Bihar assembly elections 2020: लंदन रिटर्न पुष्पम प्रिया क्या बिहार की राजनीति में गुल खिला पाएंगीं?
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क्या 27-28 साल की पुष्पम प्रिया चौधरी बिहार की राजनीति की 'अंडर करंट’ हैं ? क्या इतनी कम उम्र की पुष्पम का सीएम कैंडिडेट के रूप में चुनाव लड़ने की घोषणा बचकानी हरकत है ? पुष्पम की पार्टी प्लूरल्स के सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला कितना संजीदा है ? बिना किसी राजनीतक अनुभव के वे कैसे चुनाव लड़ेंगी ? दरभंगा और लंदन में पढ़ी-लिखी पुष्पम इन सवालों की अनदेखी कर होली के बाद से ही बिहार की राजनीति में सक्रिय हैं। लॉकडाउन में ढील के दौरान उन्होंने कई गांवों का दौरा किया। आज भी गांव-गांव जा कर लोगों को अपने दल का सदस्य बना रही हैं। क्या वे Bihar assembly elections 2020 के चुनाव में असर डालेंगी ? जदयू और राजद ने पुष्पम को हवा-हवाई बता कर सिरे से खारिज कर दिया है। पुष्पम के कुछ आलोचक भी उभर आये हैं जो उन पर पार्टी को कॉरपोरेट कंपनी की तरह चलाने का आरोप लगा रहे हैं। लेकिन पुष्पम प्रिया इन तमाम आलोचनाओं से बेपरवाह हैं। उनकी पार्टी के महासचिव और पूर्व IRS अधिकारी अनुपम सुमन का कहना है कि प्लूरल्स सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। हम चुनाव में सफलता हासिल करने का हौसला रखते हैं। नये हुए तो क्या हुआ, हम तो इतिहास दोहराएंगे।
जदयू ने कहा फफूंद तो राजद ने कहा बचपना
मार्च 2020 में जब Pushpam priya choudhary ने पटना के अखबारों में फुलपेज विज्ञापन देकर राजनीति में आने की मुनादी की थी तब राजनीतिक दलों में खलबली मच गयी थी। पटना की सड़कों पर बड़े-बड़े होर्डिंग्स देख कर हर तरफ उन्हीं की चर्चा थी। Bihar assembly elections 2020 चुनाव के मेन प्लेयर्स जदयू और राजद ने पुष्पम को बिल्कुल खारिज कर दिया। जदयू के नेता और पूर्व प्रवक्ता अजय आलोक ने तब कहा था, "बिहार चुनाव की धमक इतनी मजबूत है कि चुनाव अक्टूबर नवम्बर में है और फफूंदी अभी से लंदन में पैदा होने लगी है। जब चुनाव आते हैं तो इस तरह की फफूंदी हमेशा उगती है। ये कोई बड़ी बात नहीं है। लोकतंत्र में सबका स्वागत है।" अजय आलोक का इशारा पुष्पम प्रिया की तरफ था क्योंकि वे लंदन ने चुनाव लड़ने के लिए बिहार आ रही थीं। पुष्पम प्रिया की चुनावी इंट्री पर राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने मीडिया से कहा था, "यह बचपना है और आप लोग बचकाना बात को बतंगड़ बना रहे हैं। जब वो लड़की सात-आठ साल की थी तब से हम उसे जानते हैं। उसके दादा उमाकांत चौधरी हमारे साथ समता पार्टी में थे। उसके पिता विनोद चौधरी एमएलसी रहे हैं। उनके नॉमिनेशन में मैं भी गया था। मुख्यमंत्री बनना मजाक है क्या ? कोई ऐसे ही मुख्यमंत्री बन जाता है क्या ? यह मुर्खतापूर्ण सवाल है। समाज में चढ़ाने वाले लोग मिल जाते हैं। इतना संसाधन कहां से आया ?" शिवानंद तिवारी ने पुष्पम के फैसले को बचकाना तो कहा ही, उनके विज्ञापन खर्च पर भी सवाल उठा दिया। कहा जाता है कि मार्च में पुष्पम ने विज्ञापन पर एक करोड़ रुपये से अधिक खर्च किये थे। शिवानंद तिवारी पहले नीतीश कुमार के साथ पार्टी समता पार्टी में थे। पुष्पम प्रिया के दादा उमाकांत चौधरी भी उस समय समता पार्टी में ही थे। उमाकांत चौधरी ने समता पार्टी के टिकट पर 1995 और 2000 का चुनाव दरभंगा की हायाघाट सीट से लड़ा था लेकिन हार गये थे।
‘प्लूरल्स’ राजनीतिक दल है या कॉरपोरेट कंपनी ?
Pushpam priya choudhary खुद को सीएम प्रोजेक्ट कर 243 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली हैं। कोरोना प्रतिबंधों के कारण उनके ग्रामीण दौरों पर ब्रेक लगता रहा है। इसलिए उन्होंने अपने दल ‘प्लूरल्स' का सदस्यता अभियान ऑनलाइन भी चला रखा है। शिवहर के आदित्य कुमार चौधरी की दावा है कि वे ऑनलाइन फॉर्म भर कर प्लूरल्स के वॉलंटियर बने थे। फिर उन्हें शिवहार का जिला प्रभारी बनाया गया। आदित्य के मुताबिक, जब मैंने रामजन्म भूमि पूजन के दिन एक शुभकामना संदेश का विज्ञापन दिया तो मुझे प्लूरल्स पार्टी से हटा दिया गया। अब आदित्य चौधरी ने पुष्पम प्रिया के खिलाफ मोर्च खोल दिया है। हो सकता है आदित्य के आरोप व्यक्तिगत पूर्वाग्रह हों लेकिन इस संबंध में प्लूरल्स की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है। आदित्य का आरोप है कि पुष्पम धर्मनिरपेक्षता का ढोंग कर रही हैं। आदित्य ने और भी कई गंभीर आरोप लगाये हैं। आदित्य के मुताबिक, पुष्पम प्रिया पार्टी को एक कॉरपोरेट कंपनी की तरह चला रही है। वे निरकुंश हैं और जिला प्रभारियों से भी सीधे बात नहीं करतीं। इसके लिए उन्होंने कई मुलाजिम रखे हुए हैं। प्लूरल्स में कम्यूनिकेशन, सोशल इसूज जैसे कई विभाग बनाये गये हैं जो एक ऑफिस की तरह काम करते हैं। शिवानंद तिवारी ने तो पुष्पम के खर्चों पर सवाल उठाया ही था अब आदित्य ने इस संबंध में सवाल पूछे हैं। आदित्य का आरोप है कि पुष्पम प्रिया को गरीबों से कोई मतलब नहीं। आदित्य के मुताबिक, पुष्पम करोड़ों रुपये की ऑडी कार में चलती हैं, हाथों में लाखों रुपये का आईफोन और एपल टैब होता है, लेकिन उन्होंने कोरोना संकट के बीच एक भी गरीब को मास्क नहीं बांटा। वे लाखों करोड़ों रुपये खर्च कर रही हैं लेकिन दरभंगा समेत मिथिलांचल के बाढ़ पीड़ितों की कोई मदद नहीं की। क्या वे इसी तरीके से बिहार को बदल कर लंदन बनाएंगी ?
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क्या कहना है पुष्पम प्रिया का?
पुष्पम प्रिया के जन्म की तारीख तो पब्लिक डोमेन में है लेकिन वर्ष की जानकारी सार्वजनिक नहीं है। इसलिए उनकी उम्र का पढ़ाई के आधार पर आकलन किया जा रहा है। Pushpam priya choudhary ने 2016 में इंग्लैंड के ससेक्स यूनिवर्सिटी से डेवलपमेंट स्ट्डीज में मास्टर डिग्री ली है। फिर 2019 में उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पोलिटिकल साइंस से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में भी मास्टर डिग्री ली। अगर मान लिया जाय कि पुष्पम ने 2016 में पहली मास्टर डिग्री 22-23 साल में ली होगी तो अभी उनकी उम्र 26-27 साल के आसपास होगी। अगर इतनी कम उम्र की कोई लड़की बिना किसी राजनीतिक अनुभव के सीधे मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रही है तो जाहिर है लोग आश्चर्यचकित होंगे ही। कुछ लोग हंस भी रहे हैं। लेकिन पुष्पम के दल के महासचिव और बिहार के पूर्व IRS अधिकारी अनुपम सुमन का कहना है कि हम सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। हम जीतने का भी हैसला रखते हैं। कई लोग पूछ रहे हैं कि आप छह महीने या आठ महीने में क्या कर लेंगे ? इस सवाल पर मेरा कहना है कि कम समय में भी जीत मुमकिन है। इतिहास में पहले भी हुआ कि कम समय में गठित पार्टी सत्ता में आयी है। हम भी इतिहास बनाएंगे। अनुपम सुमन शायद 1985 और 2013 के इतिहास की याद दिलाना चाहते हैं। असम गण परिषद का गठन 14 अक्टूबर 1985 को हुआ था और दिसम्बर 1985 में उसकी सरकार बन गयी थी। ऑल असम स्टूडेंट यूनियन के नेता नया दल बना कर यूनिवर्सिटी के होस्टल से सीधे मुख्यमंत्री और मंत्री पद की शपथ लेने गये थे। इसी तरह अन्ना आंदोलन में सक्रिय अरविंद केजरीवाल ने नवम्बर 2012 में आम आदमी पार्टी बनायी थी और 28 दिसम्बर 2013 को वे दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गये थे। राजनीति में कुछ भी संभव है।