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Club Foot Surgery: भागलपुर इलाज करवाने पहुंचा अफ्रीकी मरीज़, दुर्लभ बीमारी का सफलतापूर्वक हुआ इलाज

विदेशों में स्वास्थ्य सेवाएं काफी अच्छी हैं, इसके बावजूद विदेशी मरीज़ बिहार में इलाज करवाने के लिए पहुंच रहे हैं।अब मेडिकल के क्षेत्र में भी प्रदेश का नाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रोशन हो रहा है।

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Club Foot Surgery In Bihar: बिहार में लचर स्वास्थ्य व्यवस्था की खबरें तो पढ़ने को मिलती ही रहती हैं, लेकिन आज हम आपको बिहार की बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था की खबर से रूबरू करवाने जा रहे हैं, जिसे पढ़ कर आप भी फख्र महसूस करेंगे। विदेशों में इलाज की बेहतर व्यवस्था है, हिंदुस्तान की राजधानी दिल्ली में भी एक बढ़कर एक अस्पताल है। इसके बावजूद विदेशी मरीज़ों का बिहार को पहली पसंद बना रहे हैं। दरअसल बिहार के भागलपुर ज़िले में गांबिया (अफ्रीका) के रहने वाले लेमिन टोरे अपने इलाज पहुंचे थे। वह दुर्लभ बिमारी क्लबफुट से पीड़ित थे, लेकिन अब उनका इलाज सफलतापूर्वक हो गय है। क्लबफुट बिमरी क्या है, इसकी जानकारी हम आपको आगे बताएंगे उससे पहले अफ्रिकी मरीज़ ने बिहार का रुख कैसे क्या ये जानते हैं ?

अफ्रीका से इलाज करवाने पहुंचे लेमिन टोरे

अफ्रीका से इलाज करवाने पहुंचे लेमिन टोरे

भागलपुर के तातारपुर स्थित डॉ इम्तियाज उर रहमान के नर्सिंग होम में लेमिन टोरे का इलाज हुआ। यू-ट्यूब पर लेमिन टोरे की बहन ने अजकरी वीडियो देखा और फिर अपने भाई को इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बिहार के भागलपुर ज़िले में डॉ इम्तियाज उर रहमान क्लब फुट के इलाज का तरीका अच्छा है। अफ्रीका और दूसरे जगहों के मुकाबले इलाज में रुपये भी कम थे, वीडियो भी उन्हें संतोषजनक लगा। ग़ौरतलब है कि लेमिन टोरे की बहन लंदन में बतौर नर्स काम करती है। इसके बावजूद उन्होंने भाई को बिहार में इलाज कराने की सलाह दी।

13 लाख की जगह 1 लाख में हुआ इलाज

13 लाख की जगह 1 लाख में हुआ इलाज

डॉक्टर से कंसल्ट करने के अफ्रीकी दूतावास ने भी डॉ इम्तियाज उर रहमान से संपर्क साधा, इसके बाद लेमिन टोरे अपने भाई के साथ दिल्ली पहुंचे और फिर दिल्ली से हवाई रास्ते से देवघर आए। देवघर पहुंचने के बाद नर्सिंग होम की तरफ से मरीज को ट्रासंपोर्टेशन की सुविधा दी गई, इसके बाद लेमिन टोरे का सफलतापूर्वक इलाज हुआ। मरीज़ की ने बताया कि बिहार में इलाज कराने 75 फीसद कम रुपये लगे औऱ बेहतर सुविधा भी दी गई। मरीज़ के भाई ने कहा कि अफ्रीका और तुर्कि में इस दुर्लभ बीमारी का इलाज नहीं मिल पा रहा था। पड़ोसी मुल्कों में क़रीब 13 लाख रुपये इलाज का खर्च बताया जा रहा था। बिहार में 1 लाख रुपये में ही इलाज हो गया।

'पैदाइशी मुड़ी हुई पैर की बीमारी है क्लब फुट'

'पैदाइशी मुड़ी हुई पैर की बीमारी है क्लब फुट'

विदेश से आये मरीज़ का फीडबैक तो आपने जान लिया, आइए अब उस बीमारी के बारे में जानते हैं जिसके इलाज के लिए विदेशों से लोग बिहार का रुख कर रहे हैं। डॉ इम्तियाज उर रहमान कि मानें तो क्लब फुट (पैदाइशी मुड़ी हुई पैर) बीमारी में पंजा मुड़ा होता है। मुड़े हुए पंजे को बेहतर तकनीक से सीधा करने का वीडियो यू-ट्यूब पर डाला हुआ है। उस वीडियो को देख कर विदेशों से मरीज़ इलाज करवाने आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि पहले भी अब्दुल्लाह हसन (सोमालिया), गोलेद अब्दुल्लाह (तुर्की), फहद अब्दुल्लाह (तुर्की) का कामयाब इलाज हुआ है। विदेशों से और भी मरीज़ इलाज करवाने के लिए संपर्क कर रहे हैं।

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English summary
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