DU का छात्र परेशान: अंग्रेजी की परीक्षा में जांचे सिर्फ 6 सवाल, 30 की जगह दिए 15 अंक
कहने को तो दिल्ली विश्वविद्यालय एकेडमिक्स के मामले में सबको पीछे छोड़कर भारत की शान है लेकिन यहीं का एक छात्र बीते 3 साल से परेशान है।
नई दिल्ली। यूं दिल्ली विश्वविद्यालय एकेडमिक्स के मामले में भारत की शान है लेकिन यहीं का एक छात्र बीते 3 साल से परेशान है। परेशानी की वजह है एक ही विषय में बार-बार फेल किया जाना। प्राप्त जानकारी के अनुसार बिहार के सहरसा स्थित है बैरा गांव निवासी किशोर कुमार राय ने 2012 में दिल्ली विश्वविद्यालय के राम लाल आनंद कॉलेज में पत्रकारिता की पढ़ाई के लिए एडमिशन था। यूं तो पूरा कोर्स सिर्फ तीन साल का था, लेकिन किशोर अब तक इसे पांच साल में पूरा नहीं कर पाए हैं। किशोर के मुताबिक उन्हें हर साल 60 प्रतिशत से ज्यादा अंक मिले हैं साथ ही वो तीन वर्षों के इस कोर्स में हर विषय में अच्छे नंबर से पास हुए लेकिन अंग्रेजी में वो हर बार फेल कर दिए जाते हैं।
किशोर का दावा है कि अंग्रेजी के विषय में 12 प्रश्न पूछे जाते हैं जिसमें से वो हर प्रश्न का उत्तर देते हैं लेकिन तब भी उन्हें फेल कर दिया जाता है। किशोर ने सूचना का अधिकार 2005 के तहत आपकी उत्तर पुस्तिका मांगी तो उन्हें इस बात की जानकारी हुई कि इसकी जांच करने वाले शिक्षक ने सिर्फ 6 प्रश्नों के दिए गए उत्तर की जांच की और बाकी के 6 छोड़ दिए। इतना ही नहीं उनके कुल योग 30 में से 15 नंबर कम कर दिए गए। जिसके चलते उन्हें कुल 15 नंबर ही मिल पाए। बकौल किशोर जब उन्होंने बार परीक्षा दी थी तो उसमें सिर्फ अंग्रेजी विषय का ही पेपर शामिल था। लेकिन वो इस बार भी फेल हो गए। जब उन्हें इस बात का विश्वास नहीं हुआ तो उन्होंने सूचना का अधिकार के तहत जांनकारी मांगी लेकिन साउथ कैंपस के इक्जामिनेशन कंट्रोलर राजेन्द्र की ओर से उन्हें जानकारी दी गई कि संस्थान आरटीआई के जरिए जानकारी नहीं देता।
फिर
किशोर
ने
अपनी
उत्तर
पुस्तिका
देखने
के
लिए
आवेदन
किया।
नियमानुसार
उन्हें
पुस्तिका
1
माह
के
भीतर
मिल
जानी
चाहिए
थी
लेकिन
उन्हें
तीन
महीने
बाद
उत्तर
पुस्तिका
मुहैया
कराई
गई।
किशोर
के
मुताबिक
उत्तर
पुस्तिका
देखने
के
बाद
वो
चौंक
गए
क्योंकि
उनकी
ओर
से
उत्तर
दिए
गए
सिर्फ
6
सवालों
की
ही
जांच
की
गई
थी
बाकीके
6
सवाल
जांचे
ही
नहीं
गए
थे।
इतना
ही
नहीं
जो
सवाल
जांचे
गए
थे
उनका
कुल
जोड़
तो
30
आ
रहा
था
लेकिन
उसे
भी
15
अंक
कम
कर
सिर्फ
15
अंक
ही
दिए
गए।
किशोर
ने
बताया
कि
पिता
किसान
थे,
अब
वो
भी
नहीं
रहे।
मां
और
भाई
बड़ी
मुश्किल
से
पैसे
भेजते
हैं।
कहा
कि
मेरे
बाकी
के
साथी
तो
नौकरी
करने
लगे
हैं
लेकिन
मुझे
पास
ना
किए
जाने
की
वजह
से
जामिया
में
आगे
की
पढ़ाई
के
लिए
एडमिशन
तक
नहीं
मिल
सका।
अब
वो
न्याय
के
लिए
विश्वविद्यालय
के
चक्कर
काट
रहे
हैं।
इस
पूरे
मामले
में
फिलहाल
विश्वविद्यालय
प्रशासन
और
संबंधित
शिक्षक
का
बयान
सामने
नहीं
आया
है।
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