क्या नीतीश कुमार और सोनिया गांधी में हुई कोई डील ? बिहार के सत्ताधारी गठबंधन में सियासी तूफान
पटना, 8 अगस्त: बिहार की सत्ताधारी गठबंधन जेडीयू और बीजेपी के बीच पहली बार गंभीर खतरा नजर आ रहा है। प्रदेश जेडीयू अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने पिछले दो दिनों से गठबंधन के संबंधों को लेकर जिस तरह की टिप्पणियां की हैं, उससे लगता है कि दरार काफी वास्तविक है। यही वजह है कि नीतीश कि पार्टी की ओर से भाजपा पर खुलेआम पार्टी को तोड़ने की कोशिशों जैसे आरोप लगाए जा रहे हैं। सोमवार को ललन सिंह ने कहा कि 'क्या यह बीजेपी तय करेगी कि जेडीयू से कौन मंत्री बनेगा ?....जो हमने कहा था, वह सही साबित हुआ है....'
क्या नीतीश कुमार और सोनिया गांधी में हुई कोई डील ?
जेडीयू का भाजपा के खिलाफ तेवर सामने आने के बीच मंगलवार को विपक्षी आरजेडी और सत्ताधारी जेडीयू ने अपने-अपने एमएलए की राजधानी पटना में अलग-अलग बैठकें बुलाई हैं। वहीं, सत्ताधारी गठबंधन की एक और सहयोगी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) ने भी अपने चारों विधायकों के साथ एक बैठक तय की है। यह सियासी हलचल उन खबरों के बाद शुरू हुई है कि बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू सुप्रीमो नीतीश कुमार की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ फोन पर किसी तरह की कोई कथित डील हुई है।
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मंगलवार को नीतीश ले सकते हैं कोई बड़ा फैसला ?
सोमवार को लगातार दूसरे दिन भी नीतीश की पार्टी जेडीयू ने बीजेपी पर अपना हमला जारी रखा है। रविवार को जदयू ने नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ कथित साजिश में भाजपा का हाथ होने की ओर इशारा किया था। सीएम नीतीश ने सोमवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हुई नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल बैठक को भी नजरअंदाज किया था। जेडीयू सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री आवास पर ही पार्टी के सभी 45 विधायकों के साथ मंगलवार को बैठक होगी। उधर राजद ने भी अपने सारे 79 एमएलए को सोमवार रात तक पटना पहुंचने को कहा है, ताकि तेजस्वी यादव की ओर से बुलाई गई बैठक में शामिल हो सकें।
मोदी कैबिनेट में शामिल होने से इनकार कर चुकी है जेडीयू
इस बीच जेडीयू और आरजेडी एक-दूसरे के खिलाफ शांत रहकर पास आने के संकेत दे रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में सत्ताधारी दल और मुख्य विपक्षी पार्टी के बीच यह सियासी शांति किसी बहुत बड़े सियासी तूफान की ओर इशारा कर रहा है। तेजस्वी यादव की ओर से महंगाई को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ जारी अभियान पर जेडीयू से रविवार को जब पूछा गया था तो पार्टी का कहना था कि यह उनका अधिकार है। जेडीयू और बीजेपी में मौजूदा दूरी पूर्व केंद्रीय मंत्री और जेडीयू से बाहर हुए आरसीपी सिंह एपिसोड के बाद देखने को मिल रही है। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा है कि उनकी पार्टी मोदी कैबिनेट में शामिल नहीं होगी।
बीजेपी कर चुकी है गठबंधन जारी रखने का वादा
जानकारी के मुताबिक हाल में पटना में भारतीय जनता पार्टी की जो दो दिवसीय कार्यकारिणी हुई थी, उसे भी जदयू में पसंद नहीं किया गया है। हालांकि, भाजपा में शीर्ष स्तर पर इस बात को जोर देकर कहा गया है कि जेडीयू के साथ गठबंधन 2024 के लोकसभा चुनावों और 2025 के विधानसभा चुनावों में भी कायम रहेगा। दरअसल, 2020 के विधानसभा चुनावों में भाजपा जिस तरह से जेडीयू से बड़ी पार्टी बनकर उभरी, नीतीश की पार्टी में तभी से सहयोगी को लेकर असहजता देखी गई है।
आरसीपी को लेकर बढ़ा है विवाद
जेडीयू सूत्रों का दावा है कि 'बीजेपी आरसीपी सिंह को एकनाथ शिंदे बनाने की कोशिश कर रही थी' इसका उनके पास कथित सबूत भी है। कभी नीतीश के दाहिने हाथ माने जाने वाले जेडीयू में नंबर-दो की हैसियत रखने वाले आरसीपी को कथित तौर पर बिना मुख्यमंत्री की सहमति के मोदी सरकार में मंत्री पद दिया गया था। लेकिन, नीतीश की पार्टी से उन्हें दोबारा राज्यसभा में पहुंचने का रास्ता बंद करने के बाद उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ गया।
नीतीश ही करेंगे कोई फैसला ?
शनिवार को नीतीश के पूर्व सहयोगी ने पार्टी की ओर से 2013 से लेकर 2022 के बीच उनके परिवार की ओर से 47 प्लॉट खरीदे जाने के आरोपों के बाद जेडीयू छोड़ दिया था। आरजेडी ने फिलहाल सार्वजनिक तौर पर अपने राजनीतिक पत्ते नहीं खोले हैं। पूरे देश की नजरें अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर टिकी हैं कि वह क्या भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ते हैं या फिर तमाम तरह की अटकलों और आरोपों को विराम देकर सरकार कायम रखते हैं। (कुछ तस्वीरें-फाइल)