पढ़ने की लगन से रचा कीर्तिमान, 97 साल के बुजुर्ग ने लिया कॉलेज में दाखिला तो बना रिकॉर्ड
अधिकतर ऐसा देखा गया है कि लोग अपने जीवन के 60 वर्ष पूरा करने के बाद रिटायर हो जाते हैं पर राजकुमार 60 वर्ष के बाद पूरी तरह से पढ़ाई में एक्टिव हुए।
पटना। स्टूडेंट का नाम गिनीज बुक में दर्ज होने की बात आपने सुनी होगी लेकिन आज हम आपको एक ऐसे स्टूडेंट के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका एक पैर कब्र में है और दूसरा क्लास में! अब आप सोच रहे होंगे कि आखिरकार ये कैसा स्टूडेंट है। तो कंफ्यूज मत होइए हम बात कर रहे है 97 साल के बुजुर्ग स्टूडेंट के बारे में जो इस उम्र में पीजी में नामांकन कराने यूनिवर्सिटी पहुंचा।
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ये सुनकर शायद आप सोच में पड़ गए होंगे। सोच में तो यूनिवर्सिटी के अधिकारी भी पड़ गए थे जब 97 वर्षीय बुजुर्ग लड़खड़ाते कदम से चलते हुए उनके पास नामांकन करने पहुंचा था। आइए आपको बताते हैं 97 साल के बुजुर्ग स्टूडेंट के बारे में जिन्होंने बुलंद हौसले और पढ़ने की ललक की वजह से लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया है।
राजधानी पटना के रहने वाले राजकुमार वैश्य जिनकी उम्र 97 साल है, पढ़ाई के प्रति इतने जागरुक हैं कि उन्हें देख बच्चों को भी पढ़ने की ललक जाग उठती है। अधिकतर ऐसा देखा गया है कि लोग अपने जीवन के 60 वर्ष पूरा करने के बाद रिटायर हो जाते हैं पर राजकुमार 60 वर्ष के बाद पूरी तरह से पढ़ाई में एक्टिव हुए इतना ही नहीं वो अभी नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी से PG की पढ़ाई कर रहे हैं और वो भी इंग्लिश मीडियम। पढ़ने के प्रति उनका लगाव कुछ ऐसा है कि आज भी वो दिन में 5 से 6 घंटे पढ़ते हैं। इसी पढ़ाई की वजह से उन्होंने अपना नाम लिम्का बुक में दर्ज करवाया है।
आइए जानते हैं इनके बारे में...
आपको बता दें कि राजकुमार पहले एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे। जहां समय पूरा होने के बाद वो वहां से रिटायर हो गए। रिटायरमेंट के बाद घर में बैठकर बोर हो रहे थे। तब उनके मन में एक विचार आया क्यों ना पढ़ाई की जाए। फिर इन्होंने पढ़ाई करने की ठानी और इसकी नए सिरे से शुरुआत की। रिटायरमेंट के बाद लोग अपने आप को व्यस्त रखने के लिए अखबार, टीवी और मनोरंजन का सहारा लेते हैं पर इन्होंने किताब का सहारा लिया और पूरी लगन से पढ़ाई की शुरुआत की।
वहीं राजकुमार के बेटे संतोष कुमार ने अपने पिता के इस पढ़ाई और कड़ी मेहनत को देखते हुए कहा कि एक बार पिताजी पढ़ते-पढ़ते काफी गंभीर रूप से बीमार हो गए थे। बीमारी कुछ ऐसी थी कि लोगों ने उनके जिंदा रहने की उम्मीद छोड़ दी थी लेकिन कुदरत का ऐसा करिश्मा हुआ कि वो फिर से स्वस्थ हो गए। तो राजकुमार कि बहू भारती का कहना है कि बाबूजी के इस अनोखे जज्बे को देखकर हम और हमारे परिवार के सभी लोग काफी खुश हैं। वहीं आसपास के लोग और बच्चे भी इनसे खास प्रभावित हुए हैं। इलाके के सभी बच्चे इन्हें दादा जी बुलाते हैं और इनके साथ बैठकर पढ़ाई करते हैं। तो इनके इस अंदाज से नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार एसपी सिन्हा काफी आकर्षित हैं। उनका कहना है कि पूरे जीवन में ऐसा पहली बार देखने को मिला है कि जहां 97 साल का बुजुर्ग कॉलेज में पीजी की पढ़ाई करने के लिए नामांकन कराने पहुंचा है।