छत्तीसगढ़ में आरक्षण पहुंच जायेगा 80% से अधिक, आबादी के अनुपात में कोटा तय करने की तैयारी
छत्तीसगढ़ में आरक्षण समाप्त होने के बाद भूपेश बघेल सरकार आरक्षण संशोधन विधेयक लाने जा रही है।आरक्षण के मसले पर 1 और 2 दिसंबर को आयोजित विधानसभा के विशेष सत्र में होने वाले प्रस्तुत होने वाले विधेयकों और मुख्यमंत्री के भाष
छत्तीसगढ़ में आरक्षण समाप्त होने के बाद भूपेश बघेल सरकार आरक्षण संशोधन विधेयक लाने जा रही है।आरक्षण के मसले पर 1 और 2 दिसंबर को आयोजित विधानसभा के विशेष सत्र में होने वाले प्रस्तुत होने वाले विधेयकों और मुख्यमंत्री के भाषण किआ तैयारियां हो चुकी हैं।यह भी बताया जा रहा है कि आरक्षण पर संशोधन विधेयकों का प्रारूप तकरीबन तैयार है। 24 नवम्बर को होने वाली भूपेश कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी जाएगी।
विधानसभा से निकलेगा रास्ता
गौरतलब है कि हाल ही में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने राज्य में 50% से अधिक आरक्षण असंवैधानिक बताया था। 2012 तक छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति वर्ग को 16% आरक्षण का लाभ था। 2012 में बदलाव होने के बाद इसे 12 प्रतिशत कर दिया गया। गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी इसी का विरोध करने हाईकोर्ट गई थी लेकिन उसकी तरफ से आदिवासी समाज को दिये जा रहे 32 फीसदी आरक्षण को असंवैधानिक साबित करने के कारण अदालत के आदेश से पूरा आरक्षण रोस्टर खत्म हो चुका है। आरक्षण खत्म होने से आदिवासी समाज समेत कई अन्य वर्ग के लोगों ने जबरदस्त आक्रोश देखा जा रहा है। जिसे खत्म करने के लिए सरकार ने विधानसभा का सहारा लिया है।
जनसंख्या के अनुपात का गणित
सीएम भूपेश बघेल अपने बयानों में अक्सर जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने की बात दुहराते रहे हैं। इसलिए इस बात के आसार प्रबल हैं कि कांग्रेस सरकार नये आरक्षण संशोधन विधेयक में इसको जरूर शामिल करेगी। छत्तीसगढ़ सरकार अगर जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण अगर 13% करती है ,तब उसे अनुसूचित जाति वर्ग की नाराजगी सहनी पड़ेगी,किन्तु यह 16% होता है और सामान्य वर्ग के गरीबों का 10 प्रतिशत आरक्षण भी शामिल कर लिया जाए,तब आरक्षण की सीमा 85 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी। यानि सरकार अगर आरक्षण के कोटे को जनसंख्या के अनुपात के साथ ले चलती है, तो संभवतः छत्तीसगढ़ देश में सबसे ज्यादा आरक्षण देने वाला राज्य बन जायेगा।
विधानसभा में होगा संकल्प होगा पारित
सरकारी सूत्रों का कहना है कि भूपेश बघेल सरकार आरक्षण को लेकर बेहद गंभीर है,यही वजह है कि आरक्षण सम्बन्धी कानून के जिन प्रावधानों को हाईकोर्ट में रद्द किया है, उसको फिर से प्रभावी करने के लिए सरकार विधानसभा में विधेयक ला रही है ,जिसे 2 दिसम्बर को इसे पारित करा लिया जाएगा। भूपेश बघेल सरकार एक संकल्प पारित करके आरक्षण को बहाल करना चाहती है।
इस संकल्प के माध्यम से छत्तीसगढ़ विधानसभा में केंद्र सरकार से आग्रह किया जाएगा कि छत्तीसगढ़ के आरक्षण कानून को संविधान की नवीं अनुसूची में शामिल कर लिया जाये। अगर ऐसा होता है,तब उसे किसी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकेगी। फ़िलहाल यह तय है कि आगामी 24 नवम्बर को भूपेश कैबिनेट की बैठक में आरक्षण विधेयकों के प्रस्ताव और संकल्प का प्रारूप चर्चा करने के बाद मंत्रिमंडल से उसे मंजूरी दे दी जाएगी।
छत्तीसगढ़ में आरक्षण खत्म
RTI से मिली जानकारी के मुताबिक कोरबा के एक शख्स ने राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग से पूछा था कि छत्तीसगढ़ मेंं 30 सितम्बर तक कौन सा आरक्षण नियम या रोस्टर सक्रिय है। इस सवाल का जवाब देते हुए सामान्य प्रशासन विभाग के अवर सचिव एसके सिंह ने स्थिति स्पष्ट करते हुए लिखा है कि ने 19 सितम्बर को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायलय द्वारा आदेश जारी करके अनुसूचित जनजाति के लिए 32%, अनुसूचित जाति को 12% और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए 14% आरक्षण का प्रावधान की नवम्बर 2012 में जारी अधिसूचना को असंवैधानिक बताया है। छत्तीसगढ़ सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर रही है। इसलिए : दिनांक 30 सितम्बर 2022 की स्थिति में आरक्षण नियम या रोस्टर सक्रिय होने का सवाल ही उपस्थित नहीं होता।
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