अमेरिका में रहकर भिलाई के लिए धड़कता है दिल, ईशान कैम्प के बच्चों को सिखा रहे कम्प्यूटर व स्पोकन इंग्लिश
भिलाई निवासी आलोक शर्मा और उनका परिवार भले ही आज अमेरिका के वेस्ट विंडसर न्यू जर्सी में रह रहे हो लेकिन आज भी वे भिलाई से जुड़े हैं। उनके दो बेटे भिलाई में गरीब बच्चों को कम्प्यूटर एजुकेशन व अंग्रेजी बोलना सीखा रहें है।
दुर्ग, 26 जुलाई। छत्तीसगढ़ के स्थानीय निवासी जो आज अपने सर्विस के चलते विदेशों में है उनका दिल आज भी छत्तीसगढ़ के लिए धड़कता है। हर मौके पर वे कभी छत्तीसगढ़ की संस्कृति को प्रस्तुत करने पर नही चूकते। कई वीडियोस के माध्यम से उन्होंने छत्तीसगढ़ वासियों को इसका एहसास कराया है। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में इस्पात नगरी भिलाई निवासी आलोक शर्मा और उनका परिवार भले ही आज अमेरिका के वेस्ट विंडसर न्यू जर्सी में रह रहे हो लेकिन आज भी वे भिलाई से जुड़े हैं। उनके दो बेटे भिलाई में गरीब बच्चों को कम्प्यूटर एजुकेशन व अंग्रेजी बोलना सीखा रहें है। जिसके चलते कैम्प क्षेत्र के बच्चे कम्प्यूटर साक्षरता और अंग्रेजी में दक्ष हो रहे हैं।
आईआईटी
में
टॉप
किया
और
अमेरिका
में
नौकरी
अमेरिका
में
रह
रहे
आलोक
शर्मा
मूल
रूप
से
भिलाई
के
निवासी
हैं।
1987
में
उन्होंने
बीएसपी
सीनियर
सेकंडरी
स्कूल
सेक्टर-10
के
स्टूडेंट
के
तौर
पर
आईआईटी
प्रवेश
परीक्षा
दी
थी
और
देश
भर
में
दूसरा
स्थान
हासिल
किया
था।
इसके
बाद
उन्होंने
कानपुर
आईआईटी
में
अध्य्यन
के
लिए
प्रवेश
लिया
और
फिर
अमेरिका
में
बस
गए।
उनका
परिवार
35
साल
से
अमेरिका
में
हैं।
11 साल पहले शुरु की थी एक पहल
शर्मा परिवार ने 11 साल पहले यहां इस शैक्षणिक पहल की शुरूआत कंप्यूटर दान करके की थी। तब आलोक-रचना के बड़े बेटे आयुष यहां बच्चों की क्लास लेते थे। बाद में यहां क्लास व्यवस्थित नहीं हो पाई, वहीं कंप्यूटर भी चोरी हो गई। इस बीच 11 साल में कई बदलाव हुए और तकनीक भी एडवांस हुई। ऐसे में आलोक-रचना शर्मा ने यहां नए कंप्यूटर लगवाए हैं। इसके साथ ही इन्हें जूम से कनेक्ट कर दिया।
बड़े
भाई
ने
शुरू
किया
छोटे
भाई
ईशान
ने
संभाली
जिम्मेदारी
आलोक
शर्मा
के
दो
बेटों
में
बड़े
आयुष
शर्मा
ने
11
साल
पहले
भिलाई
में
गरीब
बच्चों
को
पढ़ाने
की
एक
छोटी
सी
पहल
की
थी।
आयुष
चूंकि
अब
अपने
करियर
की
वजह
से
व्यस्त
हो
गए
हैं।
ऐसे
में
उनके
छोटे
भाई
ईशान
उनके
काम
को
आगे
बढ़ाने
के
लिए
इन
दिनों
भिलाई
में
है.
भिलाई
नेहरू
नगर
स्थित
अपने
दादाजी
केके
शर्मा
के
घर
आए
हुए।
ईशान
करीब
दो
महीने
भर
से
यहां
कैम्प-1
शांति
पारा
क्षेत्र
में
नगर
निगम
के
एक
भवन
में
रोजाना
इन
बच्चों
के
साथ
3-4
घण्टे
उन्हें
कम्प्यूटर
और
अंग्रेजी
बोलना
सीखा
रहे
हैं।
कैम्प,
स्लम
एरिया
के
बच्चों
सीखा
रहे
हैं
इंटरनेट
का
सही
इस्तेमाल
इस
दौरान
ईशान
इन
बच्चों
को
ना
सिर्फ
अंग्रेजी
में
दक्ष
कर
रहे
हैं
बल्कि
इन्हें
कंप्यूटर
और
इंटरनेट
के
इस्तेमाल
से
अपना
भविष्य
निर्माण
करने
में
भी
मार्गदर्शन
दे
रहे
हैं।
ईशान
के
इस
कार्य
में
उनकी
मां
रचना
शर्मा
भी
सहयोग
करती
हैं।
वहीं
अंचल
के
प्रसिद्ध
शिक्षाविद
डॉ.
डीएन
शर्मा
का
भी
मार्गदर्शन
व
स्थानीय
स्वसहायता
समूह
की
प्रमुख
बी.
पोलम्मा
का
विशेष
सहयोग
है।
जब
ईशान
यहाँ
नही
होते
तब
वे
zoom
कनेक्टिविटी
से
उन्हें
पढ़ाते
हैं,
और
बच्चे
भी
मजे
लेकर
पढ़ते
हैं।
ईशान
व
परिवार
चाहता
है
और
भी
युवा
इस
पहल
से
जुड़ें
ईशान
अब
इस
पहल
से
और
भी
युवाओं
को
जोड़ने
कीकोशिश
कर
रहें
हैं।
अमेरिका
में
रहने
की
वजह
से
वो
लगातार
यहां
बच्चों
के
संपर्क
में
नहीं
रह
पाते
हैं.
जिससे
इन
अनूठी
शाला
के
संचालन
में
व्यवहारिक
कठिनाईयां
आती
हैं।
ईशान
के
मुताबिक
उनके
साथ
भिलाई
के
ही
दूसरे
युवा
इसके
संचालन
में
आगे
आएं
तो
उन्हें
और
उनके
परिवार
को
बेहद
खुशी
होगी।ईशान
अब
अमेरिका
से
लौट
रहे
हैं।
और
अपना
पूरा
समय
इस
क्षेत्र
के
बच्चों
के
लिए
लगाएंगे
।
स्थानीय
युवा
अगर
ईशान
की
मुहिम
से
जुड़ना
चाहें
तो
उनके
ब्लॉग
https://ishaansharma.substack.com/
के
माध्यम
से
संपर्क
कर
सकते.
श्रमिकों
के
बच्चे
बोल
रहे
फर्राटेदार
अंग्रेजी
ईशान
अपनी
हाल
के
दो
महीने
की
क्लास
पर
संतोष
जाहिर
करते
हुए
कहते
हैं.
इतने
कम
समय
में
इन
बच्चों
ने
जितने
बेहतर
ढंग
से
सीखा,
उससे
उम्मीद
है
कि
भविष्य
में
इन्हें
इसका
लाभ
जरूर
मिलेगा.
ईशान
का
कहना
है
कि
श्रमिक
बस्ती
के
इन
बच्चों
में
सीखने
के
प्रति
बेहद
गंभीरता
है.
जिससे
उन्हें
यहां
इनके
बीच
समय
बिताना
बेहद
सार्थक
लगता
है।
ईशान
की
छोटी
सी
पहल
का
नतीजा
ये
है
कि
श्रमिक
बस्ती
क्षेत्र
के
बच्चे
अब
फर्राटे
से
अंग्रेजी
बोल
रहे
हैं
और
कंप्यूटर-इंटरनेट
के
माध्यम
से
अपनी
स्कूली
पढ़ाई
का
आसान
बनाकर
बेहतर
भविष्य
की
राह
बुन
रहे
हैं।