बिहार के सात गांव यूपी में चले जाएंगे, वहीं यूपी के सात गांव बिहार में होंगे शामिल, जानिए क्या है मामला?
पटना, 27 नवंबर। बिहार का बगहा जिला और उत्तर प्रदेश का कुशीनगर जिला एक दूसरे से सटा क्षेत्र हैं। बगहा जिले के सात गांव ऐसे हैं जहां के लोगों को प्रशासनिक कामों के लिए जिला मुख्यालय जाने के लिए उत्तर प्रदेश से होकर जाना पड़ता है। वहीं कुशीनगर जिले के सात गांव ऐसे हैं जहां के लोगों को जिला मुख्यालय जाने के लिए बिहार से होकर जाना पड़ता है। इन दोनों जिलों के इन गांवों के लोगों को तो परेशानी होती ही है, साथ ही दोनों जिलों के पुलिस-प्रशासन को भी इन गांवों में आने-जाने के लिए काफी समय लग जाता है। इस परेशानी का समाधान करने के लिए अब तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त ने बगहा डीएम को पत्र लिखा है।
समाधान
का
प्रस्ताव
केंद्र
सरकार
को
भेजने
की
तैयारी
समाधान
यह
निकाला
गया
है
कि
उत्तर
प्रदेश
और
बिहार
के
इन
जिलों
के
गांवों
की
अदला-बदली
की
जाएगी।
बिहार
के
बगहा
जिले
के
सात
गांव-
बैरी
स्थान,
मंझरिया,
मझरिया
खास,
श्रीपतनगर,
नैनहा,
भैसही
और
कतकी
-
उत्तर
प्रदेश
में
चले
जाएंगे।
वहीं
यूपी
कुशीनगर
जिले
के
सात
गांव-
नरसिंहपुर,
मरछहवा,
शिवपुर,
बालगोविंद,
बसंतपुर,
हरिहरपुर
और
नरैनापुर-
बिहार
में
शामिल
किए
जाएंगे।
तिरहुत
प्रमंडल
के
आयुक्त
ने
बगहा
डीएम
से
इसका
प्रस्ताव
तैयार
करने
के
लिए
कहा
है
जिसके
अनुमोदन
के
लिए
केंद्र
सरकार
के
पास
भेजा
जाएगा।
इन
गांवों
की
क्या
है
परेशानी?
दरअसल,
इस
क्षेत्र
में
बाढ़
की
भी
समस्या
है।
दोनों
राज्यों
के
प्रशासन
को
इन
गांवों
में
जाने
के
लिए
एक-दूसरे
की
सीमा
को
पार
करना
पड़ता
है
जिसमें
काफी
समय
लगता
है।
इससे
विकास
कार्यों
को
इन
गांवों
तक
पहुंचाने
में
दोनों
राज्यों
के
प्रशासन
को
परेशानी
होती
है।
बाढ़
की
आपदा
के
समय
राहत
पहुंचाने
में
भी
वक्त
लग
जाता
है।
साथ
ही,
बाढ़
का
पानी
निकल
जाने
के
बाद
जमीन
का
सीमांकन
मिटने
से
जमीनी
विवाद
होते
हैं
जो
कभी-कभी
हिंसक
भी
हो
जाते
हैं।
गांव
के
लोगों
को
प्रशासनिक
कामों
के
लिए
अपने
राज्य
जाने
में
भी
ज्यादा
दूरी
तय
करना
पड़ता
है।
अभी
यूपी-बिहार
के
गांवों
की
अदला-बदली
के
लिए
बगहा
डीएम
भूमि
का
प्रस्ताव
तैयार
करेंगे
जिसे
दोनों
राज्य
सहमति
से
केंद्र
सरकार
के
पास
भेजेंगे।
ग्रामीणों
ने
गांवों
की
अदला-बदली
के
मामले
पर
खुशी
जताई
है।
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