठाकरे
को
पार्टी
की
कमान
सौंपने
के
लिए
सक्रिय
राजनीति
से
संन्यास
की
घोषणा
की
थी,
तब
उनसे
इंडिया
टुडे
के
संपादक
प्रभु
चावला
ने
इस
पर
सवाल
किया
था।
इसके
जवाब
में
उन्होंने
क्रिकेट
का
उदाहरण
देकर
अपनी
बात
रखी
थी।
उन्होंने
कहा
कि
जैसे
क्रिकेट
में
पुराने
खिलाड़ी
जाते
हैं
और
नए
खिलाड़ी
आते
हैं।
ठीक
ऐसे
ही
राजनीति
में
भी
जब
पुराने
जाएंगे,
तभी
नए
लोग
आएंगे।
इसके
साथ
ही
उन्होंने
कहा
कि
बॉलर
अच्छे
नहीं
होने
के
कारण
उन्हें
आज
तक
कोई
आउट
नहीं
कर
पाया
था।
इसलिए
वे
खुद
ही
खुद
को
self
withdrawal
कर
रहे
हैं।
इसके
बाद
अपने
84वें
जन्मदिन
पर
बाल
ठाकरे
ने
शिवसेना
के
मुख
पत्र
'सामना'
में
लिखे
एक
संपादकीय
में
कहा
था
'राजनीति
का
रिमोट
कंट्रोल
मेरे
हाथ
में
है
और
रिमोट
कंट्रोल
मेरे
पास
ही
रहेगा।
मुंबई
नहीं
पूरे
देश
का
हिटलर
एक
इंटरव्यू
में
बाल
ठाकरे
को
जब
पूछा
गया
कि
आपको
मुंबई
का
हिटलर
कहा
जाता
है।
तो
इस
पर
बाल
साहब
ठाकरे
ने
कहा
कि
मैं
सिर्फ
मुंबई
का
नहीं
पूरे
महाराष्ट्र
का
हिटलर
हूं
और
पूरे
देश
का
बनना
चाहता
हूं।
इसके
साथ
ही
ठाकरे
ने
कहा
कि
इस
देश
में
डेमोक्रेसी
पैदा
ही
नहीं
हुई
है।
उन्होंने
कहा
कि
लोग
पाप
करते
हैं
और
उस
को
छिपाने
के
लिए
लोकतंत्र
का
नाम
दे
देते
हैं।
वहीं
उसी
इंटरव्यू
में
जब
बालासाहेब
ठाकरे
को
पूछा
गया
कि
लोग
आप
से
डरते
हैं
तो
इस
पर
उन्होंने
कहा
था
कि
लोगों
को
डरना
ही
चाहिए।
शेर
को
पिंजरे
में
नहीं
रखा
जा
सकता।
लोग
शेर
से
डरते
हैं
अगर
शेर
से
ना
डरे
तो
शेर
किस
बात
का।
उन्होंने
कहा
कि
मैं
गर्व
से
कहता
हूं
कि
मैं
हिंदू
हूं
और
डरना
ही
चाहिए।