अखिलेश के इन धुरंधरों ने बनाया साइकिल को रॉकेट
सपा के सूत्र बता रहे हैं कि इस टीम में आनंद भदौरिया को अखिलेश ने खासी जिम्मेदारी दे रखी थी। आनंद भदौरिया जाति से ठाकुर हैं। बातचीत में मृदुभाषी और किसी को भी प्रभावित कर लेने में सक्षम। 35 साल के आनंद का नाम तब लोगों की जुबान पर चढ़ा जबकि लखनऊ के डीआइजी डीके ठाकुर के बूट से रौंदा जा रहा उनका चेहरा अखबारों में प्रकाशित हुआ। बाद में भदौरिया समाजवादी पार्टी के फ्रंटल संगठन लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिए गए।
भदौरिया हर सभा में लोगों की प्रतिक्रिया और लोगों के रुझान पर ध्यान रखते थे और इसकी जानकारी अखिलेश तक पहुंचाते थे। सीतापुर के वे रहने वाले हैं। संजय लाठर भी टीम के सक्रिय सदस्य हैं। अखिलेश की सभाएं और उनकी रथ यात्रा यदि हर जगह नियोजित नजर आई तो उसके पीछे संजय लाठर ही थे। यात्रा एवं सभाओं के संयोजक के रूप में इन्होंने अप्रतिम भूमिका निभाई। युवजन सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय लाठर मास कम्युनिकेशन में पीएचडी हैं और अपनी इस पढ़ाई की वजह से वे लोगों को नब्ज जानने और अखिलेश को जताने में भी सफल रहे।
सुनील यादव साजन 31 साल की उम्र और हमेशा जोश सराबोर चेहरा। यह नाम सुर्खियों में तब आया था जब सन 2008 में सपा ने बसपा सरकार के खिलाफ छात्रसंघ चुनाव बहाल करने को लेकर प्रदेश व्यापी प्रदर्शन किया था। कहते हैं कि इस प्रदर्शन की पूरे रूपरेखा ही साजन ने बनाई थी। साजन को पीटा गया और 19 दिन जेल में रहना पड़ा। नावेद सिद्दीकी भी अखिलेश की टीम है। रेडियो मिर्ची से जुड़े इस जॉकी को अखिलेश यादव ने अपने साथ जोड़ा।
अखिलेश इनकी बोलने की कला से प्रभावित हैं। जगत सिंह पोस्ट ग्रेजुएट हैं। अखिलेश के पूरे अभियान में वे साये की तरह नजर आए। उन्होंने अखिलेश की सुरक्षा का दायित्व संभाला। जगत और अखिलेश बचपन के मित्र हैं। विजय चौहान आस्ट्रेलिया में पढ़ाई करने वाले विजय मैनपुरी के रहनेवाले हैं और अखिलेश से उनके पारिवारिक संबंध हैं। विजय ने सपा के सूचना तंत्र को आधुनिक रूप प्रदान किया। सोशल साइट्स पर ध्यान देते हुए उन्होंने सपा की वेबसाइट को खबरों पर केंद्रित किया। नफीस अहमद अखिलेश की टीम का मुस्लिम चेहरा हैं। आजमगढ़ के रहने वाले नफीस अहमद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रह चुके हैं।
राजीव राय बलिया के रहने वाले हैं। बेंगलूरू में 11 कालेज चलाते हैं और एक फार्मेसी कालेज भी इनका है। सपा के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में राजीव ने अखिलेश को मीडिया में नायक के रूप में पेश कराने में सफलता पाई। वह हमेशा चैनलों में व्यस्त नजर आए। अभिषेक मिश्र आईआईएम अहमदाबाद में एसोसिएट प्रोफेसर रहे हैं। पढ़े-लिखे लोगों की राजनीति में आने की सोच के तहत अखिलेश ने उन्हें राजनीति में आने को तैयार किया। सपा के प्रचार की जो थीम रही, उसके पीछे अभिषेक का ही दिमाग माना जाता है।