ढाई साल के मयंक को Agra पुलिस ने सकुशल किया बरामद, छानी थीं 200 CCTV फुटेजे
पिछले कुछ सालों में उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपनी कार्यप्रणाली से लेकर टेक्नोलॉजी में खासा बदलाव किया है, जिसका नतीजा है कि यूपी में अपराध और अपराधी दोनों अब कानून के आगे मजबूर नजर आते है। ऐसा नहीं है कि अपराधियों ने अपराध करना ही छोड़ दिया है। अभी भी बहुत से भेड़िये समाज में खुले घूम रहे हैं और कई घटनाओं को अंजाम देने की फ़िराक में रहते हैं। मगर यूपी पुलिस के बदले तेवर ने बदमाशों को अब सोचने पर मजबूर कर दिया है। ऐसे ही एक ताजे मामले में आगरा पुलिस ने 24 घंटे के अंदर ही ढाई साल के मासूम को अपहरणकर्ताओं के चुंगल से सकुशल बरामद कर, अपराधियों को मुंहतोड़ जवाब दिया है।
24
घंटो
में
ढाई
साल
का
मयंक
सकुशल
बरामद
दरअसल,
आगरा
के
शाहगंज
दौरेठा
गली
नंबर
दो
निवासी
व्यापारी
जयप्रकाश
का
ढाई
साल
का
बेटा
मयंक
मंगलवार
शाम
को
घर
के
बाहर
खेल
रहा
था।
अचानक
बालक
खेलते-खेलते
लापता
हो
गया।
सभी
घरवाले
मयंक
की
तलाश
में
जुट
गए
लेकिन
उसका
कहीं
सुराग
नहीं
लगा।
परिजनों
ने
बिना
देरी
किए
आसपास
लगे
सीसीटीवी
कैमरे
की
फुटेज
देखी,
तब
पता
चला
कि
पाड़ा
बस्ती
के
रास्ते
से
एक
संदिग्ध
युवक
मयंक
को
गोद
में
लेकर
जा
रहा
है।
इसकी
सूचना
तत्काल
पुलिस
को
दी
गई।
पुलिस
ने
लगभग
200
सीसीटीवी
फुटेज
को
खंगाला
और
कुछ
ही
देर
में
एक
संदिग्ध
युवक
को
गिरफ्तार
कर
लिया।
वह
नशे
की
हालत
में
था।
जब
पुलिस
ने
उससे
बच्चे
के
बारे
में
पूछताछ
की
तो
कुछ
जानकारी
नहीं
दे
सका।
जांच
में
पता
चला
कि
वह
बच्चों
को
नहीं
ले
गया,
जो
युवक
से
सीसीटीवी
फुटेज
में
दिख
रहा
है
वो
कोई
दूसरा
है।
इसके
बाद
पुलिस
ने
बिना
देरी
किये
8
टीमें
गठित
कर
अपनी
छानबीन
को
और
तेज़
कर
दिया।
पुलिस
के
तत्काल
लिए
गए
एक्शन
की
वजह
से
मात्र
24
घंटे
के
अंदर
ही
पुलिस
ने
आरोपी
को
गिरफ्तार
कर
लिया
और
उससे
बच्चे
को
बरामद
कर
लिया
है।
काशीराम
आवास
योजना
के
तहत
बने
माकन
में
रखा
पुलिस
के
आईजी
रेंज
नचिकेता
झा
ने
पूरी
जानकारी
देते
हुए
बताया
कि
आगरा
से
ढाई
साल
के
मयंक
को
किडनैप
कर
बेचने
की
तैयारी
थी।
असल
में
बदमाशों
का
अभी
तक
कोई
पिछले
क्रिमिनल
रिकॉर्ड
नहीं
मिला
है।
आरोपी
का
नाम
मौसम
उस्मानी
है
और
मथुरा
का
रहने
वाला
है।
उनपर
काफी
कर्जा
होने
की
बात
भी
सामने
आई
है।
इन
हालातो
और
घटनाक्रम
को
देखकर
यह
प्रतीत
होता
है
कि
यह
स्थाई
अपराधी
नहीं
है
और
किसी
गिरोह
से
जुड़े
होने
के
सूत्र
भी
नहीं
मिले
है।
इसलिए
यह
कहा
जा
सकता
है
कि
इस
वारदात
को
बच्चे
को
बेचने
की
मंशा
से
अंजाम
दिया
गया
था।
अपहरण
के
बाद
बच्चे
को
मथुरा
में
काशीराम
आवास
योजना
के
तहत
बने
माकन
में
रखा
गया
था।
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