अयोध्या: ऑक्सीजन के लिए तड़प रहे मरीज, रिफिल प्लांट शुरू करवाने की बजाए कागजी कार्रवाई में उलझे अधिकारी
अयोध्या, अप्रैल 27: देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर जमकर कहर बरपा रही, जहां रोजाना 3 लाख से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। जिस वजह से अस्पतालों में मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहा, वहीं अगर मरीज के परिजनों ने किसी तरह से बेड दिला भी दिया तो उन्हें ऑक्सीजन की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा नहीं है कि देश में ऑक्सीजन का उत्पादन पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पा रहा है, कई जगहों पर सप्लाई चेन में दिक्कत, तो कई जगहों पर रिफिल प्लांट बंद पड़े हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए कुछ संचालक अपने ऑक्सीजन रिफिल प्लांट को शुरू तो करना चाह रहे हैं, लेकिन प्रशासन के 'कागजी खेल' में वो अटके पड़े हैं।
मौजूदा वक्त में अयोध्या में भी एक्टिव केस की संख्या बढ़ रही है। प्रशासन का दावा है कि हालात काबू में हैं, लेकिन मरीजों के परिजन ऑक्सीजन की किल्लत की बात कह रहे हैं। इस बीच वन इंडिया की टीम ने जब जिले में पड़ताल शुरू की तो ओद्योगिक क्षेत्र के फेस-2 में एक ऑक्सीजन रिफिल प्लांट बंद पड़ा मिला। बाद में पता चला कि ये प्लांट प्रयाग ग्रामद्योग संस्थान का है, जो दो सालों से बंद पड़ा है। मौजूदा वक्त में उनके संचालक प्लांट को शुरू तो करना चाह रहे हैं, लेकिन पूरा मामला कागजी कार्रवाई में उलझा है।
मामले में संस्थान के कोषाध्यक्ष मणींद्र शुक्ला ने बताया कि कोरोना महामारी को देखते हुए उन्होंने रिफिलिंग प्लांट को शुरू करने का मन बनाया था। दो साल पहले तक प्रयाग ग्रामोद्योग संस्थान ऑक्सीजन की रिफिलिंग का काम किया करता था, उस वक्त मोदी गैसेस से प्लांट उन्होंने लिया, लेकिन बाद में उनकी पार्टनरशिप खत्म हो गई। इसके बाद उन्होंने कई दिनों तक भाग-दौड़ की लेकिन ड्रग लाइसेंस समेत कई दस्तावेज पूरे नहीं हो पाए। अब वो ऑक्सीजन की किल्लत को देखते हुए प्लांट दोबारा से शुरू करना चाहते हैं और उन्होंने इसके लिए जिला प्रशासन को दस्तावेजों के साथ आवेदन भेजा है, लेकिन कुछ दस्तावेज नहीं होने की बात कहकर संबंधित अधिकारी फाइल लटकाए पड़े हैं।
शुक्ला के मुताबिक इस प्लांट की क्षमता 600 से 800 जंबो सिलेंडर प्रतिदिन की है। मौजूदा वक्त में भी उनके पास सारी मशीनें और ट्रेंड कर्मचारी हैं। ऐसे में अगर प्रशासन उनकी मदद करे, तो वो अनुमति मिलने के दो दिन बाद प्लांट से सप्लाई शुरू कर सकते हैं। इस प्लांट के शुरू हो जाने से ना सिर्फ अयोध्या जिले के सभी अस्पतालों बल्कि आसपास के जिलों में भी आसानी से सिलेंडर की सप्लाई हो सकती है।
ऑक्सीजन की कमी पर अखिलेश यादव ने योगी सरकार को घेरा, शायराना अंदाज में कही ये बात
क्या
कह
रहे
अधिकारी?
मामले
में
वन
इंडिया
से
बात
करते
हुए
एडीएम
शैलेंद्र
सिंह
ने
कहा
कि
प्रशासन
के
पास
आवेदन
आया
है
और
वो
उनके
संज्ञान
में
है,
लेकिन
सभी
कागज
पूरे
नहीं
हैं।
सरकार
ने
ड्रग
लाइसेंस
की
तो
छूट
दे
दी
है,
लेकिन
फायर
NOC
नहीं
है,
इस
वजह
से
प्लांट
शुरू
नहीं
किया
जा
सकता।
संचालक
की
ओर
से
पहले
गलत
जगह
पर
NOC
के
लिए
आवेदन
किया
गया
था,
लेकिन
अब
सही
जगह
पर
आवेदन
हुआ
है।
वहीं
NOC
आने
में
कितना
वक्त
लगेगा,
इस
सवाल
पर
एडीएम
ने
कहा
कि
इस
बारे
में
वो
स्पष्टतौर
पर
कुछ
नहीं
बता
सकते,
क्योंकि
उसे
दूसरे
विभाग
की
ओर
से
जारी
किया
जाना
है।
कई
राज्यों
ने
ली
सीख,
तो
कई
'बेफिक्र'
नेता
से
लेकर
अधिकारी
तक
सभी
ऑक्सीजन
की
किल्लत
से
अच्छे
से
वकीफ
हैं।
कई
राज्यों
में
सरकारों
ने
तेजी
से
कदम
उठाए
हैं।
दो
दिन
पहले
ही
तमिलनाडु
सरकार
ने
तूतीकोरिन
स्थित
स्टरलाइट
प्लांट
को
अस्थायी
तौर
पर
खोलने
की
अनुमति
दे
दी
थी।
सरकार
ने
साफ
तौर
पर
कहा
था
कि
ऑक्सीजन
की
किल्लत
को
दूर
करने
के
लिए
ये
प्लांट
चार
महीनों
तक
चलेगा।
2018
में
इसी
प्लांट
में
हुए
हिंसक
प्रदर्शन
में
13
लोगों
की
मौत
हुई
थी,
जिसके
बाद
इसे
बंद
कर
दिया
गया
था।
इसके
अलावा
मंगलवार
को
मध्य
प्रदेश
के
धार
में
स्थित
ऑक्सीजन
प्लांट
को
शुरू
किया
गया।
ये
प्लांट
तीन
साल
पहले
बंद
हुआ
था
और
जब
अधिकारी
हरकत
में
आए
तो
महज
चार
दिनों
में
ये
दोबारा
से
शुरू
हो
गया।
ऐसे
में
साफ
है
कि
अगर
सरकार
और
प्रशासन
चाहे
तो
बंद
प्लांट
स्थायी
ना
सही,
तो
कम
से
कम
अस्थायी
तौर
पर
शुरू
हो
सकते
हैं।