2जी स्पेक्ट्रम मामलाः कैग और जोशी बोल रहे एक ही भाषा
गौरतलब है कि कैग के अधिकारी आरबी सिन्हा ने 13 जुलाई 2010 को अपनी सहयोगी रेखा गुप्ता को पत्र लिखकर कहा था कि पीएसी अध्यक्ष 2जी मामले की ऑडिट के काम में तेजी लाने के लिए दबाव डाल रहे हैं। इस मामले के बाहर आने के बाद कांग्रेस ने जोशी को आड़े हाथ लिया था। वहीं, कैग कार्यालय ने सिंह के पत्र के सामने आने से उठे विवाद के बाद विज्ञप्ति जारी कर अपना पक्ष रखा। कैग की ओर से कहा गया है अपने संवैधानिक कर्तव्य को निभाते समय किसी तरह के दबाव अथवा हस्तक्षेप के प्रयासों को कैग काफी गंभीरता से लेता है।
जोशी ने कहा, पीएसी ने अभी तक जो भी किया है, संविधान व संसदीय परंपराओं के दायरे व अपने अधिकार क्षेत्र में रहकर किया है। उन्होंने कभी भी कैग को इस मामले में जांच तेज करने के निर्देश नहीं दिए। समिति ने जब इस जांच को अपने हाथ में लिया था, उस समय वह अध्यक्ष नहीं थे। समिति ने जनवरी 2010 में कैग से इसकी जांच के बारे में पूछा था और कैग ने कहा था कि वह छह माह में रिपोर्ट दे देगा। इसलिए छह महीने में जब रिपोर्ट नहीं आई तो उनसे जांच की स्थिति के बारे में पूछा गया था, क्योंकि लोग इसका इंतजार कर रहे थे। इसमें कोई दबाब नहीं था। पीएसी को ऐसा पूछने का अधिकार है। जोशी ने कहा कि कैग पर जांच तेज करने के लिए दबाब डालने के आरोप पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है।
दरअसल कांग्रेस को पीएसी की रिपोर्ट हजम नहीं हो रही है। इसलिए वह जानबूझकर पीएसी व सीएजी को बदनाम करने में लगी हुई है। वह ऐसे प्रयासों का पुरजोर विरोध करते हैं और संप्रग को भी ऐसा करने के लिए सचेत कर रहे हैं। देश में 2-3 संस्थाएं ही ऐसी हैं, जो सरकार के कामकाज व लापरवाही पर नजर रखती हैं और घोटालों का पर्दाफाश करती हैं। ऐसे आरोप लगाकर इन संस्थाओं का कमजोर किया जा रहा है। यह भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना व जवाबदेही व पारदर्शिता को कम करना है। इसके पहले कैग के स्थापना दिवस कार्यक्रम में जोशी ने वहां उपस्थित वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी से इस संस्था को अधिक अधिकार दिए जाने की जोरदार वकालत की। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि सरकार कैग का दायरा बढ़ाने पर विचार कर रही है।