मछुआरों को मिला 700 साल पहले रहस्यमयी तरीके से गायब हुआ 'सोने का द्वीप'!, मिली बेशकीमती मूर्ति और आभूषण
जकार्ता, 25 अक्टूबर। इंडोनेशिया के मछुआरों के एक दल ने सुमात्रा द्वीप पर 700 साल पहले गायब हुए एक कल्पित इंडोनेशियाई साम्राज्य जिसे 'सोने का द्वीप' कहा जाता है को खोज निकालने का दावा किया है। दरअसल कुछ मछुआरे पिछले पांच वर्षों से पालेमबांग के पास मगरमच्छ से प्रभावित मुसी नदी की सफाई कर रहे थे, सफाई के दौरान ही मछुआरों को गहराई में बेशकीमती खजाना मिला, जिसमें रत्न, सोने की अंगूठियां, सिक्के और कांसे की कुछ घंटियां शामिल हैं।

इस द्वीप पर बस्ती थी श्रीविजय सभ्यता
इसके अलावा इन मछुआरों को 8वीं शताब्दी की गहनों से सजी भगवान बुद्ध की विशाल मूर्ति मिली है, जिसकी कीमत लाखों पाउंड बताई जा रही है। मछुआरों को जो कलाकृतियां मिली हैं वह श्रीविजय सभ्यता के समय की हैं जो 7वीं और 13वीं शताब्दी के बीच एक शक्तिशाली साम्राज्य था, और सोने के द्वीप पर इसी सभ्यता का वास हुआ करता था, लेकिन एक सदी के बाद यह रहस्यमय तरीके से गायब हो गया था।

बेहद महत्वपूर्ण है यह खोज- पुरातत्वविद
मछुआरों को एक खूबसूरत सोने और मणि से जड़ी हुई एक अंगूठी भी मिली है जिसके बार में कहा जाता है कि इसे एक पवित्र पक्षी ने पहना था। इसके साथ एक 21.5 सेमी की मूर्ति मिली है जिसपर एक व्यक्ति सवार है।
एक ब्रिटिश समुद्री पुरातत्वविद्, डॉ शॉन किंग्सले ने इसे एक महत्वपूर्ण खोज बताया है। उन्होंने कहा कि श्रीविजय धरती का अंतिम शक्तिशाली खोया हुआ साम्राज्य हो सकता है। वहीं, ब्रिटानिका के अनुसार, यह प्राचीन साम्राज्य अब बड़े पैमाने पर इंडोनेशिया के रूप में जाना जाता है, लेकिन यह मुख्य रूप से सुमात्रा द्वीप पर पालेमबांग में उत्पन्न हुआ।

सोने के भंडार और प्राकृतिक संसाधनों से आबाद था सुमात्रा
सुमात्रा को प्राचीन काल में सोने के द्वीप के रूप में जाना जाता था क्योंकि यह सोने के भंडार और प्राकृतिक संसाधनों में समृद्ध था, और दक्षिण पूर्व एशिया में व्यापार के लिए आगमन का प्रारंभिक बिंदु था। इस साम्राज्य की आबादी कितनी थी इस बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आ सकी है।