बैंक में लावारिस पड़े हैं 48262 करोड़, RBI कर रही है दावेदार की तलाश, कहीं आपके भी तो नहीं?
बैंक में लावारिस पड़े हैं 48262 करोड़, RBI कर रही है दावेदार की तलाश, कहीं आपके भी तो नहीं?
नई दिल्ली। बैंक में करोड़ों की जमापूंजी है, जिनका कोई दावेदार नहीं मिल रहा है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी ताजा रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है जिसके मुताबिक देशभर के बैंकों में 48262 करोड़ रुपए लावारिस पड़ी है, जिसपर अब तक किसी ने क्लेम नहीं किया है। ये करोड़ों रुपए अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के लिए सिरदर्द बना हुआ है। आरबीआई अब इस रकम के मालिकों की तलाश के लिए कैंपेन चलाने की तैयारी कर रही है।
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बैंक में पड़े हैं करोड़ों रुपए
आरबीआई द्वारा साझा किए गए वार्षिक रिपोर्ट 2021-22 में कहा गया है कि बैंकों में बिना दावे वाली राशि बढ़कर 48,262 करोड़ रुपए पर पहुंच गई। आपको बता दें कि ये रकम रिजर्व बैंक के लिए बड़ी मुसीबत बनता जा रहा है। इन पैसों पर कोई दावे नहीं कर रहा है। अब इन पैसों के दावेदारों की तालाश के लिए रिजर्व बैंक कैंपेन चलाने की योजना बना रही है। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल बिना दावे वाली रकम 39264 करोड़ रुपए थी, जो और बढ़कर 48262 करोड़ हो गई है।
इन राज्यों के बैंकों में सबसे ज्यादा बिना दावे वाली रकम
तमिलनाडु, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, बंगाल, कर्नाटक, बिहार और तेलंगाना,आंध्र प्रदेश के बैंकों में लाखों रुपए जमा हैं, जिन्हें कोई क्लेम नहीं कर रहा है। बैंकों में एफडी करवाकर लोग भूल गए हैं। लाखों की एफडी मैच्योर हो चुकी हैं, लेकिन कोई उसे क्लेम नहीं कर रहा है। ऐसे में बैंकों में अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स लगातार बढ़ रहे हैं।
क्यों बढ़ रही है रकम
रिजर्व बैंक के मुताबिक अधिकांश लोग जो एक से ज्यादा सेविंग अकाउंट और करंट अकाउंट इस्तेमाल करते हैं वो अपने पहले के सेविंग अकाउंट या करंट अकाउंट को बंद नही करवाते हैं। ये खाते निष्क्रिय तो हो जाते हैं, लेकिन उसकी रकम अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स में शामिल हो जाती है। वहीं कई ऐसे अकाउंट होते हैं, जिसमें खाताधारक अपने अकाउंट नें नॉमिनी अपडेट नहीं करवाते हैं। ऐसे में खाताधारक की मृत्यु के बाद वो अकाउंट तो बंद हो जाता है, लेकिन खाते में पड़ा पैसा वैसे ही रह जाता है।
क्या होता है इन पैसों का
आपको बता दें कि अगर किसी बैंक खाते से 10 साल तक किसी भी तरह का ट्रांजैक्शन नहीं होता है तो वो खाता बिना दावे वाला अकाउंट बन जाता है। बैंकों इन बिना दावे वाली रकम जमाकर्ता शिक्षण और जागरूकता फंड में ट्रांसफर कर देती है। बैंक इन खातों की जानकारी अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध करवाती है, ताकि खाताधारक या उनसे जुड़े लोग बैंक से संपर्क कर सके।
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