Black Box: अब भारत में बनेगा ब्लैक बॉक्स जो प्लेन क्रेश के बाद भी सुरक्षित रहता है
किसी भी विमान दुर्घटना के बाद उसके ब्लैक बॉक्स को जरुर खोजा जाता है जिससे विमान के क्रेश होने के वास्तविक कारणों का पता लगाया जा सके। अब इन ब्लैक बॉक्स का निर्माण भारत में भी होना शुरू हो जायेगा।
16 फरवरी 2023 को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने बताया कि उन्हें नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) से स्वदेशी ब्लैक बॉक्स बनाने का इंडियन टेकनिकल स्टैण्डर्ड ऑर्डर (ITSO) मिल गया है। एचएएल ने अपने बयान में यह भी बताया कि आईटीएससो नागरिक विमानों के पुर्जों, प्रक्रियाओं और उपकरणों के लिए न्यूनतम प्रदर्शन मानक है।
ब्लैक
बॉक्स
क्या
होता
है?
ब्लैक
बॉक्स
के
दो
पार्ट्स
होते
हैं
जिन्हें
फ्लाइट
डेटा
रिकॉर्डर
(FDR)
और
कॉकपिट
वॉयस
रिकॉर्डर
(CVR)
कहा
जाता
है।
एक
ब्लैक
बॉक्स
के
अंदर
यह
दोनों
अलग-अलग
उपकरण
होते
हैं
जिन्हें
ज्यादातर
विमानों
में
टेल
सेक्शन
(पिछले
हिस्से)
में
लगाया
जाता
है।
एफडीआर एक ऐसा उपकरण होता है जो विमान की उड़ान के बारे में डेटा इकट्ठा करता है। इसमें विमान की ऊंचाई, स्पीड, हेडिंग, वर्टिकल एक्सेलेरेशन और विमान के सिस्टम की स्थिति की पूरी जानकारी शामिल होती है। जबकि कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) एक ऐसा उपकरण होता है जो कॉकपिट में सभी आवाजों को इकठ्ठा करता है। इसमें फ्लाइट क्रू की आपसी बातचीत और उड़ान के दौरान अलार्म अथवा अन्य आवाजें शामिल रहती हैं। इस जानकारी का उपयोग यह समझने के लिए किया जाता है कि दुर्घटना के दौरान कॉकपिट में क्या हुआ था।
ब्लैक
बॉक्स
कैसे
सुरक्षित
रहता
है?
ब्लैक
बॉक्स
में
एफडीआर
और
सीवीआर
को
इस
तरह
डिजायन
किया
जाता
है
कि
वह
भयानक
क्रेश
के
बाद
भी
सुरक्षित
रहते
हैं।
ब्लैक
बॉक्स
को
स्टेनलेस
स्टील
या
टाइटेनियम
जैसे
मजबूत
मेटल
से
बनाया
जाता
है,
जो
अग्निरोधक
और
शॉक
प्रूफ
होते
हैं।
ब्लैक
बॉक्स
बहुत
गर्मी
और
अत्यधिक
दबाव
का
सामना
करने
में
सक्षम
होता
है।
ब्लैक
बॉक्स
एक
अंडरवाटर
लोकेटर
बीकन
(ULB)
से
भी
लैस
होता
है
जो
एक
अल्ट्रासोनिक
सिगनल
रिलीज
करता
है,
जिससे
बचाव
कार्य
में
भी
आसानी
रहती
है।
यूएलबी
पानी
के
संपर्क
में
आने
पर
एक्टिव
हो
जाता
है
और
30
दिनों
तक
सिग्नल
भेजता
रहता
है।
ब्लैक
बॉक्स
के
अंतरराष्ट्रीय
नियम
ब्लैक
बॉक्स
को
अंतरराष्ट्रीय
नागरिक
उड्डयन
संगठन
(ICAO)
द्वारा
नियमित
किया
जाता
है।
आईसीएओ
के
नियमों
के
अनुसार
बड़े
कमर्शियल
विमानों
सहित
छोटे
विमानों
में
ब्लैक
बॉक्स
होना
आवश्यक
है।
आईसीएओ
अनुबंध
6,
भाग
1
के
तहत
सभी
टर्बाइन
वाले
विमान
जिनका
अधिकतम
टेकऑफ
वजन
5,700
किलोग्राम
से
अधिक
हो
या
19
सीटो
से
अधिक
यात्री
बैठने
की
क्षमता
हों,
दोनों
में
ब्लैक
बॉक्स
होना
आवश्यक
होता
है।
इसमें
अधिकांश
कमर्शियल
विमान
और
कई
व्यावसायिक
जेट
शामिल
हैं।
कुछ
देशों,
जैसे
कि
अमेरिका
में
सभी
टर्बाइन
वाले
विमान
जिनका
अधिकतम
टेकऑफ
वजन
5,700
किलोग्राम
से
अधिक
हो
या
6
से
अधिक
यात्रियों
के
बैठने
की
क्षमता
हो,
में
ब्लैक
बॉक्स
अनिवार्य
है।
भारत
में
ब्लैक
बॉक्स
के
नियम?
भारत
में,
फ्लाइट
रिकॉर्डर
को
नियंत्रित
करने
वाले
नियम
नागरिक
उड्डयन
महानिदेशालय
(DGCA)
द्वारा
तय
किए
जाते
हैं।
भारत
में
ब्लैक
बॉक्स
के
लिए
कई
नियम
हैं
जैसे
भारत
में
रजिस्टर्ड
हर
एक
विमान
में
एफडीआर
और
सीवीआर
होना
अनिवार्य
है।
दूसरा,
एफडीआर
को
कम-से-कम
88
मापदंडों
का
डाटा
इकठ्ठा
करना
जरूरी
है,
जिसमें
ऊंचाई,
एयरस्पीड,
वर्टिकल
एक्सेलेरेशन,
हेडिंग
और
इंजन
पैरामीटर
शामिल
होते
हैं।
तीसरा,
सीवीआर
को
कॉकपिट
में
सभी
आवाजों
को
रेकॉर्ड
करना
अनिवार्य
है,
जिसमें
पायलटों
और
एअर
ट्रैफिक
कंट्रोल
के
बीच
बात
भी
शामिल
है।
चौथा,
एफडीआर
और
सीवीआर
दोनों
कम-से-कम
25
घंटे
का
डेटा
रेकॉर्ड
करने
में
सक्षम
होने
चाहिएं।
ब्लैक
बॉक्स
को
ट्रेस
कैसे
किया
जाता
है
ब्लैक
बॉक्स
में
शामिल
यूएलबी
दुर्घटना
के
बाद
विमान
का
पता
लगाने
में
मदद
करने
के
लिए
एक
अल्ट्रासोनिक
सिग्नल
रिलीज
करता
है।
इसे
इस
तरह
डिजायन
किया
जाता
है
कि
वह
पानी
के
संपर्क
में
आते
ही
ऑटोमेटिकली
एक्टिव
हो
जाता
है
और
जैसे
ही
विमान
का
पानी
से
संपर्क
हो
जाता
है
यूएलबी
एक
'पिंग'
जैसी
आवाज
रिलीज
करता
है।
विमान
अगर
किसी
ऐसी
जगह
क्रेश
हुआ
हो
जहां
पानी
नहीं
है
तो
उस
स्थिति
में
अग्निशमन
द्वारा
जब
उसकी
आग
बुझाने
का
काम
किया
जाता
है
तो
भी
यूएलबी
का
पानी
से
संपर्क
हो
जाता
है।
गहरे
पानी
में
विमान
क्रेश
होने
पर
खोज
टीम
आमतौर
पर
सोनार
उपकरण
से
यूएलबी
सिगनल
का
पता
लगाती
है।
भारतीय
रेल
में
भी
ब्लैक
बॉक्स
अक्तूबर
2018
में
भारतीय
रेल
ने
घोषणा
की
थी
कि
ट्रेन
के
इंजनों
में
लोको
कैब
वॉइस
रिकॉर्डिंग
(LCVR)
उपकरण
लगाया
जायेगा
जो
लोकोमोटिव
से
ऑडियो
और
डेटा
रेकॉर्ड
करेगा
ताकि
सुरक्षा
में
सुधार
और
दुर्घटनाओं
की
जांच
में
मदद
मिल
सके।
एलसीवीआर
सिस्टम
लोकोमोटिव
कैब
से
बातचीत
रेकॉर्ड
करता
है,
साथ
ही
ट्रेन
की
गति,
ब्रेकिंग
और
अन्य
पैरामीटर
पर
डेटा
भी
रेकॉर्ड
करता
हैं।
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