Mukhtar Malik : एमपी के गैंगस्टर ने राजस्थान के जंगलों में तड़प-तड़पकर पाई मौत, बूंद-बूंद पानी को तरसा
Gangster Mukhtar Malik : एमपी के गैंगस्टर ने राजस्थान के जंगलों में तड़प-तड़पकर पाई मौत, बूंद-बूंद पानी को तरसा
झालावाड़, 4 जून। मध्य प्रदेश के कुख्यात गैंगस्टर 61 वर्षीय मुख्तार मलिक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। गोली लगने से घायल हुए मलिक की मौत डी-हाइड्रेशन यानी पानी की कमी के कारण हुई है। अपने आखिरी समय में वह राजस्थान के झालावाड़ जिले के कांसखेड़ली के जंगलों में बूंद-बूंद पानी को तरसा और तड़प-तड़पकर मर गया।
बंटी गुर्जर गुट से झड़प हो गई थी
गैंगस्टर मुख्तार मलिक का झालावाड़ जिले में भीमसागर बांध के कैचमेंट क्षेत्र और कालीसिंध बांध में मछली पकड़ने के ठेके का लेकर उसकी बंटी गुर्जर गुट से झड़प हो गई थी। दोनों गैंग के बीच जमकर फायरिंग हुई। इस गैंगवार में मुख्तार मलिक को गोली लगी। तब उसने छिपने के लिए जंगल का सहारा लिया। कांसखेड़ली के जंगल में दो दिन तक घायल अवस्था में भूखा-प्यासा घूमता रहा। उसके पैरों में छाले भी पड़ गए थे।
प्यास की वजह उसकी मौत हो गई
प्यास की वजह उसकी मौत हो गई। हालांकि पुलिस को मुख्तार मलिक नदी से करीब एक किलोमीटर दूर जंगल में घायलावस्था में पड़ा मिला था। उसके बाद पुलिस उसे उठाकर अस्पताल लाई। यहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम के बाद मुख्तार का शव उसके परिजनों को सौंप दिया।
40 साल से जुर्म की दुनिया में सक्रिय था
बता दें कि मुख्तार मलिक मध्य प्रदेश के सबसे खतरनाक गैंगस्टर में से एक था। उसके खिलाफ विभिन्न पुलिस थानों में संगीन अपराध के 58 केस दर्ज थे। 61 वर्षीय मुख्तार बीते 40 साल से जुर्म की दुनिया में सक्रिय था। मुख्तार भोपाल के कोहेफिजा में प्राइड हाईट्स स्थित घर में रहता था।
21 की उम्र में ही जुर्म का रास्ता चुन लिया
बताते हैं कि मुख्तार मलिक ने 21 की उम्र में ही जुर्म का रास्ता चुन लिया था। साल 1982 में पहली बार वह ज्यादती के आरोपी में गिरफ्तार हुआ। उसके बाद साल 1990 में मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा को धमकी देने का मामला भी सुर्खियों में रहा।
2006-07 में हाईकोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी
भोपाल की जिला अदालत में मुन्ने पेंटर गैंग के बीच हुए गैंगवार में मुख्तार मलिक को साल 2006-07 में हाईकोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन मुख्तार ने सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर अर्जी लगाई और वहां से बरी हो गया। मुख्तार के खिलाफ हत्या के प्रयास, ज्यादती, अपहरण और अड़ीबाजी समेत 58 गंभीर मामले दर्ज हैं।
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