ओबीसी आरक्षण संशोधन को लेकर एमपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह प्रार्थना की
पंचायत और निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में एमपी सरकार की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई जारी। एमपी के पंचायत और निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण मिलेगा या नहीं ?
भोपाल, 17 मई। मध्यप्रदेश में एक तरफ नगरी निकाय चुनाव को लेकर सियासी गर्मियां तेज हो गई हैं। वहीं दूसरी तरफ आज सुप्रीम कोर्ट में पंचायत व निकाय चुनाव को लेकर अहम सुनवाई जारी हैं। इसके लिए राज्य सरकार ने 4 पॉइंट की प्रार्थना की है। अब इस पर राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की दूसरी रिपोर्ट सौंपी। कोर्ट को बताया कि यह रिपोर्ट स्थानीय निकायवार आरक्षण प्रतिशत के संबंध में हैं। इस रिपोर्ट में अनुरोध किया गया कि कोर्ट इस रिपोर्ट पर भरोसा करें और इसके आधार पर ओबीसी आरक्षण अधिसूचित करने की अनुमति दें। इसके लिए 4 सप्ताह का समय मांगा गया। साथ ही कहा गया कि समानता पूर्वक इतना समय एससी,एसटी(sc-st)आरक्षण के लिए भी लगेगा। कहा गया कि ओबीसी आरक्षण की अधिसूचना की मंजूरी देने वाले आदेश से किसी पार्टी को पूर्वाग्रह नहीं होगा।
मध्य प्रदेश सरकार ने ओबीसी आरक्षण देने के लिए 2011 के जनसंख्या के आंकड़े प्रस्तुत किए। इसके अनुसार ओबीसी की कुल जनसंख्या 51% आबादी बताई गई है। सरकार ने माना कि इस आधार पर ओबीसी को आरक्षण मिलता है तो उसके साथ न्याय होगा।
वहीं दूसरे पक्ष की ओर से ये कहा गया कि अगर सरकार की तरफ से कोई लापरवाही हुई है तो उसके लिए ओबीसी वर्ग जिम्मेदार नहीं है। अन्य पिछड़ा वर्ग को उसका संवैधानिक अधिकार मिलना चाहिए। सूत्रों की माने तो अब इस मामले में कल दोबारा सुनवाई होने की संभावना जताई जा रही है।
दरअसल शिवराज सरकार ने एप्लीकेशन फॉर मॉडिफिकेशन के माध्यम से बिना ओबीसी आरक्षण के पंचायत चुनाव कराए जाने के सुप्रीम कोर्ट के 10 मई के आदेश में संशोधन की मांग की थी। सरकार की इस मांग पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही हैं।
मॉडिफाई ऑर्डर के लिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में क्या-क्या प्रार्थना की ?
- एमपी सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की दूसरी रिपोर्ट के आधार पर ओबीसी आरक्षण को नोटिफाइड करने के लिए और एससी,एसटी आरक्षण देने के लिए 4 सप्ताह का समय मांगा।
- 2022 में किए गए परिसीमन के आधार पर चुनाव कराने की अनुमति दी जाए।
- राज्य निर्वाचन आयोग को 2 सप्ताह के बजाय 4 सप्ताह में चुनाव की सूचना जारी करने का आदेश दिया जाए।
- ऐसे अन्य आदेश पारित करें जो इस मामले की परिस्थिति में उचित समझें।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एडवोकेट वरुण ठाकुर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को OBC आरक्षण के बिना चुनाव कराने को कहा था। इसमें ओबीसी कमीशन द्वारा दूसरी रिपोर्ट सौंपी गई है जिसमें चुनाव क्षेत्र बार डाटा एनालिसिस किया गया। चुनावी क्षेत्र के आधार पर ओबीसी आरक्षण देने की सिफारिश की है। इन सब विषयों पर चर्चा हुई। जय ठाकुर की ओर से कहा गया कि अगर कमीशन और राज्य सरकार ड्यूटी सही ढंग से नहीं कर पाती, तो उसका खामियाजा मध्य प्रदेश के ओबीसी वर्ग को नहीं भुगतना चाहिए। उन्हें उसके संवैधानिक अधिकार मिलने चाहिए। यदि कोई गलती करता है तो उसे दंडित करना चाहिए।
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