बिहार: 12वीं पास युवक ने किसानों के लिए तैयार किया ड्रोन, अब कर रहे हैं करोड़ों में कमाई
पटना, 28 अप्रैल 2022। बड़े और बुजुर्ग लोग बच्चों को यही सलाह देते हैं कि मेहनत से पढ़ाई करो तो अच्छी नौकरी मिलेगी। वहीं दूसरी तरफ़ यह भी कहावत सुन्ने को मिलती है कि हुनर किसी डिग्री का मोहताज नहीं। इसी कहावत को मधुबनी (बिहार) के रहने वाले देवेश झा ने सच कर दिखाया है। देवेश की पढ़ाई की बात की जाए तो उन्होंने सिर्फ़ 12वीं तक ही पढ़ाई की है लेकिन उन्होंने अपने हुनर के दम पर सभी लोगों को अपना मुरीद बना लिया है। दरअसल देवेश झा ने 5 साल की कड़ी मेहनत के बाद एक ड्रोन तैयार किया है, जिससे किसानों का काफ़ी फ़ायदा हो रहा है। इसके साथ देवेश अपने हुनर की बल पर करोड़ों रुपये की कमाई भी कर रहे हैं।

देवेश ने सिर्फ 12वीं तक की है पढ़ाई
देवेश ने बिना ग्रैजुएशन किए ही एक ऐसा ड्रोन बनाया है जिसकी वजह से किसानों की मेहनत आधी हो गई है। अब आप सोच रहे होंगे कि ड्रोन से किसानों की मेहनत आधी होने से क्या लेना देना है। तो आइए जानते हैं किस तरह से ड्रोन की वजह से किसानों को आसानी हो रही है। देवेश की मानें तो अपनी फसलों पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करने में किसानों को कई घंटे लग जाते हैं। इसके साथ ही छिड़काव के दुष्प्रभाव से किसानों की तबियत भी बिगड़ जाती है। इसलिए उन्होंने (देवेश झा) ने ड्रोन बनाया जिससे किसान खेतों में छिड़काव कर सकेंगे। किसान इस ड्रोन से छिड़काव के काम को कुछ ही घंटों में निपटा दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि 30 हजार एकड़ से ज्यादा की फसलों का छिड़काव इस ड्रोन के ज़रिए किया जा चुका है।
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10 लाख की लागत से शुरू किया था काम
देवेश के द्वारा तैयार किए गए ड्रोन का इस्तेमा अब ना सिर्फ़ बिहार सरकार बल्कि हरियाणा सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार समेत कई दूसरी राज्यों की सरकारें भी कर रही हैं। ग़ौरतलब है कि यूरोप के कई देशों में भी देवेश के ड्रोन प्रोजेक्ट की डिमांड काफ़ी ज्यागदा है। आपको बता दें कि अपनी टीम के साथ देवेश अपने बनाए किसान स्टेशन से किसानों की फसलों जुड़ी समस्याओं का समाधान भी करते हैं। देवेश ने 10 लाख की लागत से साल 2017 में डेबेस्ट नाम से एक स्टार्टअप की शुरूआत की थी। पिछले साल उनकी कंपनी का टर्नओवर 4 करोड़ रुपये था। देवेश के मुताबिक उनकी कंपनी के पास फिलहाल आभी 40 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट है।
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बचपन से ही कुछ नया करना चाहते थे देवेश
देवेश झा बताते हैं कि बचपन से ही वह कुछ नया करने की सोच रखते थे। 12वीं की पढ़ाई के बाद 2010 में देवेश दिल्ली आ गए। अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला तो ले लिया लेकिन क़रीब दो महीने बाद ही कॉलेज को अलविदा कहा दिया। कॉलेज छोड़ने के बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रही। चूंकि उनके ज़ेहन में कुछ नया करने का था इसलिए वह नई-नई किताबों का मुताला करने लगे और इसके साथ ही रिसर्च बेस्ड पढ़ाई भी करने लगें। इसके बाद कई संस्थानों के साथ जुड़कर देवेश ने डेटा साइंस पर काम किया। वहीं आईआईटी कानपुर, खड़गपुर के साथ मिलकर अपने स्टार्टअप पर काम करने लगे। आज उन्होंने इसी नया करने की सोच के साथ अपनी एक अलग पहचान बना ली है और करोड़ों की कमाई कर रहे हैं।
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