गांव में घर-घर चलती थी शराब की भट्टियां, बाराबंकी एसपी की प्यारी सी मुहिम ने बदल दिया नजारा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले का गांव चयनपुरवा इन दिनों एक बड़े बदलाव की कहानी लिख रहा है। इस कहानी में हमेशा से खलनायक दिखने वाली पुलिस नायक की भूमिका में है। इस बदलाव में गांव की महिलायें आगे बढ़कर आई हैं। उनमें उत्साह है, जज्बा है, वे कुछ कर गुजरने पर आमादा हैं। गांव तक पहुंचकर कोई सामान्य व्यक्ति भी इस नयी सकारात्मक सच को देख और समझ सकता है।
शराब कारोबार के मकड़जाल में फंसा एक गांव
बाराबंकी जिला मुख्यालय से लगभग 55 किलोमीटर दूर बसा यह गांव रामनगर इलाके मे है। इस गांव में बच्चे, महिलायें और पुरुष सब शराब बनाने, पीने, बेचने और पिलाने के धंधे में वर्षों से जुटे हुए थे। यही इनके रोजगार का एक मात्र साधन भी था। गरीबी, मुफिलिसी फिर भी इनके साथ ही रहती। बच्चों का काम था कि पुलिस जब भी गांव की ओर आती दिखे तो वे सबको सूचना दे दें। पुलिस और गांव वालों की इस लुकाछिपी के बीच का कड़वा सच यह भी है कि कई युवा असमय दुनिया छोड़ गए। वे अपने पीछे छोटे-छोटे बच्चे और बूढ़े माता-पिता, पत्नी को छोड़ गए। जुलाई महीने में इस गांव के इतिहास की जानकारी पुलिस अधीक्षक डॉ अरविन्द चतुर्वेदी को हुई। उन्होंने सभी तरह की जानकारियां जुटाई और और ग्रामीणों को शराब के इस मकड़जाल से निकालकर समाज की मुख्यधारा में लाने का फैसला किया। उनके सामने इसे लेक अनेक चुनौतियां थीं पर वे कामयाब हुए|
गांव में चौपाल लगाकर एसपी ने लोगों को भरोसे में लिया
सबसे बड़ी बात थी कि पुलिस पर ग्रामीण भरोसा कैसे करें? एसपी चतुर्वेदी ने इसके लिए पहले आसपास के स्थानीय लोगों को भरोसे में लिया। फिर ग्रामीणों को और बाद में गांव में चौपाल लगाने का फैसला लिया। वे खुद गए। आदतन इस चौपाल में चयनपुरवा के पुरुष शामिल नहीं हुए लेकिन महिलाओं ने शक-संकोच करते हुए भागीदारी की। धीरे-धीरे ग्रामीणों का पुलिस से बातचीत का सिलसिला तेज हुआ। पुलिस अधीक्षक के निर्देश और गाँव के लोगों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की उनकी सोच की वजह से पुलिस अब इस गांव में दोस्त की तरह आने-जाने लगी। देखते ही देखते गांव बदलाव महसूस करने लगा। अब पुलिस की गाड़ी देखकर यहां के लोग भागते नहीं हैं। वे उनका स्वागत करने को आतुर दिखते हैं। तीन महीने का यह बदलाव सुकून देता है। अकेले दीवाली में यहां के दीये देश के अनेक हिस्से में गए और ग्रामीणों को उनकी मेहनत का फल पैसों के रूप में मिला। उम्मीद की जा रही है कि आनेवाले कुछ महीनों में चयनपुरवा बाराबंकी जिले का वह गांव बनेगा, जहां लोग जाना चाहेंगे। तरक्की का इतिहास पढ़ना चाहेंगे।
गांव में बदलाव की बयार देखने को मिली
13 दिसंबर, 2020 को गांव में फिर एक चौपाल लगी जिसमें मुझे भी जाने का अवसर मिला। मैंने जो देखा और महसूस किया, वह बेहद सुकून देता है। भ्रमण के दौरान गांव में शराब बनाने का कोई निशान नहीं मिला। एक अस्थाई स्कूल चलता हुआ मिला, जहां छोटे-छोटे 50 से अधिक बच्चे पढ़ाई करते हुए मिले। एक छत पर कोई दर्जन भर महिलायें दुपट्टा बनाती हुई मिलीं तो दर्जन भर महिलायें मिट्टी के दीये सजाती और उसमें मोम भरने की कोशिशों में जुटी मिलीं। अगले सप्ताह महिलाओं के तीन समूहों की ट्रेनिंग बाराबंकी में तय है, जहां उन्हें पूजा की बत्ती बनाना, मशरूम की खेती करना, मिठाई के डिब्बे बनाने के साथ ही मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग दी जाएगी| इन सभी महिलाओं को कच्चा माल गांव में मिलेगा और तैयार माल यहीं से उठाने की व्यवस्था कर दी गयी है| गांव में अलग-अलग स्वयं सहायता समूह बन गए हैं। सभी समूहों की मुखिया गांव की ही कोई महिला है। एक ट्रस्ट बनाने की प्रक्रिया भी चल रही है| इसमें कुछ गांव के तथा कुछ जिले के ही जागरूक लोग शामिल किये जा रहे हैं।
गांव की तरक्की के मॉडल पर बन रही फिल्म
जिला प्रशासन की मदद से गांव में ढाई हजार वर्ग फीट का एक हॉल बनना शुरू हो गया है। यहीं गांव की सभी महिलायें नियमित अपना काम करेंगी। चौपाल में महिलाओं की भागीदारी भी खूब थी। बच्चे भी भी शामिल हुए। पुलिस के रंगरूटों की एक टोली सुबह ही गांव पहुंच गयी थी। सफाई के प्रति जागरूकता फैलाने के साथ ही इन जवानों ने पूरे गांव में सफाई भी की। पुलिस की ही मदद से एक स्वास्थ्य कैम्प लगा, जहां डॉक्टर्स भी मौजूद थे और दवाएं भी। एसपी चतुर्वेदी के प्रयासों से इस चौपाल में लखनऊ, बाराबंकी से अनेक जागरूक लोग पहुंचे| मौके पर ही आर्ट ऑफ़ लिविंग के लोगों ने कैम्प शुरू कर दिया। यह तीन दिन तक चलेगा। आर्ट ऑफ़ लिविंग के प्रतिनिधि राकेश चतुर्वेदी ने मिट्टी के बर्तन बनाने की मशीन दान देने की घोषणा की। आसरी फाउंडेशन के विपिन ने गांव में सभी के लिए पोषण वाटिका बनाने के साथ ही चयनपुरवा को आर्गेनिक विलेज के रूप में परिवर्तित करने का बीड़ा उठाया है। गांव की तरक्की के इस मॉडल पर एक फिल्म भी बनने जा रही है।
एसपी चतुर्वेदी ने कहा- हमारे सामने चुनौती थी...
एसपी डॉ अरविन्द चतुर्वेदी ने बताया कि चयनपुरवा हमारे लिए चैलेन्ज था। अब जब हमारे जवानों-अफसरों ने ग्रामीणों का भरोसा जीत लिया है तो काम आसान हो चुका है। इस चौपाल में कुर्सी इलाके के बेहडनपुरवा गांव के लोग भी आए थे| यह गांव भी शराब के धंधे में लगा हुआ है| उन्होंने चयनपुरवा की तरक्की देखी और विकास की मुख्यधारा से जुड़ने का फैसला किया। डॉ चतुर्वेदी के मुताबिक, अगले सप्ताह वे कुर्सी जाकर गांव के सभी लोगों से मिलेंगे, वहां का आंकलन करेंगे। उनका लक्ष्य जिले के हर ब्लॉक में एक मॉडल गांव विकसित करने का इरादा है। वे बताते हैं कि चयनपुरवा को मुख्यधारा में लाने में डीएम डॉ आदर्श सिंह समेत पुलिस के सभी अधिकारी, कर्मचारी, समाज के अन्य ढेर सारे लोगों ने हिस्सा लिया। सबने अपने-अपने तरीके से मदद की और कर रहे हैं।