बजट 2021 में अलग हो सकती हैं सरकार की प्राथमिकताएं, वजह होगी कोरोना महामारी
नई दिल्ली। Union Budget 2021 आम बजट 2021 की तैयारियां जोरशोर से चल रही है। शनिवार को 'हलवा सेरेमनी' के आयोजन के साथ ही बजट के दस्तावेज तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो गई। इस बार बजट को लेकर मिडिल क्लास और गरीब क्षेत्र के लोगों को बहुत उम्मीदें हैं। इतना तो तय माना जा रहा है कि हर बार के बजट से इस बार का बजट काफी अलग होने वाला है। उम्मीद की जा रही है कि कोरोना महामारी को देखते हुए इस बार बजट में सरकार की प्राथमिकताएं अलग होंगी।

बजट में क्या होंगी सरकार की प्राथमिकताएं?
- आपको बता दें कि महामारी की वजह से पहले ही भारतीय अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। गिरती जीडीपी और बेरोजगारी दर में वृद्धि सरकार की चिंता पहले से बढ़ाए हुए है। वहीं लॉकडाउन के बाद भारत में सकल घरेलू उत्पाद और राजस्व को अनुबंधित किया जानाा, नौकरियों की मांग बढ़ना और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की कमी की तरफ सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है।
- आर्थिक गतिविधियों के पटरी पर लौटने के बावजूद कई ऐसे सेक्टर हैं, खासकर सेवाओं में, जो अब भी बुरी तरह प्रभावित हैं। इनमें हॉस्पिटलिटी, टूरिज्म, रेस्टोरेंट, एंटरटेनमेंट और एविएशन शामिल हैं।
- कोरोना महामारी के चलते वित्त वर्ष 2021 में भारत की जीडीप में 7 से 8.5 फीसदी तक की गिरावट आने की संभावना है, जो कि इतिहास में सबसे बड़ी गिरावट होगी। कोरोना महामारी के आने से पहले भारत की वास्तविक जीडीपी काफी नीचे थी। आपको बता दें कि 2017-18 में जीडीपी 7 फीसदी थी तो वहीं 2018-19 में ये 6.1 फीसदी हो गई थी और 2019-20 में तो ये 4.2 फीसदी हो गई थी। कोविड 19 ने जीडीपी की वृद्धि दर में और गिरावट लाकर इस स्थिति को और खराब कर दिया है, जिससे देश की राजस्व प्राप्तियां प्रभावित हो रही हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि 2020-21 में नाममात्र जीडीपी 2019-20 के समान रहेगा। यह महामारी के कारण उत्पन्न होने वाली आवश्यकताओं के वित्तपोषण पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा।
- कोरोना महामारी ने देश में हेल्थ इमरजेंसी लागू कर दी थी, जिसके लिए हमारे बुनियादी ढांचे को तैयार नहीं किया गया था। डॉक्टर्स, अस्पताल में बेड, चिकित्सा उपकरण और आईसीयू की अपर्याप्त संख्या की वजह से इसका प्रभाव आजीविका क्षेत्रों पर भी फैल गया, जिसमें बड़े स्तर पर लोगों की नौकरियां चली गई। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के अनुसार 84% परिवारों की आय में गिरावट दर्ज की थी, जिसके चलते लोग अपने घर लौटने लगे और इससे ग्रामीण रोजगार को भारी नुकसान हुआ।