2017: साल भर बदनामी झेलता रहा बिहार, राजनीति को घोटाले ने किया गंदा
लालू को फंसाने की बड़ी वजह भी घोटाला बनी और प्रदेश की नाक कटाने के लिए भी घोटाला ही चलन में रहा। सृजन घोटाला, तटबंध घोटाल तो हुआ ही टॉयलेट और डस्टबिन जैसे घोटालों ने भी अपनी पहचान रख घोटालेबाजों का खूब नाम किया।
बिहार 2017: घोटालों से घिरा बिहार साल की शुरुआत में तो अपेक्षाओं से देखा जा रहा था लेकिन साल बीतते-बीतते यहां उपेक्षा पसर गई। घोटालों का शिकार बिहार अपने नए-नए कारनामों से चौंका रहा है तो राजनीतिक उठा-पटक ने इस साल कई रंग दिखाए। लालू साल भर केंद्र में ही रहे यानी निशाने पर! शुरू में तो लालू को नीतीश का साथ नसीब हुआ लेकिन NDA में शामिल होकर लालू नीतीश और सुशील मोदी के बीच में फंस गए। लालू को फंसाने की बड़ी वजह भी घोटाला बनी और प्रदेश की नाक कटाने के लिए भी घोटाला ही चलन में रहा। सृजन घोटाला, तटबंध घोटाल तो हुआ ही टॉयलेट और डस्टबिन जैसे घोटालों ने भी अपनी पहचान रख घोटालेबाजों का खूब नाम किया। राजनीति सिर्फ बयानबाजी से ही होती रही ऐसा नहीं है, दूरियों ने भी कई सियासी खुंदस निकाल डाली।
नीतीश के फैसले से दहली थी राजनीति
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन छोड़ने को लेकर जब बड़ा बयान दिया तो प्रदेश के सियासी हलकों में भूचाल ही आ गया। नीतीश कुमार ने पटना में कहा कि लालू यादव के साथ से मुक्ति पाकर वो बहुत खुश हैं। नीतीश कुमार ने कहा कि हर रोज लगता है कि महागठबंधन छोड़कर बहुत अच्छा काम किया। नीतीश कुमार ने स्वीकार किया कि जब लालू यादव के साथ सरकार चला रहे थे तब उन्हें इस बात की फीडबैक रहती थी कि बालू माफिया और शराब माफिया उभर रहे थे। पुलिस के ऊपर दबाव डाला जा रहा था। नीतीश ने स्वीकार किया कि बिहार में कानून का राज स्थापित करने में उनको परेशानी हो रही थी। बिहार को नीतीश के ये बयान अभी भी चुभ ही रहे हैं।
21 साल से उठ रहे आरोपों पर आई फैसले की घड़ी
पिछले 21 सालों से चल रहे बिहार के दो चर्चित राजनेताओं के ऊपर चारा घोटाले का मामला अब फैसले तक पहुंच चुका है। इस मामले में बिहार के दो पूर्व मुख्यमंत्री के साथ-साथ 31 लोग आरोपी हैं, जिनकी किस्मत का फैसला 23 दिसंबर को किया जाएगा। 23 दिसंबर को ये क्लियर हो जाएगा कि इस मामले में किन-किन लोगों को दोषी करार किया गया है या किन्हें निर्दोष साबित किया गया है। दरअसल आपको बता दें कि सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की कोर्ट में चारा घोटाले के एक मामले में सुनवाई पूरी हो गई है। इस मामले में फैसले की तिथि 23 दिसंबर तय की गई है। मामला देवघर कोषागार से 89 लाख रुपए के अवैध निकासी का है, जिसमें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, जगन्नाथ मिश्र, ध्रुव भगत, पूर्व सांसद आरके राणा, जगदीश प्रसाद, विद्यासागर निषाद, आईएएस अधिकारी फूलचंद्र सिंह, महेश प्रसाद, बैंक जूलियर, डॉक्टर कृष्ण कुमार, आपूर्तिकर्ता त्रिपुरारी मोहन प्रसाद सुशील कुमार, सरस्वतीचंद्र, ज्योतिष कुमार झा सहित 31 आरोपी हैं। इस मामले में कई चरणों में लालू प्रसाद यादव के द्वारा गवाही हुई थी जिसमें वो हाजिर हुए थे।
इस साल तेजस्वी से CBI ने पूछे कई सवाल
वहीं आईआरसीटीसी स्कैम में घिरे बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सीबीआई को चुनौती दी थी कि उनके खिलाफ सीबीआई जल्द चार्जशीट दायर करके दिखाए। बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पटना स्थित 45 करोड़ रुपए मूल्य के तीन भूखंडों को जब्त किए जाने को राजनीतिक बदले के तहत की गई कार्रवाई और साजिश तक करार दिया था।
'Paradise Papers' ने लीक की कई नेताओं की हवा
तो वहीं 'पनामा पेपर्स लीक' के बाद अब 'Paradise Papers Leak' से हड़कंप मचा। इसमें दुनियाभर के रसूखदार नेताओं, एक्टर्स, कॉरपोरेट इंस्ट्रीज के मालिकों और बिजनेसमैन के नाम सामने आए। इस खुलासे में बीजेपी के राज्यसभा सांसद व एसआईएस सिक्यॉरिटीज के मालिक रवींद्र किशोर सिन्हा यानि आरके सिन्हा सहित 714 भारतीयों के नाम शामिल हैं। बिहार से सांसद आरके सिन्हा से जब इस बारे में मीडिया ने सवाल किया तो उन्होंने मौनव्रत धारण करने का इशारा किया। आरके सिन्हा ने कागज पर लिखकर बताया कि वो मौनव्रत पर हैं और अगले सात दिनों कर कुछ नहीं बोले। वही अब झटपटा रहे हैं।
नीतीश को कोर्ट ने कहा था Happy New Year 2017
नीतीश कुमार को बिहार सीएम के पद से अयोग्य घोषित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट ने टाला था। मामले की अगली सुनवाई अगले साल जनवरी के दूसरे हफ्ते में रख दी गई। इस फैसले के इस साल टलने से नीतीश के लिए भूचाल जैसी स्थिति काबू हो गई थी। उल्लेखनीय है कि याचिका में कहा गया है कि नीतीश कुमार ने अपने चुनावी हलफनामे में अपने खिलाफ हत्या का केस दर्ज होने की बात छुपाई थी। जानकारी के अनुसार, इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करने के लिए 8 दिसंबर की तिथि तय की थी।
लालू परिवार की संपत्ति कुर्क
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव परिवार की करीब 45 करोड़ की सपंत्तियों को जब्त कर लिया था। ईडी ने लालू यादव की पत्नी, बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी, लालू यादव के बेटे तेजप्रताप और तेजस्वी यादव की तीन एकड़ की संपत्ति को कुर्क करने का आदेश दिया था। लालू परिवार की इस संपत्ति की कीमत 44.7 करोड़ आंकी जा रही थी। आईआरसीटीसी होटल घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने बड़ी कार्रवाई की। पटना की इस जमीन पर मॉल बनाया जा रहा था। आरोप है कि ये जमीन लालू परिवार को लीज पर होटल देने के बदले मिली थी इस मामले में सीबीआई भी लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव से पूछताछ कर चुकी है।
सुशील मोदी पर 10 करोड़ की मानहानि
बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी अभी पूरी तरह अपने बेटे की शादी से आजाद नहीं हुए थे कि उनके ऊपर एक मानहानि का मुकदमा दर्ज हो गया। ये मुकदमा बीपीएससी के पूर्व चेयरमैन रामाश्रय प्रसाद सिंह ने दर्ज करवाया था। जिसमें ये आरोप लगाया कि उसके द्वारा दिए गए बयान से उनकी छवि खराब हुई और इसके हरजाने के लिए 10 करोड़ रुपए की मांग की गई। मामला सुशील मोदी द्वारा रामाश्रय प्रसाद पर पद के लिए लालू प्रसाद यादव को जमीन देने का आरोप है। इन्हीं सब बातों को लेकर पूर्व चेयरमैन ने सुशील कुमार मोदी पर मानहानि का मुकदमा दर्ज करवाया।
नीतीश और शरद यादव में बगावत
इस साल बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने शरद यादव और अली अनवर को तगड़ा झटका दिया था। जेडीयू (जनता दल युनाइटेड) से बगावत करने वाले नेता शरद यादव और अली अनवर की राज्यसभा से सदस्यता समाप्त कर दी गई। जेडीयू ने इस संबंध में राज्यसभा सचिवालय के पास शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने दोनों नेताओं की सदस्यता समाप्त करने का फैसला लिया था। नीतीश कुमार के एनडीए पाले में जाने और आरजेडी-कांग्रेस से गठबंधन तोड़ने पर शरद यादव और अली अनवर ने बगावती तेवर अपना लिए थे। दोनों ही नेता आरजेडी और कांग्रेस से गठबंधन बनाए रखने के पक्ष में थे।
मोदी की 'खाल' पर बिहार में 'तेज' हुई थी राजनीति
अनाप-शनाप बयानबाजी को लेकर चर्चित हुए लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव का प्रधानमंत्री मोदी की खाल उधड़वाने के बयान पर बीजेपी सांसद ने लिखित शिकायत दर्ज करवाई थी। बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने नई दिल्ली के पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने में तेज प्रताप के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। बता दें कि केंद्र सरकार के द्वारा लालू यादव की सुरक्षा में कटौती करने के बाद तेज प्रताप यादव ने मीडिया के सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुली धमकी देते हुए कहा था कि हम मोदी की खाल उधड़वा लेंगे। तेज प्रताप यादव के इस बयानबाजी से राजनीतिक गलियारे में एक भूचाल सा आ गया था। वहीं इस बयानबाजी के बाद लालू यादव ने कहा कि मुझ पर जानलेवा हमला कराया जा सकता है और इस तरह की साजिश रची जा रही है। अगर मेरे साथ कुछ गलत हुआ तो नीतीश कुमार और केंद्र सरकार इसके लिए जिम्मेदार होंगे। मैं पहले ही जनता को ये बात बता रहा हूं।
राहुल गांधी को तेजस्वी ने बोला था ThankYou
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव के साथ लंच किया था। बिहार के लिए ये तस्वीर प्रभावशाली दिखाई दी थी। इस दौरान दोनों युवा नेताओं के बीच काफी देर तक बात हुई। इस लंच के बाद तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर राहुल गांधी को शुक्रिया अदा किया। तेजस्वी यादव ने कहा था 'मुझे लंच पर ले जाने के लिए राहुल गांधी का शुक्रिया, काफी अच्छा लगा।
लौटकर फिर दोहराई गई पुरानी राजनीति
बिहार के पॉलिटिक्स में चूहों पर आरोप-प्रत्यारोप का पुराना दौर फिर एक बार देखने को मिला। एक तरफ जहां सत्ताधारी सरकार चूहे पर आरोप लगा रही थी तो दूसरी तरफ विपक्ष में बैठी सरकार चूहे के जरिए उन पर निशाना साधने का काम कर रही थी। इसी को लेकर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने बिहार में हुए तटबंध घोटाले पर नीतीश सरकार पर हमला करते हुए आपत्तिजनक संबोधन के जरिए कहा था कि बिहार के भूरे बाल वाले चूहे तटबंधों को खा रहे हैं। भूरे बाल के जरिए पहले भी लालू यादव आलोचना कर चुके हैं, जिसको लेकर एक बार फिर बिहार की राजनीति गरम हो गई थी।
शराब के विरोधी अभियान पर नीतीश ने बटोरी साख
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्ण शराबबंदी कानून के जरिए राज्य के साथ-साथ दूसरे राज्यों में भी अपना चेहरा चमकाने की कोशिश की और मंचों से तरह-तरह के भाषण करते नजर आते रहे। लेकिन उसी पूर्ण शराबबंदी कानून को एक बार फिर हाईकोर्ट ने झटका दे दिया। इस बार हाईकोर्ट ने शराब अधिनियम के तहत अभियुक्त बनाए गए लोगों को अग्रिम जमानत देने का आदेश जारी किया और शराब अधिनियम की धारा 76(2) को असंवैधानिक करार दे डाला।
बिहारी छात्र बने राष्ट्रीय मुद्दा, मणिपुर में NIT पर उलझी सियासत
बिहारी छात्रों पर मणिपुर के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान एनआइटी में हुए हमले और बेरहमी से पिटाई के बाद बदसलूकी के कारण कई छात्र घायल हुए थे। इस पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद मणिपुर के सीएम से फोन पर बातचीत करते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की बात कही थी लेकिन उनकी भी बातचीत का कोई असर नहीं पड़ा। पीड़ित छात्रों को किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं दी गई, जिससे डरे हुए 150 छात्रों ने कॉलेज से अपना बोरिया-बिस्तर समेट लिया। तो वहां रह रहे बिहारी छात्र इतने डर गए थे कि वो लौटकर अपने राज्य आ गए या फिर अपने रिश्तेदार के यहां चले गए।
बिहार ने बाढ़ की वीभत्सता भी दिखाई
वहीं 2017 बिहार बाढ़ ने उत्तर बिहार के 19 जिलों को प्रभावित किया, जिससे 514 लोगों की मौत हो गई। आंकड़ों के हिसाब से इस बाढ़ में 1 करोड़ 71 लाख लोग प्रभावित हुए। इस बाढ़ में मरने वालों की संख्या में पिछले 9 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया। ये भारत का सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित राज्य रहा, जिसमें 76% आबादी ऐसी जगह पर रही जहां बाढ़ का पानी तबाही मचाते दिखाई दिया। बाढ़ पर केंद्र और राज्य का साझा सहयोग देखने को मिला लेकिन फायदा-नुकसान की राजनीति इस पर भी होती दिखाई दी।