मौजूदा वित्त वर्ष में बढ़कर 7.9 फीसदी हो सकता है भारत का राजकोषीय घाटा: रिपोर्ट
नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान देश का राजकोषीय घाटा बढ़कर 7.9 फीसदी तक हो जाएगा। रिपोर्ट में इससे पहले चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के मुकाबले 3.5 फीसदी राजकोषीय घाटे का अनुमान जताया गया था। अब कहा गया है कि ये दोगुने से अधिक बढ़कर 7.9 प्रतिशत हो सकता है। सरकार ने अर्थव्यवस्था को कोरोना संकट के उबारने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा है। इस पैकेज की घोषणा के बाद एसबीआई की ने अपनी रिपोर्ट में ये अनुमान जताया है।
एसबीआई की शोध रिपोर्ट कहती है कि सरकार के 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा में किए उपायों के चलते होने वाले नकदी व्यय के साथ ही पिछली और हालिया उत्पाद शुल्क वृद्धि और महंगाई भत्ते की वृद्धि पर रोक (जीडीपी का लगभग 0.8 फीसदी) को ध्यान में रखने पर, हमने अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य (अतिरिक्त बजटीय संसाधनों को छोड़कर) को वित्त वर्ष 2020-21 की संशोधित जीडीपी के मुकाबले 3.5 फीसदी से बढ़ाकर 7.9 फीसदी कर दिया है।
रिपोर्ट में कहा गया कि हमारा अनुमान है कि राजस्व में कमी या स्वचालित राजकोषीय स्थिरता के कारण राजकोषीय घाटे पर 4.5 फीसदी का सीधा असर पड़ेगा और जीडीपी में परिवर्तन के कारण 0.9 फीसदी का अप्रत्यक्ष असर होगा।
संयुक्त राष्ट्र ने घटाई भारत की आर्थिक ग्रोथ
इससे पहले मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र संघ ने चालू वित्त वर्ष 2020 के लिए भारत की आर्थिक ग्रोथ के अनुमान को घटाकर 1.2 फीसदी कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2020 में भारत की आर्थिक ग्रोथ 1.2 फीसदी रहेगी, जो कि 2019 से ही मंदी का सामना कर रही है। 'वैश्विक आर्थिक स्थिति और संभावना' नाम से तैयार रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि 2019 से ही मंदी की मार झेल रही भारतीय अर्थव्यवस्था पर लॉकडाउन का गहरा असर देखने को मिल सकता है और ग्रोथ 1.2 फीसदी पर ही ठहर सकती है।