भोपाल की जामा मस्जिद के नीचे मंदिर होने का दावा, संस्कृति बचाओ मंच ने गृहमंत्री को दिया ज्ञापन
संस्कृति बचाओ मंच ने गृह मंत्री और मुख्यमंत्री से मांग की है कि भोपाल की जामा मस्जिद पर पुरातत्व सर्वेक्षण करवाकर पता किया जाए यहां पर भी शिव मंदिर हैं या नहीं?
भोपाल,19 मई। यूपी की ज्ञानवापी मस्जिद बाद अब एमपी में मंदिर-मस्जिद को लेकर बवाल शुरू हो गया है। दरअसल संस्कृति बचाओ मंच ने ये दावा किया है कि पुराने मंदिर के खंडहर पर भोपाल की जामा मस्जिद का निर्माण करवाया गया था। संस्कृति बचाओ मंच और भगवा ब्रिगेड ने मांग की है कि कोर्ट जामा मस्जिद का हर एंगल से सर्वे कराए और इसमें पुरातत्व विभाग के लोग भी शामिल रहें। इसके पीछे हवाला यह दिया जा रहा है कि कुदसिया बेगम ने अपनी आत्मकथा में लिखा था कि 1832 में मंदिर के पुराने खंडहर पर जामा मस्जिद को बनाया गया है।
भोपाल में नवाब शासन था और उस समय कई मस्जिदों का निर्माण हुआ था वनइंडिया से बातचीत में संस्कृति बचाओ मंच के चंद्रशेखर तिवारी ने चौक क्षेत्र स्थित जामा मस्जिद पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जामा मस्जिद भोपाल के हिंदू मंदिर के ऊपर बनी है। ये हिंदू मंदिर सभा मंडल कहलाता था। उनके पास इसको लेकर प्रमाण भी है, जो वो कोर्ट में पेश करेंगे।
संस्कृति बचाओ मंच शीघ्र कोर्ट में करेगा याचिका दायर
जामा मस्जिद भोपाल, मध्य प्रदेश के चौक क्षेत्र में स्थित है। यह सुन्दर मस्जिद लाल रंग के पत्थरों से निर्मित है। इसका निर्माण भोपाल राज्य की 8वीं शासिका नवाब कुदसिया बेगम ने 1832 ई. में शुरू करवाया था। यह जामा मस्जिद 1857 ई. में बनकर पूर्ण हुई। मस्जिद के निर्माण पर लगभग पाँच लाख रुपये का ख़र्च आया था।
वास्तुकला पर दी जानकारी
भोपाल की जामा मस्जिद दिल्ली की जामा मस्जिद के समान ही चार बाग़ पद्धति पर आधारित है। नौ मीटर वर्गाकार ऊँची जगह पर निर्मित इस मस्जिद के चारों कोनों पर 'हुजरे' बने हुए हैं। इसमें तीन दिशाओं से प्रवेश द्वार है। अन्दर एक विशाल आंगन है। पूर्वी एवं उत्तरी द्वार के मध्य हौज़ है। यहाँ का प्रार्थना स्थल अर्द्ध स्तम्भों एवं स्वतंत्र स्तम्भों पर आधारित है। स्तम्भों की संरचना इस प्रकार है कि भवन स्वत: दो समानांतर भागों में विभाजित हो जाता है। प्रार्थना स्थल के दोनों ओर पाँच मंजिली विशाल गगनचुम्बी मीनारें इसके सौन्दर्य में अभूतपूर्व वृद्धि करती हैं।
कोष्ठकों का प्रयोग
मस्जिद की प्रथम मंज़िल पर छज्जेदार प्रलिंद हैं, जिसको आधार प्रदान करने के लिए कोष्ठकों का प्रयोग किया गया है। मीनार के हर पहलू में चार कोष्ठक अर्थात् एक मंज़िल में बत्तीस कोष्ठक हैं। पाँचवी प्रलिंद के ऊपर गुम्बद है, जिस पर पदमकोष एवं स्वर्ण कलश शोभित है। स्तंभों की इन क्रमबद्ध रचना से जो आलिन्द निर्मित हैं, उनमें सौन्दर्य वृद्धि के लिये स्तंभों के शीर्ष पर धनुषाकार मेहराबों का निर्माण किया गया है।
सुल्तान जहाँ बेगम ने 'हयाते कुदसी' में मंदिर का ज़िक्र
सुल्तान
जहाँ
बेगम
ने
'हयाते
कुदसी'
में
इस
बात
का
ज़िक्र
किया
है
कि
जामा
मस्जिद
का
निर्माण
उस
स्थान
पर
हुआ,
जहाँ
हिन्दुओं
का
एक
पुराना
मंदिर
था,
जो
सभा
मण्डल
के
नाम
से
जाना
जाता
था।
कोष्ठकों
का
प्रयोग
मस्जिद
की
प्रथम
मंज़िल
पर
छज्जेदार
प्रलिंद
हैं,
जिसको
आधार
प्रदान
करने
के
लिए
कोष्ठकों
का
प्रयोग
किया
गया
है।
मीनार
के
हर
पहलू
में
चार
कोष्ठक
अर्थात्
एक
मंज़िल
में
बत्तीस
कोष्ठक
हैं।
पाँचवी
प्रलिंद
के
ऊपर
गुम्बद
है,
जिस
पर
पदमकोष
एवं
स्वर्ण
कलश
शोभित
है।
स्तंभों
की
इन
क्रमबद्ध
रचना
से
जो
आलिन्द
निर्मित
हैं,
उनमें
सौन्दर्य
वृद्धि
के
लिये
स्तंभों
के
शीर्ष
पर
धनुषाकार
मेहराबों
का
निर्माण
किया
गया
है।
सुल्तान जहाँ बेगम ने 'हयाते कुदसी' में इस बात का ज़िक्र किया है कि जामा मस्जिद का निर्माण उस स्थान पर हुआ, जहाँ हिन्दुओं का एक पुराना मंदिर था, जो सभा मण्डल के नाम से जाना जाता था।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से मांग करेंगे कि भोपाल की जामा मस्जिद का पुरातत्व सर्वेक्षण कराएं
संस्कृति बचाओ मंच के संयोजक चंद्र शेखर तिवारी ने कहा कि वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से मांग करेंगे कि भोपाल की जामा मस्जिद का पुरातत्व सर्वेक्षण कराएं इसके लिए वे कोर्ट में याचिका दायर करेंगे। अगर निचली अदालत उनकी याचिका स्वीकार नहीं करती, तो वे हाईकोर्ट और फिर उच्चतम न्यायालय तक में याचिका दायर करेंगे।
फिलहाल यह दावा है और कई बार दावे हवा हो जाते हैं। आगे कोर्ट को तय करना है कि संस्कृति बचाओ मंच की याचिका स्वीकार करें या ना करें।
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