इलाज किया नहीं और मौत के बाद दी एंबुलेंस, मां ने कहा कोई जरूरत नहीं...
पटना। डॉक्टरों को धरती पर भगवान की उपाधि दी जाती है लेकिन हाल फिलहाल के दिनों में डॉक्टर के द्वारा कुछ ऐसे कारनामे और शर्मनाक करतूत को अंजाम दिया गया है जिसने ये साबित कर दिया है कि अब डॉक्टर भगवान नहीं बल्कि हैवान हो गए हैं। इसी तरह का एक मामला मुजफ्फरपुर के सरकारी अस्पताल में देखने को मिला जहां बीमार बच्चे को अपनी गोद में लिए मां अस्पताल में इधर-उधर दौड़ती रही। डॉक्टर उसे इमरजेंसी वॉर्ड जाने के लिए कहते तो इमरजेंसी वॉर्ड जाने के बाद नर्स वापस उसे डॉक्टर के पास भेज देती थी। ये सिलसिला काफी देर तक चला जिसमें बीमार बच्चे ने इलाज के अभाव में मां की गोद में ही दम तोड़ दिया।

जिसके बाद दौड़ रही बच्चे की मां अपने बच्चे को गोद में लिए जोर-जोर से रोने लगी। ये नजारा उस वक्त पूरा अस्पताल देख रहा था लेकिन किसी ने भी उसे चुप कराने की कोशिश नहीं की। इसके बाद बच्चे के परिजन काफी आक्रोशित हो गए और अस्पताल में हंगामा करने लगें। अस्पताल प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर बीमार बच्चे और उसकी मां को यहां-वहां नहीं दौड़ाया जाता तो शायद बच्चे की जान बच जाती। लेकिन पैसे के बिना मरीज को इलाज मिलता ही कहां है। देखते-देखते हंगामा बढ़ा और परिजन अस्पताल के गेट पर ही बच्चे की लाश रखकर धरना देने लगे। उनका कहना था कि दोषियों पर कार्रवाई की जाए ताकि किसी दूसरे गरीब के साथ ऐसा ना हो।
मुजफ्फरपुर एसकेएमसीएच अस्पताल में अहियापुर थाना क्षेत्र के रहने वाले परवेज की दो साल का बेटा अचानक बीमार हो गया। जिसे इलाज के लिए एसकेएमसीएच लाया गया लेकिन इमरजेंसी में तैनात डॉक्टरों ने उसे पीआइसीयू में रेफर कर दिया। जब वहां बच्चे को लेकर उसकी मां पहुंची तो नर्स ने उसे दवा नहीं होने की बात बताते हुए भर्ती करने से इनकार कर दिया। जिसके बाद बच्चे की मां उसे गोद में लेकर इधर-उधर भटकती रही। इसी दौरान बच्चे की मौत हो गई। बच्चे की मौत हो जाने के बाद परिजनों का आक्रोश भड़क उठा और वो हंगामा करने लगे। इससे वहां अफरा-तफरी मच गई। फिर किसी तरह अस्पताल प्रशासन के द्वारा उसे समझा-बुझाकर शांत किया गया और दोषियों पर कार्रवाई करने की बात कही गई।
वहीं अस्पताल प्रशासन के द्वारा मृत बच्चे को श्मशान ले जाने के लिए एंबुलेंस की सुविधा देने की बात कही गई। लेकिन बच्चे की मां ने उसे लेने से इनकार कर दिया। उसका कहना था कि जब वो जिंदा था तो ना उसे बेड मिला ना ही ट्रॉली। हम उसे गोद में हीं लेकर इधर-उधर भटकते रहे। अब मरने के बाद उसे एंबुलेंस की सुविधा देकर क्या होगा। जिसके बाद बच्चे की मां अपने मृतक बेटे की लाश को गोद में लेकर श्मशान की तरफ चल पड़ी और वहां उपस्थित बेरहम डॉक्टर ये नजारा देखते रहे।
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