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इलाहाबाद HC में सचिन को भारत रत्न के खिलाफ PIL पर फैसला सुरक्षित

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sachin tendulkar
इलाहाबाद। सारे नियमों को तोड़ते हुए केन्द्र की यूपीए सरकार ने महान क्रिकेटर सचिन तेदुंलकर को उनके रिटार्यमेंट के दिन देश का सबसे बडा नागरिक सम्मान देकर देश भर में उनके प्रशंसकों की डबल खुशी दी तो वहीं आलोचकों को मौका भी दे दिया।

सचिन को भारत रत्न सम्मान दिए जाने के विरोध में लखनऊ के आईपीएस अमिताभ ठाकुर और उनकी की पत्नी नूतन ठाकुर ने इलाहाबाद कोर्ट में याचिका दायर की थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में इस सचिन को भारत रत्न सम्मान दिए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

याचिका मे कहा गया कि क्रिकेट का खेल खेल कम और तमाशा ज्यादा है, जो देश की प्रगति में सीधे बाधक है। भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है और इसे अत्यंत विचार-विमर्श के बाद ही किसी को दिया जाना चाहिए। याचिका में भारत रत्न देने की प्रक्रिया को भी चुनौती दी गई है। याचियों की तरफ से कहा गया कि यह पुरस्कार अकेले प्रधानमंत्री की संस्तुति पर दिया जाता है, जिसमें न तो पारदर्शिता है और न ही सार्वभौमिकता।

उन्होंने यह पुरस्कार एक वृहद कमेटी द्वारा दिए जाने और इस कमेटी द्वारा अब तक देश के समस्त वास्तविक रूप से महान भारतीय जैसे अशोक, अकबर, कालिदास, कबीर आदि को दिए जाने की मांग की है ताकि यह पुरस्कार अपने नाम को वास्तविक रूप से साकार कर सके।

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English summary
The Lucknow bench of the Allahabad High Court reserved its order on a PIL challenging the award of Bharat Ratna, India's highest civilian award, to cricketer Sachin Tendulkar.
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