कोरोना वायरस: किसी मरीज़ के ICU में जाने का मतलब आख़िर क्या होता है?
किसी मरीज़ को आईसीयू में भर्ती क्यों किया जाता है? क्या इससे किसी ख़तरे का संकेत मिलता है? आईसीयू विशेष वॉर्ड होते हैं, जहां गंभीर रूप से बीमार लोगों के इलाज और क़रीब से नज़र रखने के लिए बनाए जाते हैं. आईसीयू में मरीज़ों की संख्या कम होती है और मेडिकल स्टाफ़ की संख्या ज़्यादा ताकि ज़रूरत पड़ने पर हर मरीज़ का पर्याप्त ध्यान रखा जा सके.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का इलाज लंदन के सेंट थॉमस अस्पताल के इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में चल रहा है.
प्रधानमंत्री कार्यालय मुताबिक़, डॉक्टरों के कहने पर यह क़दम प्रधानमंत्री के बेहतर स्वास्थ्य के लिए एहतियातन उठाया गया है.
आईसीयू क्या होता है?
आईसीयू विशेष वॉर्ड होते हैं, जहां गंभीर रूप से बीमार लोगों के इलाज और क़रीब से नज़र रखने के लिए बनाए जाते हैं. आईसीयू में मरीज़ों की संख्या कम होती है और मेडिकल स्टाफ़ की संख्या ज़्यादा ताकि ज़रूरत पड़ने पर हर मरीज़ का पर्याप्त ध्यान रखा जा सके.
आईसीयू में मरीज़ की गहन निगरानी के लिए उपकरण लगे होते हैं.
आईसीयू की ज़रूरत किसे?
किसी मरीज़ को आईसीयू में भर्ती क्यों किया जाता है? इसके अलग-अलग कारण हो सकते हैं.
कुछ मरीज़ों को गंभीर सर्जरी के बाद उनकी रिकवरी के लिए आईसीयू में रखा जाता है. कुछ लोगों को गंभीर ट्रॉमा की वजह से यहां रखना पड़ता है जैसे सड़क हादसों में गंभीर रूप से ज़ख़्मी हुए लोगों को.
प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को इसलिए आईसीयू में रखा गया है क्योंकि कोरोना संक्रमण के उनके लक्षणों में कोई सुधार नहीं आया था. इसलिए डॉक्टरों ने सलाह दी कि बेहतर स्वास्थ्य के लिए उन्हें आईसीयू में भर्ती करना चाहिए ताकि तबीयत बिगड़े तो वक़्त रहते ज़रूरी इलाज किया जा सके.
रविवार को उन्हें सेंट थॉमस अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
कोरोना वायरस की वजह से फेफड़ों को नुक़सान पहुंच सकता है और ऐसे लक्षण मिले हैं कि प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को सांस लेने में थोड़ी तकलीफ़ है. हालांकि अब तक उन्हें वेंटिलेटर पर रखने की ज़रूरत नहीं पड़ी.
आईसीयू में क्या होता है?
आईसीयू में भर्ती हर कोरोना संक्रमित मरीज़ को वेंटिलेटर पर रखने की ज़रूरत नहीं होती. वेंटिलेटर का इस्तेमाल इसलिए होता है ताकि मरीज़ की सांसें चलती रहे.
कुछ लोगों को सांस लेने में सपोर्ट करने वाली मशीन जिसे सीपीएपी कहा जाता है, भी लगाई जाती है. इसमें एक मास्क के ज़रिए ऑक्सिजन हल्के दबाव के साथ दी जाती है.
आईसीयू में भर्ती मरीज़ कई तरह की मशीनों, ट्यूब, वायर और केबल से जुड़े हो सकते हैं जिनके ज़रिए उनके शरीर के अंगों की हलचल को मापा जाता है.
उन्हें नसों के जरिए इंजेक्शन के अलावा दूसरे इलाज के साथ पोषक तत्व भी दिए जा सकते हैं.
सेंट थॉमस अस्पताल के आईसीयू में कोरोना वायरस के मरीज़ का पहले भी इलाज हो चुका है. बेहद गंभीर मामलों में लाइफ़ सपोर्ट सिस्टम जिसे ईसीएमओ कहा जाता है, का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. ये दिल और फेफड़े के लिए काम करता है.
आईसीयू से ठीक होना
आईसीयू में जैसे ही मरीज़ की तबीयत बेहतर होती है उन्हें अस्पताल के दूसरे किसी वॉर्ड में शिफ़्ट कर दिया जाता है.
जिन मरीज़ों को आईसीयू की ज़रूरत है उनके लिए इससे जगह भी बनती है
कुछ मरीज़ दो-चार दिन में अस्पताल से छुट्टी पा जाते हैं जबकि कुछ लोगों को एक-दो हफ़्ते या महीने भी गुजारने पड़ सकते हैं.