17 वर्षीय युवक ने खड़ी की कंपनी, प्रतिदिन 10 टन प्लास्टिक कचरे से बना रही कपड़ा, दे रही रोजगार
दुनिया को बेहतर बनाने में लगे कुछ लोगों में से ही एक हैं राजस्थान के 17 वर्षीय आदित्य बांगर। आदित्य ने पर्यावरण को बुरी तरह से प्रदूषित करते प्लास्टिक कचरे को समाप्त करने का बीड़ा उठाया है।
जयपुर, 15 सितंबर। दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने की सोच उम्र के किसी भी पड़ाव पर विकसित हो सकती है। एक तरह जहां कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए धरती के सीमित संसाधनों को लूटने में लगे हुए हैं, वहीं कुछ लोग दिन रात इसी विषय पर काम कर रहे हैं कि धरती को कैसे बेहतर से बेहतर बनाया जाए। दुनिया को बेहतर बनाने में लगे कुछ लोगों में से ही एक हैं राजस्थान के 17 वर्षीय आदित्य बांगर। आदित्य ने पर्यावरण को बुरी तरह से प्रदूषित करते प्लास्टिक कचरे को समाप्त करने का बीड़ा उठाया है। वह अपने काम को पूरी शिद्दत के साथ अंजाम देने में लग गए हैं।
चीन से भारत लेकर आए तकनीक
प्लास्टिक कचरे को खत्म करने के लिए उन्होंने भीलवाड़ा जिले में 'ट्रैश टू ट्रैजर' नाम से एक कंपनी स्थापित की है जो प्लास्टिक कचरे को फेब्रिक में बदल देती है। आदित्य का टैक्साइल का फैमिली बिजनेस है। आतित्य बताते हैं कि एक बार वह बिजनेस के काम से अपने चाचा के साथ चीन गए, उस समय वह दसवीं कक्षा में पढ़ते थे। इस यात्रा का उद्देश्य कपड़ा बनाने की नई तकनीक को देखना और उस तकनीक को भारत लाना था, लेकिन उन्होंने खाली यही नहीं किया। आदित्य ने कहा कि चीन की यात्रा के दौरान मैंने देखा कि एक मशीन भारी मात्रा में कचरे को फेब्रिक में बदल रही थी, जिसका इस्तेमाल पहनने योग्य कपड़ों में किया जा सकता है। इस तकनी के इस्तेमाल से कचरा भी कम हो रहा था और स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार भी मिल रहा था। आदित्य अब 12वीं कक्षा के छात्र हैं।
घरवालों ने किया सपोर्ट
आदित्य ने कहा जब में वापस आया तो मैंने अपने घर वालों को इसके बारे में बताया। उन्होंने मुझे सपोर्ट किया। आज उनकी कंपनी भी उसी तरह का फेब्रिक बना रही है। आदित्य ने भीलवाड़ा में इसकी उत्पादन इकाई की स्थापना के लिए एक विदेश कंपनी के साथ गठजोड़ किया है।
प्रतिदिन 10 टन कचरा खत्म कर रही कंपनी
उनकी कंपनी PET-ग्रेड प्लास्टिक से दोगुना चलने वाला फेब्रिक बनाकर उसे बेचती है, ताकि उससे कपड़े और अन्य उत्पाद बनाए जा सकें। इस कचरे को स्थानीय स्रोतों और घरों से इकट्ठा किया जाता है और फिर उसकी सफाई की जाती है। साफ करने के बाद उसे फेब्रिक बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस प्लास्टिक के पहले छोटे-2 टुकड़े किये जाए हैं और उसके बाद उसे पिघलाया जाता है। इसके बाद इसमें कॉटन मिलाई जाती है और फिर फाइबर बनाया जाता है। आदित्य ने कहा कि कंपनी प्रतिदिन 10 टन यानि 1 हजार किलो प्लास्टिक कचरे से कपड़ा बनाती है। उन्होंने कहाकि पहले वह 40 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से कचरा खरीदते थे, जो महंगा पड़ रहा था, लेकिन अब उन्होंने एक पोर्टल बनाया है जिसके माध्यम से लोग हमें अपना प्लास्टिक का कचरा भेज सकते हैं।