रिपोर्ट: भारत में बढ़ सकती है बेरोजगारी, अक्टूबर में लोगों को मिली सबसे कम नौकरियां
नई दिल्ली। देश में लगातार बढ़ रही बेरोजगारी सरकार के लिए कड़ी चुनौती बनता जा रहा है। मंगलवार को सामने आई सरकारी पेरोल के आंकड़ों से पता चलता है कि लोगों के लिए रोजगार के अवसर कितने कम हो गए हैं। जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर 2019 में फॉर्मल वर्कफोर्स (औपचारिक कार्यबल) में कम से कम 629,914 नए लोग शामिल हुए, जो चालू वित्त वर्ष में सबसे कम है, मंगलवार को जारी सरकारी पेरोल के आंकड़ों से पता चलता है।
पिछले चार महीने में सबसे कम रोजगार
बता दें कि पिछले चार महीने से औपचारिक रोजगार ने गिरावट दर्ज की गई है, मौजूदा वित्तीय वर्ष में यह संख्या सबसे कम थी जो हाल के महीनों में औपचारिक रोजगार सृजन में बढ़ते तनाव को दर्शाती है। वास्तव में पेरोल डेटा, जो एक महीने में शामिल होने वाले नए ईपीएफ ग्राहकों की संख्या को एक्सट्रपलेट करता है, यह दर्शाता है कि अक्टूबर में लगातार चार महीनों के लिए नौकरी सृजन में गिरावट आई है। पेरोल के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर में नए वेतनमान की संख्या 879,746 थी, अगस्त में यह 962,378 थी। जुलाई में यह 1.18 मिलियन और जून में यह 1.17 मिलियन थी, मई में यह 1.06 मिलियन थी और अप्रैल में यह 1.0 मिलियन मिलियन थी।
युवाओं को रोजगार की जरूरत
बता दें कि आंकड़ों में बताया गया है कि अक्टूबर में कुल नए पेरोल पर 346,561 लोगों को रोजगार मिला जिसमें से ज्यादातर लोग 18-25 आयु वर्ग में थे। सितंबर की तुलना में यह संख्या 136,000 से कम है (18-25 आयु वर्ग में) जो औपचारिक कार्यबल में नए शामिल हुए। 2019 के मार्च तिमाही के सांख्यिकी विभाग द्वारा नए त्रैमासिक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के अनुसार अधिक काम करने वाले शहरी भारतीय, विशेष रूप से युवा, श्रम बल से वापस ले रहे हैं। कामकाजी उम्र की आबादी (15+) जो या तो कार्यरत हैं या नौकरी की तलाश में हैं, मार्च तिमाही में 46.5% घटकर दिसंबर तिमाही में 46.8% रह गई। शहरी युवाओं के लिए LFPR (15-29 वर्ष) मार्च क्वॉर्टर में 37.7% की गिरावट के साथ दिसंबर तिमाही में 38.2% हो गया।
हर साल 12 मिलियन लोगों को नौकरी की जरूरत
बता दे कि अक्टूबर 2012 में ईपीएफओ के कुल पेरोल परिवर्धन में 146,719 महिला कर्मचारी थीं जबकि 483,175 पुरुष थे। भारतीय कर्मचारी महासंघ के उपाध्यक्ष आरपी यादव ने बताया कि 12 मिलियन लोग हर साल भारतीय श्रम बाजार में प्रवेश करते हैं लेकिन रोजगार सृजन ने मांग को गति नहीं दी है। श्रम बाजार में वृद्धि हुई है लेकिन यह वश में है। टेलिकॉम, ऑटो और मैन्युफैक्चरिंग जैसे सेक्टर्स को कठिन समय का सामना करना पड़ रहा है। हमें उम्मीद है कि चीजें 2020 में बेहतर होंगी ।
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