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उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस पर भारी पड़ रहे हैं बागी, गूंज रहा है ये नारा

'ना रहेगा पंजा, ना रहेगा फूल और हाथी तो जाएगा डूब' ये नारा उत्तर प्रदेश के तमाम इलाकों में गूंज रहा है। यहां बागी दलों पर भारी पड़ रहे हैं।

By Rahul Sankrityayan
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देहरादून। उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में इस बार बागी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों के लिए संकट का विषय बन चुके हैं। ऐसे कई इलाके हैं जहां भाजपा और कांग्रेस दोनों के ऐसे कई समर्थक थे, जिन्हें अपनी पार्टी से टिकट नहीं मिला तो वो निर्दलीय ही मैदान में उतर गए हैं। कुछ ऐसी ही दास्तां राज्य के सासपुर गांव की हैं।

उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस पर भारी पड़ रहे हैं बागी, गूंज रहा है ये नारा

यहां नारा गूंज रहा है- ना रहेगा पंजा, ना रहेगा फूल और हाथी तो जाएगा डूब। ये नारा जब एक माइक्रोफोन के जरिए करीब 300 लोगों की सभा में गूंजा तो उत्तराखंड के इस छोटे से गांव में सभी लोग तालियां बजाने लगे। ये लगो यहां आर्येंद्र शर्मा को सुनने आया थे। बता दें कि कांग्रेस से टिकट ना मिलने की दशा में आर्येंद्र पार्टी से बागी हो गए। अब वो निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।

आर्येंद्र, पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के करीबीयों में से एक हैं। आर्येंद्र, ने तिवारी का वो दौर भी देखा है जब वो कांग्रेस से ही तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और 1 बार उत्तराखंड के। बिल्कुल ही नीरस आवाज में आर्येंद्र ने कहा कि आप सभी जानते हैं कि मेरे साथ क्या हुआ है? मैं कांग्रेस में था। तब भी जब मैं बीता चुनाव हार गया, तो भी मैं पार्टी के साथ रहा और लगातार इलाके में काम करता रहा। सभा में मौजूद एक शख्स ने कहा कि उन्होंने इसके (आर्येंद्र ) साथ गलत किया।

लक्ष्मी अग्रवाल ने कहा...

सासपुर से 20 किलोमीटर दूर जाटो वालो में भी यही हाल है। यहां लक्ष्मी अग्रवाल के बागी तेवर से भाजपा को दिक्कत हो सकती है। एक सभा को संबोधित कर रही लक्ष्मी ने कहा कि उन्होंने भाजपा से टिकट मांगा था लेकिन उन्हें नहीं मिला। उनके पति पी.के. अग्रवाल जो एक जाने माने व्यवसायी भी हैं, उन्होंने उत्तराखंड में भाजपा मुख्यालय बनाने में काफी मदद की। लक्ष्मी ने कहा कि भाजपा अपने कार्यकर्ताओं की कीमत नहीं समझती।

बता दें कि सासपुर से आर्येंद्र, कांग्रेस के किशोर उपाध्याय और जाटोवालो से लक्ष्मी, भाजपा से शहदेव पुंडीर के लिए मुसीबत का सबब बन सकते हैं। यह बात दीगर है कि प्रदेश में कांग्रेस से भाजपा में आए लोगों को तवज्जो दी गई जिसके चलते पार्टी के अपने लोग दरकिनार किए गए।

70 सीटों में आधी से ज्यादा पर ये हालात

विधानसभा की 70 सीटों में से आधी ऐसी हैं, जहां ये हालात हैं। बागियों के मामले में भाजपा और कांग्रेस दोनों की स्थिति लगभग एक जैसी है। बता दें कि गंगोत्री विधानसभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सूरत राम नौटियाल भाजपा के खिलाफ ही लड़ रहे हैं।

नरेंद्र नगर में कांग्रेस से बागी और फिलहाल भाजपा उम्मीदवार सुबोध उनियाल अपने पूर्व साथी ओम गोपाल रावत का सामना कर रहे हैं। इसी तरह ज्वालापुर सीट से कांग्रेस के एसपी सिंह अपनी ही पूर्व साथी बृज रानी से सामना कर रहे हैं।

वहीं भीमताल में बागी राम सिंह कैरा, कांग्रेस के दान सिंब भंडारी का मुकाबला कर रहे हैं।

ये भी पढ़ें: यूपी विधानसभा चुनाव 2017: पहले चरण की 73 सीटों पर हार-जीत का गुणा-गणित, 73 क्लिक में

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English summary
Rebels are creating problem for both bjp and congress in uttarakhand regarding assembly elections 2017
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