इलाहाबाद में बालू खनन को लेकर माफिया व लाल सलाम आमने सामने, बिगड़ेगा चुनावी माहौल
राजनैतिक दलों को भुनाने के लिये मुद्दा भी मिल जायेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंगा-यमुना कछार से बालू खनन पर रोक लगा रखी है।
इलाहाबाद। इलाहाबाद जिले की सीमा से चित्रकूट तक एक बार फिर लाल सलाम उग्र होने को है। शुक्रवार को बालू माफिया पर लाल सलाम के हमले के बाद शनिवार को बालू माफिया की ओर से मजदूरों को पीट दिया गया। जिसके चलते आज सुबह से ही लाल सलाम के लोग लाठी-डंडा, हंसिया, कुल्हाड़ी लेकर सड़क पर उतरे और कंजासा गांव में सभा कर चार किलोमीटर लंबी रैली निकाली। नारेबाजी करते हुये मजदूरो ने पुलिस प्रशासन पर बालू माफिया से साठगांठ के आरोप भी लगाये। चुनावी माहौल के बीच लाल सलाम के उग्र होते रूप से पुलिस प्रशासन के भी हाथ पाव फूल रहे हैं। क्योंकि लाल सलाम अगर प्रदर्शन करने उतरा तो चुनावी माहौल तो बिगड़ेगा ही।
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
ने
गंगा-यमुना
कछार
से
बालू
खनन
पर
रोक
लगा
रखी
है।
बावजूद
इसके
एक
ओर
खनन
माफिया
रातों-रात
बालू
खनन
करते
हैं।
तो
दूसरी
ओर
लाल
सलाम
संगठन
के
मजदूरों
की
रोजी
रोटी
छिन
गई
है।
प्रशासन
के
इस
दोहरे
मापदंड
से
लाल
सलाम
संगठन
मजदूरों
में
पहले
ही
चिंगारी
भड़क
रही
थी
कि
शुक्रवार
को
यमुना
कछार
से
बालू
लाद
रहे
माफिया
पर
लाल
सलाम
संगठन
से
जुड़े
कुछ
मजदूरों
ने
लाठी
और
बेलचों
से
हमला
कर
दिया।
ट्रैक्टरों
को
क्षतिग्रस्त
कर
वाहन
चालकों
को
पीट
दिया
गया।
नाराज
बालू
ठेकेदारों
सड़क
पर
जाम
लगाना
चाहा
तो
पुलिस,
प्रशासन
के
अफसर
ने
बीच-बचाव
कराकर
मामला
शांत
करा
दिया।
लेकिन
शनिवार
को
लाल
सलाम
से
जुड़े
बीकर
गांव
के
दो
मजदूरों
को
बालू
माफिया
ने
पीटकर
घायल
कर
दिया
गया।
यह
खबर
फैली
तो
लाल
सलाम
के
लोग
सड़क
पर
उतरने
लगे।
सूचना
पर
पुलिस
प्रशासन
ने
मजदूरों
से
पुनः
वार्ता
करते
हुये
शांत
कराया।
लेकिन
रविवार
की
सुबह
भी
इलाहाबाद
व
सीमावर्ती
चित्रकूट
जिले
से
भी
सैकड़ों
मजदूर
लाठी
डंडे
लेकर
सड़क
पर
आ
गये।
माफिया
द्वारा
पीटे
गये
मजदूरों
में
महेश
निषाद
व
सुरेश
निषाद
घायल
हैं।
सुरेश,
लाल
सलाम
संगठन
का
बारा
तहसील
का
अध्यक्ष
भी
है।
जिससे
बवाल
बढ़ने
की
संभावना
अधिक
है।
एसडीएम
राजकुमार
द्विवेदी
और
सीओ
अलका
भटनागर
लगातार
मजदूरों
से
वार्ता
कर
हालात
को
काबू
में
रखने
की
कोशिश
कर
रहे
हैं।
इलाके
में
पुलिस
टीमें
तैनात
कर
गश्त
बढा
दी
गई
है।
आश्चर्य
की
बात
यह
है
कि
हाईकोर्ट
के
खनन
रोक
वाले
आदेश
पर
प्रशासन
का
दावा
है
कि
पूरे
जिले
में
खनन
पर
सख्ती
से
पाबंदी
लगा
रखी
गई
है।
लाल
सलाम
से
जुड़े
मजदूर
नदियों
में
खनन
कर
भी
नहीं
कर
पा
रहे
हैं।
लेकिन
प्रशासन
खनन
बालू
का
परिवहन
नहीं
रोक
पा
रहा
है।
इस
लेकर
मजदूरों
का
गुस्सा
सुलगना
लाजमी
है।
इसका
परिणाम
इस
घटना
के
रूप
में
सामने
आया।
इस
घटना
में
प्रशासन
को
जहां
बालू
का
परिवहन
करने
वालों
और
हमला
करने
वालों
पर
कार्रवाई
करनी
चाहिए
थी।
वहां
वह
उल्टी
भूमिका
में
नजर
आया।
अवैध
खनन
के
इस
प्रकरण
में
पुलिस
और
प्रशासन
के
अधिकारी
तहरीर
मिलने
का
इंतजार
करते
रहे।
एसडीएम
बारा
राजकुमार
द्विवेदी
कहते
हैं
कि
क्षेत्र
में
खनन,
बालू
का
घाट
से
परिवहन
और
स्टॉक
करना
पूरी
तरह
से
प्रतिबंधित
है।
जाहिर
है
कि
अगर
अवैध
खनन
को
लेकर
दो
पक्षों
में
टकराव
की
नौबत
आ
रही
है
और
कानून
व्यवस्था
बिगड़ने
के
साथ
ही
न्यायालय
के
आदेश
का
उल्लंघन
हो
रहा
है
तो
पुलिस
प्रशासन
को
स्वत:
कार्रवाई
करनी
चाहिए।
लेकिन
पुलिस
इसे
दो
पक्ष
का
विवाद
मानकर
तहरीर
का
इंतजार
कर
रही
है।
फिलहाल
इलाके
में
लोकल
युनिट
को
सक्रिय
कर
दिया
गया
है
और
प्रदर्शन
संबंधी
व
अन्य
जानकारी
एकत्रित
की
जा
रही
हैं।
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