नाई रमेश बाबू ने खरीदी 3.2 करोड़ रुपए की मर्सिडीज, 150 कारों का है उनके पास काफिला
कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है। बस उस काम में आपकी असली लगन दिखनी चाहिए। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है बेंगलुरु के मशहूर नाई रमेश बाबू ने।
बेंगलुरू। कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है। बस उस काम में आपकी असली लगन दिखनी चाहिए। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है बेंगलुरु के मशहूर नाई रमेश बाबू ने। जो खूब मेहनत के साथ अपना काम कर रहे हैं और अपने ख्वाबों को भी पूरा कर रहे हैं। रमेश बाबू ने अपना ख्वाब पूरा करने के लिए अब जर्मनी से एक नई कार मर्सिडीज एस 600 को मंगवाया है। रमेश बाबू बेंगलुरू के मशहूर नाई हैं और 75 रुपए में लोगों के बाल काटते हैं। उन्हें लक्जरी कारों का शौक है और वो कारों को किराए पर देने का काम भी करते हैं।
सिर्फ
तीन
लोगों
के
पास
है
ये
कार
फरवरी
माह
में
रमेश
बाबू
ने
नई
मर्सिडिज
कार
को
आयात
करवाया
है।
इसकी
कीमत
3.2
करोड़
रुपए
है।
आपको
बताते
चले
कि
बेंगलुरु
शहर
में
यह
कार
सिर्फ
विजय
माल्या
और
एक
अन्य
बिल्डर
के
अलावा
सिर्फ
रमेश
बाबू
के
पास
है।
इसके
अलावा
रमेश
बाबू
के
पास
इस
कार
के
अलावा
एक
रॉल्स
रॉयस,
11
मर्सिडिज,
3
ऑडी
और
दो
जैगुआर
कारें
हैं।
सैलून
में
पांच
घंटे
करते
हैं
काम
रमेश
टूर
एंड
ट्रैवल्स
के
मालिक
होने
के
साथ-साथ
रमेश
बाबू
रोजाना
अपने
सैलून
में
रोजाना
पांच
घंटे
काम
करते
हैं।
टीओआई
की
खबर
के
मुताबिक
इतनी
महंगी
कारों
के
मालिक
होने
पर
भी
एक
पेशेवर
नाई
के
रूप
में
रमेश
बाबू
अपनी
जड़ों
को
नहीं
भूले
हैं।
बेंगलुरु
में
रमेश
बाबू
को
अपनी
शानदार
सफेद
रॉल्स
रॉयस
घोस्ट
को
चलाते
भी
दिखाई
देते
हैं।
आपको
बताते
चले
कि
रमेश
ने
इन
कारों
के
लिए
बैंकों
से
बड़ा
लोन
लिया
है
पर
साथ
ही
उन्होंने
शहर
में
कई
रईस
लोगों
को
अपना
ग्राहक
बना
लिया
है
जिसके
कारण
उनका
काम
अच्छा
चल
रहा
है।
विजय
माल्या
के
पास
कार
थी
कार
पर
बिक
गई?
आपको
बताते
चले
कि
बैंकों
का
9000
करोड़
रुपया
लेकर
भाग
गए
विजय
माल्या
के
पास
भी
मायबक
कार
है
पर
वो
सुनहरे
रंग
की
है।
पर
अब
बेंगलुरु
की
सड़कों
पर
यह
कार
नहीं
दिखाई
देती
है।
उनके
लंदन
जाने
के
बाद
यह
कार
शहर
में
कभी
नहीं
दिखाई
दी
है।
लोगों
का
कहना
है
कि
यह
कार
बेच
दी
गई
है
पर
कुछ
लोगों
का
कहना
है
यह
यूबी
सिटी
में
रखी
गई
है।
मेरी
मां
ने
मुझे
गरीबी
में
पाला
टीओआई
ने
जब
रमेश
से
बात
की
तो
उन्होंने
बताया
कि
यह
गर्व
की
बात
है
कि
माल्या
और
एक
बिल्डर
के
बाद
शहर
में
केवल
मेरे
पास
यह
शानदार
कार
है।
रमेश
बाबू
ने
कहा
कि
भगवान
का
मुझ
पर
आशीर्वाद
है
इसीलिए
मैं
यहां
तक
पहुंच
सका
हूं।
उन्होंने
कहा
कि
मैं
चाहता
हूं
कि
मैं
दुनिया
की
हर
लक्जरी
कार
का
मालिक
बन
जाऊं।
उन्हें
अपनी
खराब
दिनों
की
भी
याद
है
और
वो
कहते
हैं
कि
मैं
नहीं
चाहता
कि
मैं
भूल
जाऊं
कि
मैं
कहा
से
आया
हूं।
मेरी
मां
ने
मेरे
पिता
की
मौत
के
बाद
बेहद
गरीबी
में
पाला
है।
इसलिए
मैं
अभी
भी
अपने
सैलून
में
काम
करता
हूं।
150
लक्जरी
कारों
का
काफिला
रमेश
बाबू
के
पिता
की
मौत
के
समय
उनकी
उम्र
केवल
नौ
साल
की
थी।
10वीं
पास
करने
के
बाद
उन्होंने
पढ़ाई
छोड़
दी
और
अपना
खानदानी
पेशा
नाई
का
काम
करना
शुरू
कर
दिया।
वर्ष
1994
में
उन्होंने
मारुति
ओमनी
वैन
खरीदी
और
उसे
किराए
पर
चलाना
शुरू
कर
दिया।
वहीं
से
रमेश
बाबू
पर
कारों
का
शौक
चढ़
गया।
अभी
तक
उनके
पास
150
लक्जरी
कारें
हैं
जिन्हें
वह
किराए
पर
चलाते
हैं।
इसी
के
जरिए
वो
अपने
टूर
एंड
ट्रैवल्स
को
बेहतर
बनाते
हैं।