क्या आप जानते हैं, भगवान राम की एक बहन भी थी?
क्या आप जानते हैं, भगवान राम की एक बहन भी थी? इस सवाल को पढ़कर शायद आप चौंक गये होंगे, क्योंकि बचपन से जो रामचरित मानस आपने पढ़ी या टीवी पर रामायण धारावाहिक देखा या फिर दादा-दारी, मम्मी-पापा ने जो रामायण के बारे में बताया उसमें तो कहीं भी भगवान राम की बहन का जिक्र नहीं था, तो आज कहां से यह बात छिड़ गई।
तो हम आपको पहले ही बता दें, कि यह बात हम आपको बताने जा रहे हैं, रामायण के अलग-अलग स्वरूप से एकत्र किये गये तथ्यों के आधार पर। अगर दक्षिण की रामायण की मानें तो भगवान राम को मिलाकर चार भाई थे- राम, भरत, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न और एक बहन, जिनका नाम शान्ता था। शान्ता चारों भाईयों से बड़ी थीं। दक्षिण में लिखी गई रामायण में ऐसा लिखा गया है कि राजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री थीं, लेकिन पैदा होने के थोड़े ही दिन के बाद उन्हें अंगदेश के राजा रोमपद ने गोद ले लिया था।
भगवान राम की बड़ी बहन का पालन पोषण राजा रोमपद और उनकी पत्नी वर्शिनी (महारानी कौशल्या की बहन) ने किया। आगे चलकर शान्ता का विवाह ऋष्याश्रिंगा से हुआ। ऐसा माना जाता है कि ऋष्याश्रिंगा और शान्ता का वंश ही आगे चलकर सेंगर राजपूत बना। आज भी सेंगर राजपूत ही हैं, जिन्हें ऋषिवंशी राजपूत कहा जाता है।
भगवान राम की बहन शान्ता से जुड़े अन्य तथ्य पढ़ें स्लाइडर में-
प्राण जायें पर वचन न जाये
आपने यह बात जरूर सुनी होगी, "रघुकुल रीति सदा चली आये, प्राण जायें पर वचन न जाये।" जी हां इसी रीति की वजह से आज लोग शान्ता को नहीं जानते हैं। असल में महारानी कौशल्या की बहन वर्शिनी ने मजाक-मजाक में राजा दशरथ से उनकी बेटी मांग ली। वर्शिनी के कोई संतान नहीं थी, राजा दशरथ ने उनकी बात मान ली और फिर अपना वचन पूरी तरह निभाया। शान्ता आगे चलकर अंगदेश की राजकुमारी बनीं।
बहुत सुंदर थीं शान्ता
भगवान राम की सुंदरता का बखान तो आपने रामायण में पढ़ा ही होगा, लेकिन कहा जाता है कि शान्ता उनसे भी कहीं अधिक सुंदर थीं। उन्होंने वेदों की शिक्षा ग्रहण की थी।
कैसे हुई शान्ता की शादी
एक बार एक ब्राह्मण अपने क्षेत्र में फसल की पैदावार के लिये मदद करने के लिये राजा रोमपद के पास गया, राजा ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया। अपने भक्त की बेइज्जती पर गुस्साये इंद्र देव ने बारिश नहीं होने दी, जिस वजह से सूखा पड़ गया। तब राजा ने ऋष्याश्रिंगा मुनि को यज्ञ करने के लिये बुलाया। यज्ञ के बाद भारी वर्षा हुई। जनता इतनी खुश हुई कि अंगदेश में जश्न का माहौल बन गया। तभी राजा दशरथ, कौशल्या, वर्शिनी और रोमपद ने अपनी बेटी शान्ता का हाथ ऋष्याश्रिंगा को देने का फैसला किया।
शान्ता के पति की वजह से पैदा हुए राम
कहा जाता है कि शान्ता के बाद राजा दशरथ की कोई संतान नहीं थी। अपने वंश को आगे बढ़ाने के लिये राजा दशरथ ने ऋष्याश्रिंगा को पुत्र कामेष्ठी यज्ञ करने के लिये बुलाया। उसी यज्ञ के बाद राम, भरत और जुड़वां लक्ष्मण और शत्रुघ्न पैदा हुए।
राम कथा
सत्य साईं बाबा ने 19 मई 2002 को प्रवचन के दौरान राम कथा सुनायी, जिसमें उन्होंने शान्ता से जुड़ी एक अलग बात बतायी।
ऋषि मुनि के वेश में रहती थीं शान्ता
बताया जाता है कि राजा दशरथ ने शान्ता को सिर्फ इसलिये गोद दे दिया था, क्योंकि वह लड़की होने की वजह से उनकी उत्तराधिकारी नहीं बन सकती थीं। लेकिन जब पुत्रकामेष्ठी यज्ञ के दौरान उन्होंने ऋष्याश्रिंगा को बुलाया, तो उन्होंने शान्ता के बिना आने से इंकार कर दिया।
सुमंत लेकर आये थे शान्ता को
कहा जाता है कि जब सूखा पड़ रहा था, तब सुमंत शान्ता को लेकर आये थे। जिस जिस स्थान पर शान्ता पैर रख रही थीं, उस-उस जगह पर सूखा समाप्त होता जा रहा था।
जनता को नहीं पता चलने दिया
सत्यसाईं की कथा के अनुसार शान्ता ने कभी भी किसी को नहीं पता चलने दिया कि वो राजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री हैं। यही कारण है कि रामायण या रामचरित मानस में उनके चित्र नहीं प्रस्तुत किये गये हैं।
इस लेख के तथ्य अंग्रेजी वेबसाइट स्पीकिंग ट्री के सौजन्य से हैं।