IIT Bhilai को विकसित करने में प्रो. रजत मूना का रहा योगदान, नए निदेशक के सामने होगी नई चुनौतियां
दुर्ग, 22 सितम्बर। छत्तीसगढ़ के भिलाई आईआईटी के संस्थापक निदेशक प्रो. रजत मूना को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गांधीनगर के निदेशक की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके साथ ही बीएचयू ( स्कूल ऑफ मैटेरियल साइंस एंड टेक्नोलॉजी) के प्रो. राजीव प्रकाश को IIT भिलाई का निदेशक नियुक्त किया गया है। वे जल्द ही IIT भिलाई के दूसरे निदेशक के रूप में कार्यभार संभालेंगे। लेकिन इस बीच प्रो. रजत मूना ने अपने कार्यकाल में बहुत ही सीमित संसाधनों के साथ शुरू किए गए IIT भिलाई को एक बेहतर संस्थान के रूप में विकसित करने में उनका बहुमूल्य योगदान रहा। अब नए निदेशक के सामने संस्थान की नई चुनौतियां होगी।
प्रो मूना सी-डेक के रह चुके हैं महानिदेशक
प्रो.मून आईआईटी भिलाई के निदेशक से पहले सी-डेक(Centre for Development of Advanced Computing Bangalore) के महानिदेशक रह चुके हैं। आईआईटी गांधीनगर में प्रो.मूना आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर थे। वे 1991 से आईआईटी कानपुर में कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के प्रोफेसर हैं। उन्होंने आईआईटी कानपुर से ही वर्ष 1981-85 के दौरान इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। फिर वर्ष 1985-89 तक आईआईएस बेंगलुरू से कंप्यूटर साइंस में पीएचडी की
IIT भिलाई को विकसित करने में रहा योगदान
छत्तीसगढ़ में साल 2017 में IIT की स्थापना के बाद प्रो. रजत मूना आईआईटी भिलाई के पहले निदेशक थे। जिन्होंने सीमित संसाधनों में आईआईटी भिलाई की शुरुआत की और संस्थान को आगे बढ़ाया। इसके साथ ही उन्होंने कई उपलब्धियां भी हासिल की। प्रोफेसर रजत मुना के कार्यकाल में उनके अथक प्रयासों से नए पाठ्यक्रम और ब्रांचेस शुरू किए गए। आईआईटी भिलाई के नवीन भवन की सौगात मिली। नए IIT भवन के डिजाइन उन्होंने अपने देखरेख में तैयार करवाया। जिसके बाद साल 2019 में आईआईटी भिलाई की नींव रखी गई। IIT भिलाई के कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट ग्रीन बिल्डिंग के लिए GRIHA ने IIT Bhilai को 5 स्टार रेटिंग दिया।
शोध एवं अनुसंधान में दिया जोर, 500 शोध पत्र हुए प्रकाशित
प्रोफेसर रजत मूना ने अपने इन 5 सालों में आईआईटी भिलाई को पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके नेतृत्व में IIT भिलाई में शिक्षा और अनुसंधान क्षेत्र में सबसे अधिक कार्य किए गए। IIT में एडमिशन की सीटें बढाकर छात्रों की संख्या बढ़ाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। जिसके परिणाम स्वरूप छात्र संख्या 115 से बढ़कर आज लगभग 900 हो चुकी है। इसके साथ ही छात्रों के 500 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं। आईआईटी भिलाई के दो दीक्षांत समारोह इनके कार्यकाल में संपन्न कराए गए। जिसमें 500 से भी अधिक छात्रों को उपाधि प्रदान की गई। प्रो. मूना ने डेटा साइंस और मेकेट्रोनिक्स जैसे नए कोर्सेस की शुरुआत की। 20 से अधिक स्टार्टअप युवाओं द्वारा चलाए जा रहे हैं। इसके साथ ही 25 राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय कंपनियों व शैक्षणिक संस्थानों के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं। आईआईटी भिलाई के इंस्टिट्यूट इनोवेशन काउंसिल को एमएचआरडी द्वारा 4 स्टार रैंकिंग दिया गया है।
इन क्षेत्रों में दिया विशेष योगदान
प्रो. मूना ने स्मार्ट कार्ड ड्राइविंग लाइसेंस, ई-पासपोर्ट, व्हीकल रजिस्ट्रेशन, इलेक्ट्रोनिक टोल कलेक्शन, इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम), वीवीपैट जैसी एप्लीकेशन के विकास और उसे परिभाषित करने में अहम भूमिका निभाई है। इन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई अवार्ड भी प्रदान किए गए हैं।
नए निदेशक के सामने होंगी यह चुनौतियां
भिलाई आईआईटी के नए निदेशक प्रोफेसर राजीव प्रकाश के सामने फिलहाल पुराने आईआईटी भिलाई के सेजबहार कैंपस से भिलाई के कुटेला भाटा में बन रहे आईआईटी कैंपस में शिफ्टिंग के बाद व्यवस्थापन की जिम्मेदारी होगी। इसके साथ साथ सुनियोजित व्यवस्था करते हुए शिक्षण कार्य एवं प्रशासनिक कार्य प्रारंभ कराना होगा। इसके साथ ही आईआईटी में छात्रों के शोध एवं अनुसंधान के साथ-साथ प्लेसमेंट और जॉब सिक्योर बनाने वाले कोर्स की शुरुआत करना, मटेरियल साइंस के प्रोफेसर होने के नाते बी टेक और एम टेक की शुरुआत करना, प्रोफेसर व अन्य स्टाफ की नियुक्तियां कर छात्रों को लाभ दिलाने जैसी नई जिम्मेदारी प्रो. राजीव प्रकाश पर होगी। आईआईटी भिलाई में छात्रों के लिए एक समावेशी और शैक्षणिक वातावरण तैयार करना एक बड़ी जिम्मेदारी निदेशक पर है।
राष्ट्रपति द्रौपती मुर्मू ने जारी किया आदेश
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रो. मूना समेत देश के 8 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के निदेशक की नियुक्ति का आदेश मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से 19 सितम्बर को जारी किया है। उनके स्थान पर बीएचयू कें प्रोफेसर राजीव प्रकाश को भिलाई IIT की जिम्मेदारी दी गई है। प्रो.सुधीर जैन को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) का कुलपति बनाए जाने के बाद गाँधीनगर IIT निदेशक का पद रिक्त था। जिसमें प्रो.मूना की नियुक्ति की गई। इसके साथ ही दो निदेशकों को उनके स्थान पर यथावत रखा गया है।
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