नई पार्टी तलाश रहे हैं बसपा के पूर्व माननीय
बसपा मुखिया मुख्यमंत्री मायावती ने विभिन्न कारणों के चलते अब तक 13 मंत्रियों को मंत्रीमंडल से हटा दिया है, वहीं 70 के करीब ऐसे विधायक हैं, जिनको इस बार टिकट ही नहीं दिया गया है। इनमें कई मंत्रियों का हटाने की मुख्य वजह लोकायुक्त की रिपोर्ट। इस रिपोर्ट में यह मंत्री दोषी पाये गये और उन्हें मंत्रीमंडल से बाहर कर दिया गया। बसपा से बाहर हुए माननीयों के सामने दिक्कत यह है कि मायावती उन्हें किसी भी कीमत पर टिकट देने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में जाहिर है कि इन नेताओं को अपना राजनीतिक भविष्य खतरे में नजर आ रहा है।
कई ऐसे नेता भी हैं जिन्हें अपने काले कारनामे छिपाने के लिए सत्ता की बेहद जरूरत हैं। ऐसे में उनके पास यही एक चारा है कि वह किसी दल में शामिल हो जायें। इनमें से कुछ को दूसरे दल में शामिल हो गये हैं और उन्हें टिकट भी मिल गया है लेकिन कई ऐसे हैं जो भाजपा, सपा व कांग्रेस में जाने के लिए जोड़-तोड़ लगा रहे हैं। इन बड़े दलों के साथ ही बसपा से बाहर हुए ये नेता पीस पार्टी सहित अन्य छोटे दलों में भी सहारा तलाश रहे हैं।
रविवार को मुख्यमंत्री मायावती ने चार मंत्रियों अवधेश वर्मा, हरिओम, राकेश धर त्रिपाठी व राजपाल त्यागी को बर्खास्त कर दिया। इससे पहले आनंद सेन, रघुनाथ प्रसाद शंखवार, राजेश त्रिपाठी व बादशाह सिंह को बर्खास्त किया जा चुका है।
बसपा से दूर हुए नेताओं में बाबू सिंह कुशवाहा का नाम काफी चर्चा में रहा है। एनआरएचएम घोटाले के चलते सीबीआई का शिकंजा तो उन पर है ही साथ ही मायावती के खास आलाधिकारियों पर हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाने के बाद यह और भी सुर्खियों में आ गये। सूत्रों की मानें तो श्री कुशवाहा अब अपने को बचाने के लिए किसी दल की शरण लेने को बेताब हैं।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी के घर आगजनी के मामले में सुर्खियों में आये बसपा के पूर्व बाहुबली जितेन्द्र सिंह बबलू को फिलहाल पीस पार्टी में शरण मिल गयी हैं लेकिन धनंजय सिंह बसपा के बेदलख होने के बाद अभी नया ठिकान ढूढ़ रहे हैं। वहीं सोमवार को बसपा से नाता तोड़ते हुए बादशाह सिंह ने भी एलान कर दिया कि वह बसपा के टिकट पर चुनाव नहीं लड़ेगे, उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें भी तेज हो गयी हैं।