सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, यूपी-उत्तराखंड के होमगार्डों को मिलेगा सिपाही के बराबर भत्ता
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के होमगार्डों के लिए खुशखबरी है। सुप्रीम कोर्ट ने होमगार्डों को यूपी के पुलिस कांस्टेबल के न्यूनतम वेतन के बराबर रोजाना भत्ता देने को कहा है और इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा होमगार्डों के भत्ते बढ़ाने वाले फैसले को सही मानते हुये योगी सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का लाभ अब सीधे तौर पर यूपी के लगभग 87000 होमगार्ड को मिलेगा और यूपी ही नहीं उत्ताखंड के भी 10 हजार से अधिक होमगार्ड इस आदेश के तहत लाभान्वित होंगे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने होमगार्ड की नियमित करने वाली मांग को नहीं माना हैं।
500 से बढ़कर अब मिलेंगे 850
उत्तर प्रदेश में होमगार्ड की संख्या करीब 92000 है। इनमें से लगभग 87000 होमगार्ड ड्यूटी कर रहे हैं। मौजूदा समय में होमगार्ड को प्रतिदिन की ड्यूटी के हिसाब से भत्ते के तौर पर 500 रूपये मिलते हैं। लेकिन, अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन्हें लगभग 850 रूपये मिलेंगे। हालांकि कोर्ट के आदेश के बाद कितना भत्ता तय होगा अभी इसकी आधिकारिक सूचना जारी नहीं की गयी है। लेकिन जानकार बताते हैं कि मौजूदा समय में पुलिस सिपाही का न्यूनतम वेतन लगभग 25 हजार रूपये हैं। ऐसे में एक होमगार्ड का रोजाना भत्ता बढ़कर करीब 850 रुपये हो जाएगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर
इलाहाबाद हाईकोर्ट में चार साल पहले होमगार्डों की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुये हाईकोर्ट ने 6 दिसंबर 2016 को होमगार्डों के हित में फैसला सुनाया था और कहा था कि होमगार्ड पुलिस कांस्टेबल के बराबर ही ड्यूटी करते हैं, ऐसे में वेतन न सहीं उन्हें कांस्टेबल के बराबर भत्ता दिया जाना चाहिये। हालांकि राज्य सरकार ने इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच में अपील की थी। लेकिन सरकार को डबल बेंच से भी कोई राहत नहीं मिली और भत्ता बढ़ाने के आदेश को कायम रखा गया था। इसके बाद राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची, लेकिन वहां से भी उसे झटका ही मिला है और कांस्टेबल के वेतन के बाराबर भत्ता दिये जाने का आदेश दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि होमगार्ड की भर्ती, ट्रेनिंग और शैक्षणिक योग्यता पुलिस कांस्टेबल के मानक पर नहीं होती। ऐसे में इनका भत्ता कांस्टेबल के समान नहीं किया जा सकता और अगर ऐसा फैसला हुआ तो राज्य सरकार पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा। हालांकि सरकार की दलीलों को सुप्रीम कोर्ट ने मानने से इन्कार कर दिया और कहा कि कानून के मुताबिक होमगार्ड की भर्ती आपात समय के दौरान काम करने के लिये हुई थी, लेकिन उनसे तो लगातार एक कांस्टेबल की तरह काम लिया जा रहा है। ऐसे में उन्हें नियमित नहीं किया जा सकता, लेकिन कांस्टेबल के बराबर भत्ता दिया जाना चाहिये। याचिका पर सुनवाई न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने की।
दिसंबर 2019 से मिलेगा भत्ता
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार अब होमगार्डों को दिसंबर 2019 से कांस्टेबल के न्यूनतम वेतन के बराबर भत्ता देना होगा। चूंकी फैसला पूर्ण पीठ ने सुनाया है तो सरकार के पास मौजूदा समय में दूसरा कोई रास्ता भी नजर नहीं आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को 8 सप्ताह का समय दिया है और राज्य सरकार को इस समय सीमा के भीतर ही बढ़ा हुआ भत्ता दिये जाने संबंधी आदेश जारी करना होगा। हफ्ते के भीतर इस संबंध में आदेश जारी करने के लिए कहा गया है।