जांच एजेंसियां सरकार से मुक्त क्यों नहीं: अदालत
खंडपीठ ने यह भी आदेश दिया कि सरकार अपने जवाब में याचिका के उस हिस्से पर भी अपनी स्थिति स्पष्ट करे जिसमें यह प्रार्थना की गई है कि अन्वेषण एजेंसियों को अपनी जांच समाप्त करने के बाद राज्य सरकार से अनुमति लेने के बजाय सीधे न्यायालय में आरोपपत्र दायर करने का अधिकार मिले।
उत्तर प्रदेश की विभिन्न जांच एजेंसियों में सतर्कता अधिष्ठान, सीबी-सीआईडी, आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्ल्यू) व स्टेट इन्वेटिगेशन ब्यूरो (एसआईबी) शामिल हैं। याचिका में कहा गया है कि जांच एजेंसियों के जांचकर्ता अधिकारी से यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपराध की विवेचना करके उसके परिणाम से सीधे न्यायालय को अवगत कराएगा। इसके विपरीत, उत्तर प्रदेश में सतर्कता अधिष्ठान शासन के सतर्कता विभाग और सीबी-सीआईडी, ईओडब्ल्यू और एसआईबी गृह विभाग को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपते हैं और फिर वह इन पर अंतिम निर्णय लेता है।
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, यह व्यवस्था नियम के विरुद्ध है और इससे जांच और विवेचना में बाहरी अवांछनीय दवाब की संभावना बढ़ जाती है। राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता बुलबुल गोदियाल ने न्यायालय को बताया कि दिसंबर 2012 में महानिदेशक, ईओडब्ल्यू द्वारा विवेचना के बाद अपनी रिपोर्ट सीधे न्यायालय में दाखिल करने की अनुमति मांगी गई है जिस पर शासन विचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि शासन याचीगण द्वारा प्रस्तुत तथ्यों पर सकारात्मक ढंग से विचार करेगा।