यूनीटेक को बड़ा झटका, अब सरकार के डायरेक्टर चलाएंगे कंपनी
नई दिल्ली। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने शुक्रवार को यूनिटेक कंपनी के चार डायरेक्टर को सस्पेंड कर दिया है, साथ ही सरकार को इस बात की इजाजत दी है कि वह डायरेक्टर के तौर पर अपने उम्मीदवारों को नियुक्त करे। यह अपने आप में एक अलग तरह का निर्देश एनसीएलटी ने दिया है, यह फैसला कंपनी में निवेशकों के पैसे को बचाने के लिए लिया गया है। 9 वर्ष पहले हैदराबाद की इंफोटेक कंपनी सत्यम के खिलाफ भी इस तरह का फैसला लिया गया था, जब निवेशकों का पैसा बचाने के लिए कंपनी के मैनेजमेंट पर सरकार के पदाधिकारियों को नियुक्त किया गया था।
माना जा रहा है कि इस फैसले से कंपनी के हाउसिंग प्रोजेक्ट को मदद मिलेगी, जोकि पांच साल से विलंब से चल रहे हैं। जिसके बाद सरकार ने एनसीएलटी का दरवाजा खटखटाया था, सरकार ने कंपनी पर गलत प्रबंधन का आरोप लगाया था, कंपनी में निवेशकों के हितों का खयाल नहीं रखा जा रहा है। कंपनी पर आरोप है कि उसने निवेशकों का पैसा प्रबंधन ने गबन किया है। सरकार ने कंपनीज एक्ट के सेक्शन 241 के तहत एनसीएलटी का दरवाजा खटखटाया है, जिसके अनुसार सरकार अपने सदस्यों को कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में नियुक्त कर सकती है, ताकि प्रोजेक्ट को जल्दी पूरा किया जा सके।
सरकार की ओर से दायर याचिका को एनसीएलटी ने स्वीकार कर लिया है और सरकार को कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में 10 डायरेक्टर को नियुक्त करने को कहा है जोकि कंपनी के मामलों को देखेंगे। सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने बताया कि 20 दिसंबर तक नए डायरेक्टर की लिस्ट सौंप दी जाएगी। सूत्रों की मानें तो सरकार प्रोफेशनल लोगों को बतौर डायरेक्टर नियुक्त करेगी। ट्रिब्युनल ने यूनीटेक को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि वह चार हफ्तों के भीतर वाणिज्य मंत्रालय को अपना जवाब दे। साथ ही कंपनी के जिन डायरेक्टर को सस्पेंड किया गया है उन्हें निर्देश दिया गया है कि वह कंपनी की संपत्ति पर किसी भी तरह का ना तो लोन लेंगे ना ही उसे बेचेंगे।
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