आम आदमी के बाद आ रहा है आम का मौसम
मलिहाबाद। यूं तो आम आदमी की आजकल हर तरफ चर्चा है लेकिन फलों का राजा आम भी अपने जीवन की उठापटक से जूझ रहा है। हालांकि यूरोपियन यूनियन ने भारत के आम के आयात पर रोक को हटा दिया है। लिहाजा माना जा रहा है कि भारतीय आम के भी एक बार फिर से अच्छे दिन आ जायेंगे।
आम के निर्यात में 50 फीसदी बढ़ोत्तरी होगी
कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि यूरोपियन यूनियन के फैसले से भारत के आम के निर्यात में तकरीबन 40 से 50 फीसदी की बढ़ोत्तरी होगी। हाल ही में भारतीय आम की गुणवत्ता में गिरावट की वजह से यूरोपियन यूनियन ने इसपर पाबंदी लगा दी थी।
भारतीय आमों का यूरोपीय यूनियन में निर्यात 2011-12 से 2013-14 में तकरबीन 163 फीसदी बढ़ा। यही नहीं 2013 से 14 में आमों का निर्यात 73 फीसदी बढ़ गयी। भारत के आमों के इस मांग से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यूरोपीय यूनियन में लगी पाबंदी से आमों को कितना नुकसान हुआ।
यूएई है भारतीय आमों का सबसे बड़ा आयातक देश
गौरतलब है कि यूएई भारतीय आमों का सबसे बड़ा आयातक देश है। अकेले यूएई 172.3 करोड़ रुपए का आम 2013-14 में आयात किया था। इसके बाद यूरोपीय यूनियन दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा 50.2 करोड़ रुपए का आम आयात करता है।
1000 किस्में है भारत में आमों की
भारत मे तकरीबन 1000 आम की किस्मों की पैदावार की जाती है। जिसमें से तकरीबन 30 किस्मों को विशेष रूप से विदेशों में निर्यात करने के लिए पैदा किया जाता है। भारत में आमों की पैदावार पिछले दशक की अपेक्षा 60 फीसदी बढ़ा है।
यूपी में होता है सबसे ज्यादा आमों का उत्पादन
भारत में उत्तर प्रदेश आमों का सबसे बड़ा उत्पादक प्रदेश है। अकेले यूपी में 40.3 लाख मिट्रिक टन आमों की पैदावार की जाती है। जबकि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में 20.73 लाख मिट्रिक टन आम पैदा किया जाता है।
भारत दुनिया में आम का निर्यात करने वाला सबसे बड़ा देश है। जबकि आम की पैदावार करने के मामले में भारत का स्थान दूसरा है जिसके चलते भारत का कृषि क्षेत्र काफी फल फूल रहा है।
दुनिया में भारत के आगे सारे देश भारत से कहीं पीछे
दुनियाभर में पैदा होने वाले कुल आम की संख्या का 40.48 फीसदी भारत में पैदा किया जाता है। जबकि चीन मे 11.72, थाईलैंड में 6.87, पाकिस्तान में 4.97 फीसदी किया जाता है। इस लिहाज से भारत दुनिया में आम की पैदावार करने के मामले में कहीं आगे है।
वहीं आम की पैदावार करने वालों के लिए सबसे बड़ी समस्या यह है कि कुल पैदावार का 15 फीसदी आम मूलभूत ढांचे में कमी के चलते खराब हो जाता है। गरीब किसानों के पास संसाधनों की कमी के चलते ये आम बर्बाद हो जातै हैं।