आरक्षण की पहल अच्छी मगर काफी नहीं: मुस्लिम संगठन
जमीयत उलेमा-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने भाषा से कहा, यह अच्छी शुरुआत है, लेकिन सभी अल्पसंख्यकों के लिए महज़ साढ़े चार फीसदी आरक्षण बहुत कम है। हम उम्मीद करते हैं कि सरकार आने वाले वक्त में रंगनाथ मिश्रा आयोग की सिफारिश के मुताबिक मुसलमानों के लिए (10 फीसदी) आरक्षण की व्यवस्था करेगी। उन्होंने कहा, हम लंबे वक्त से मांग करते रहे हैं कि पिछड़े मुसलमानों को आरक्षण मिलना चाहिए। सरकार ने इसे मंजूरी दी है और इसकी हम सराहना करते हैं। हम आने वाले वक्त में सोनिया गांधी एवं प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगे और आरक्षण को बढ़ाने की मांग करेंगे।
उमरी ने कहा, हमारी मांग है कि देश के सारे मुसलमानों को पिछड़ा वर्ग घोषित किया जाए। इसके बाद रंगनाथ मिश्रा आयोग की सिफारिश के मुताबिक आरक्षण दिया जाए। आरक्षण का यह कदम चुनाव को देखते हुए उठाया गया है। हम इससे संतुष्ट नहीं हैं। जमात-ए-इस्लामी हिंद के अमीर (अध्यक्ष) मौलाना जलालुद्दीन उमरी ने कहा, साढ़े चार फीसदी आरक्षण नाकाफी है। रंगनाथ मिश्रा आयोग ने अल्पसंख्यकों के लिए 15 फीसदी आरक्षण की बात की है, जिसमें 10 प्रतिशत मुसलमानों के लिए है। इस पर अमल होना चाहिए।
इससे कम मुसलमान स्वीकार नहीं कर सकता। ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मशावरत के महासचिव इलियास मलिक ने कहा, केंद्र सरकार ने अच्छी पहल की है, लेकिन हमारी उम्मीदों के मुताबिक नहीं है। हमारी मांग है कि 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया जाए। उन्होंने कहा, मुसलमानों की स्थिति के बारे में सच्चर कमिटी ने जो बातें कहीं हैं, उसे लेकर अभी सही ढंग से कदम नहीं उठाया गया है। हम उम्मीद करते हैं कि सरकार सच्चर कमिटी और रंगनाथ मिश्रा आयोग की सिफारिशों पर सही ढंग से अमल करेगी।