बरेली जंक्शन पर टीटी ने राजधानी एक्सप्रेस से फौजी को दिया धक्का, ट्रेन के नीचे आने से कटे दोनों पैर
भारतीय सेना ही हमारे भारत देश की असली रक्षक है। हमारा भारत देश साहसी लोगों की भूमि है जहां पर हर समय लोग बिना संकोच किये देश की रक्षा और राष्ट्र के लिए जान तक न्योछावर करने में जरा भी संकोच नहीं करते। भारतीय फ़ौज में होने से बड़ी गर्व की बात कोई और नहीं हो सकती। इंडियन आर्मी में कई बहादुर पुरुष और स्त्रियां अपने परिवार से दूर रहते हैं और अपने जीवन की बड़ी चीज़ों से वांछित रह जाते है। आज की यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना एक ऐसे ही फौजी के साथ घटी है जिसमे एक ट्रेन के टीटी द्वारा धक्का देने के बाद फौजी ने अपने दोनों पैर गवां दिए।
दोनों
पैर
चलती
ट्रेन
के
नीचे
आ
गए
दरअसल
पूरा
मामला
उत्तर
प्रदेश
के
जनपद
बरेली
के
रेलवे
स्टेशन
का
है।
बरेली
जंक्शन
के
प्लेटफार्म
नंबर
2
पर
खड़ी
राजधानी
एक्सप्रेस
जो
की
दिबुगर
से
दिल्ली
जा
रही
थी,
उसमे
कुछ
फौजी
चढ़ने
की
कोशिश
कर
रहे
थे।
चूँकि
ट्रेन
धीरे
धीरे
आगे
बढ़ने
लगी
थी
और
समय
कम
बचा
था
तो
फौजी
ने
भागकर
ट्रेन
को
पकड़ने
की
कोशिश
की।
इसी
दौरान
ट्रेन
के
टीटी
ने
फौजी
को
देख
लिया
और
उसे
बिना
सोचे
समझे
गेट
से
धक्का
दे
दिया।
नीचे
गिरते
ही
फौजी
के
दोनों
पैर
चलती
ट्रेन
के
नीचे
आ
गए
और
तत्काल
ही
उसने
अपने
दोनों
पैरों
को
गवां
दिया।
जैसे
ही
यह
हादसा
हुआ
प्लेटफार्म
पर
अफरा
तफरी
मच
गई।
घायल
फौजी
के
साथी
फौजियों
ने
तत्काल
ट्रेन
को
रोक
लिया
और
टीटी
को
ट्रेन
से
उतारकर
उसकी
जमकर
पिटाई
करने
लगे।
गुस्से
में
आग
बबूला
अन्य
सभी
फौजियों
ने
ट्रेन
को
वही
रोक
लिया
और
हंगामा
करने
लगे।
घटना
की
सूचना
तत्काल
पुलिस
को
दी
गई
और
मौके
पर
पहुंच
कर
पुलिस
ने
भारी
पुलिस
बल
की
सहायता
से
मामले
को
शांत
किया।
घायल
फौजी
को
इलाज
के
लिए
मिलिट्री
हॉस्पिटल
में
भर्ती
कराया
गया
है।
"हम
हर
वक़्त
उनके
साथ
है"
जैसा
की
हम
जानते
हैं
भारतीय
सेना
ही
हमारे
भारत
देश
की
असली
रक्षक
है।
हमारा
भारत
देश
साहसी
लोगों
की
भूमि
है
जहां
पर
हर
समय
लोग
बिना
संकोच
किये
देश
की
रक्षा
और
राष्ट्र
के
लिए
जान
तक
न्योछावर
करने
में
जरा
भी
संकोच
नहीं
करते।
इसी
लिए
हमारे
सिर
उनके
बलिदान
और
बड़प्पन
के
लिए
सम्मान
और
आभार
के
साथ
झुकते
हैं।
हम
आम
लोगों
का
भी
फ़र्ज़
है
की
हम
भारतीय
सेना
को
आदर
दे
और
उनको
प्रोत्साहित
करें
और
होंसला
दिलाएं
की
वो
अकेले
नहीं
हैं,
हम
हर
वक़्त
उनके
साथ
है।
लेकिन
कुछ
ऐसे
लोग
जो
अपनी
सरकारी
नौकरी
के
रुतबे
में
इस
कदर
चूर
रहते
हैं
कि
उन्हें
कोई
फर्क
नहीं
पड़ता
कि
सामने
वो
किसका
अहित
कर
रहे
हैं
और
क्यों
कर
रहे
हैं।
देश
का
बच्चा
बच्चा
जानता
है
की
कुछ
एक
लोगों
को
अगर
छोड़
दें
तो
किस
प्रकार
टीटी
ट्रेन
में
ऊपरी
कमाई
करते
नजर
आते
हैं।
अंत
में
ऐसे
लोगों
में
और
फौजी
में
यही
फर्क
समझ
आता
है
कि
"जिस
ज़िन्दगी
को
आप
फ़िक्र
में
जीते
हैं
उस
ज़िन्दगी
को
ये
फक्र
में
जीते
हैं,
फर्क
ये
भी
है
की
आप
वेतन
के
लिए
जिए
और
ये
वतन
के
लिए।
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