Earthquake Zones: दिल्ली से ज्यादा कश्मीर, हिमाचल और पूर्वोतर राज्यों में है भूकंप का बड़ा खतरा
भारत के उत्तरी इलाके में बार-बार भूकंप के झटके महसूस किये जा रहे हैं। क्या ये किसी बड़े भूकंप के आने से पहले के संकेत तो नहीं है?
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक 24 जनवरी की दोपहर 2 बजकर 28 मिनट पर पूरे उत्तर भारत में भूकंप के झटके महसूस किये गये। इसकी तीव्रता स्केल पर 5.8 थी। भूकंप का केंद्र नेपाल में जमीन के 10 किमी अंदर बताया गया है। वहीं इससे पहले 5 जनवरी को भी उत्तर भारत में भूकंप के झटके महसूस किये गये थे। तब जम्मू-कश्मीर तक धरती हिली थी। इस भूकंप की तीव्रता 5.9 मापी गई थी और इसका केंद्र अफगानिस्तान का हिंदूकुश इलाका था।
हमारी यह पृथ्वी साधारणत: (क्रस्ट, मेंटल और कोर) तीन परतों में विभाजित है लेकिन ऊपर से 50 किलोमीटर की मोटी परत भी वैज्ञानिक रुप से कई वर्गों में बंटी हुई है जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है। इस टैकटोनिक की भी 7 सतहें (प्लेटें) हैं। जो स्थिर नहीं होती और लगातार हिलती रहती हैं। जब ये प्लेटें एक-दूसरे से आपस में टकराती हैं तो ये प्लेटें टूट भी जाती हैं और इनके टकराने से बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है जिससे धरती में कंपन होता है जिसे हम भूकंप के नाम से जानते है।
भारत
में
यह
कंपन
लगातार
क्यों?
Bureau
of
Indian
Standards
(BIS)
यानि
भारतीय
मानक
ब्यूरो
के
अनुसार
भारत
में
भूकंप
को
लेकर
कई
इलाके
संवेदनशील
माने
गए
हैं।
जिन्हें
चार
जोन
(जोन
5,
जोन
4,
जोन
3
और
जोन
2)
में
बांटा
गया
है।
देश
का
59
प्रतिशत
हिस्सा
भूकंप
रिस्क
जोन
में
हैं,
यह
जोन
5,
4
और
3
में
शामिल
क्षेत्र
है।
जोन
5
में
देश
के
कुल
भूखंड
का
11
प्रतिशत
हिस्सा
आता
है,
जो
सबसे
ज्यादा
सक्रिय
माना
गया
है।
जोन
4
में
18
प्रतिशत,
जोन
3
में
30
प्रतिशत
भारत
का
क्षेत्र
शामिल
है।
जोन
2
में
41
प्रतिशत
भाग
है
जो
सबसे
कम
सक्रिय
है।
यहां
गौर
करने
वाली
बात
है
कि
यह
सभी
जोन
किसी
खास
राज्य
या
क्षेत्र
में
नहीं
आते
हैं।
एक
ही
राज्य
के
अलग-अलग
इलाके
अलग-अलग
जोन
में
आ
सकते
हैं।
यहां
एक
बात
स्पष्ट
कर
दी
जाए
कि
इसके
अलावा
एक
जोन
है
पहला,
जिसमें
कोई
खतरा
नहीं
होता
है
लेकिन
भारत
का
कोई
शहर
भूकंप
के
खतरे
से
मुक्त
नहीं
है।
जानें,
कौन
से
राज्य
किस
जोन
में
आते
हैं?
जोन
5:
इसे
देश
का
सबसे
खतरनाक
और
संवेदनशील
जोन
माना
गया
है।
इसमें
देश
के
सभी
पूर्वोत्तर
राज्य,
अंडमान
और
निकोबार
द्वीप
समूह,
जम्मू
और
कश्मीर
का
हिस्सा
(कश्मीर
घाटी),
हिमाचल
प्रदेश
का
पश्चिमी
हिस्सा,
उत्तराखंड
का
पूर्वी
हिस्सा,
गुजरात
में
कच्छ
का
रण,
उत्तरी
बिहार
का
हिस्सा
शामिल
है।
जोन 4: यह जोन भी खतरनाक श्रेणी में आता है, इसमें भूकंप की तीव्रता 8 तक रह सकती है। इसमें लद्दाख, जम्मू और कश्मीर के शेष हिस्से, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बाकी हिस्से, हरियाणा के कुछ हिस्से, पंजाब के कुछ हिस्से, दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश के उत्तरी हिस्से, बिहार और पश्चिम बंगाल का एक छोटा हिस्सा, गुजरात, पश्चिमी तट के पास महाराष्ट्र का कुछ हिस्सा और पश्चिमी राजस्थान का छोटा हिस्सा इस जोन में आता हैं।
जोन 3: केरल, गोवा, लक्षद्वीप समूह, उत्तर प्रदेश और हरियाणा का कुछ हिस्सा, गुजरात और पंजाब के बचे हुए हिस्से, पश्चिम बंगाल का कुछ इलाका, पश्चिमी राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार का कुछ इलाका, झारखंड का उत्तरी हिस्सा और छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक का कुछ इलाका आता हैं।
जोन 2: यह जोन सबसे कम संवेदनशील माना गया है। इसमें राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु का बचा हुआ हिस्सा आता हैं। यहां 4.9 तीव्रता से ज्यादा का भूकंप आने का खतरा नहीं है।
नेपाल में भूकंप के तेज झटके, कई घर गिरे, भारत के कुछ हिस्सों में भी महसूस हुआ कंपन
भूकंप
के
कितने
प्रकार
होते
हैं
टैकटोनिक
भूकंप:
ये
पृथ्वी
के
ऊपर
परत
में
छोटी-छोटी
सतहें
होती
हैं।
उनमें
टक्कर
होने
पर
जो
कंपन
होती
है
और
झटके
महसूस
किए
जाते
हैं।
भारत
में
सबसे
ज्यादा
यही
भूकंप
बार-बार
आता
है।
ज्वालामुखीय
भूकंप:
यह
वे
भूकंप
होते
हैं
जो
टैकटोनिक
की
तुलना
में
कम
बार
होते
हैं।
ये
ज्वालामुखी
विस्फोट
से
पहले
या
बाद
में
होते
हैं।
ऐसा
तब
होता
है
जब
चट्टानें
सतह
पर
आ
जाती
हैं
और
ज्वालामुखी
से
निकल
रहे
मैग्मा
के
साथ
मिल
जाती
हैं।
टकराने वाला भूकंप: ये भूकंप ज्यादातर भूमिगत खदानों में आता है। दरअसल विस्फोट की वजह से चट्टानों के अंदर बना दबाव प्राथमिक कारण होता है।
विस्फोट भूकंप: यह भूकंप पूरी तरह से प्राकृतिक नहीं होता है बल्कि अप्राकृतिक भी होता है। जैसे किसी परमाणु बम के फटने से जो धरती में कंपन होता है उसे विस्फोट भूकंप कहते हैं। वहीं जैसे कोई उल्का टकराए तो भी भूकंप आ सकता है।
पिछले
महीने
आये
120
भूकंप
नेशनल
सेंटर
फॉर
सिस्मोलॉजी
(NCS)
के
द्वारा
इकट्ठा
किए
गए
आंकड़े
के
अनुसार
पिछले
महीने
यानि
1
दिसंबर
से
31
दिसंबर
2022
में
उनके
पास
मौजूद
152
स्टेशनों
से
120
बार
भूकंप
आने
की
जानकारी
मिली।
लेकिन
113
बार
ऐसे
भूकंप
रिकॉर्ड
हुए
जो
भारत
और
उसके
आसपास
के
एशियाई
देशों
में
पैदा
हुए
हैं।
वहीं
कुल
120
भूकंपों
में
से
36
प्रतिशत
और
43
प्रतिशत
भूकंप
3.0-3.9
और
4.0
-
4.9
तीव्रता
के
दर्ज
किये
गये
हैं।
जबकि
5.0-5.9
तीव्रता
के
तीन
भूकंप
आए
हैं।
पिछले
कुछ
सालों
में
भारत
में
आए
5
बड़े
भूकंप
20
सितंबर
2011:
सिक्किम
में
6.8
तीव्रता
का
एक
भूकंप
आया,
जिसमें
लगभग
68
लोग
मारे
गए
26
जनवरी
2001:
गुजरात
के
भुज
में
7.7
तीव्रता
का
एक
भूकंप
आया,
जिसमें
10
हजार
से
अधिक
लोग
मारे
गए
2
मई
1997:
मध्य
प्रदेश
के
जबलपुर
में
8.2
तीव्रता
वाला
भूकंप
आया,
41
लोग
मारे
गए
थे।
30
सितंबर
1993:
महाराष्ट्र
के
लातूर
में
6.3
की
तीव्रता
के
भूकंप
आया,
तकरीबन
7601
की
मौत
हुई
थी।
20
अक्टूबर
1991:
उस
समय
उत्तर
प्रदेश
के
उत्तरकाशी
में
6.6
की
तीव्रता
वाला
भूकंप
आया
था,
जिसमें
768
लोगों
की
मौत
हो
गई
थी।
इंडोनेशिया के सुमात्रा में भूकंप के तीव्र झटके, 6.0 मैग्नीच्यूड से कांपी धरती, क्या आएगी सुनामी?
कितने
तीव्रता
पर
क्या
हो
सकता
है?
0
से
1.9
तीव्रता
पर
सिर्फ
सिस्मोग्राफ
से
ही
पता
चलता
है।
2
से
2.9
तीव्रता
स्केल
पर
हल्का
कंपन
होता
है।
3
से
3.9
तीव्रता
पर
किसी
भी
शख्स
को
कंपन
का
अहसास
होता
है।
4
से
4.9
तीव्रता
पर
खिड़कियां
टूट
सकती
हैं,
और
दीवारों
पर
टंगे
फ्रेम
गिर
सकते
हैं।
5
से
5.9
तीव्रता
पर
फर्नीचर
हिल
सकता
हैं।
6
से
6.9
तीव्रता
पर
इमारतों
की
नींव
दरक
सकती
हैं।
7
से
7.9
तीव्रता
पर
इमारतें
गिर
जाती
हैं,
जमीन
के
अंदर
पाइप
फट
जाते
हैं।
8
से
8.9
तीव्रता
पर
इमारतों
सहित
बड़े
पुल
भी
गिर
जाते
हैं।
9
और
उससे
ज्यादा
रिक्टर
स्केल
पर
पूरी
तबाही
हो
सकती
है।