'किरण बेदी को भ्रष्ट साबित करने से आंदोलन नहीं थमेगा'
जरा गौर फरमाइये, जब से सिविल सोसायटी बनीं है तब से ही टीम अन्ना पर वार हो रहा है। सबसे पहले शांति भूषण और प्रशांत भूषण पर कथित सीडी का आरोप लगा। उसके बाद स्वामी अग्विनेश पर टीम अन्ना से बगावत करने की बात सामने आयी,फिर आया नंबर अरविंद केजरीवाल का, जिन पर अपनी कपंनी के पैसे खाने का आरोप लगा, जब वहां भी दाल नहीं गली तो किरण बेदी पर एयर टिकट की हेरा-फेरी का आरोप लगा दिया गया और कहा जा रहा है कि वो इस कांड में काफी समय से लिप्त हैं, लेकिव सवाल यह है कि अगर वो काफी समय से ये काम कर रही हैं तो वो सच आज क्यों सामने लाया गया, पहले क्यों नहीं ये बात उठी?
फेसबुक और टि्वटर पर तो जैसे लोगों की प्रतिक्रियाओं की बाढ़ सी आ गयी है। आरटीओ में काम करने वाले कर्मचारी इलाहाबाद के सुरेश सिंह ने लिखा है कि आज अन्ना और अन्ना टीम का आंदोलन बहुत आगे निकल चुका है, कहीं ना कहीं लोग इस आंदोलन से पूरी तरह जुड़ चुके हैं, चाहे इसके पीछे अन्ना प्रेम हो या भ्रष्टाचार से मुक्ति लेकिन सच यही है कि देश की जनता आज भ्रष्टाचार के दीमक के निजात चाहती हैं। अगर वाकई में कुछ लोग ये सोचते हैं कि अन्ना के आंदोलन और अन्ना की टीम को तोड़ने से ये लड़ाई खत्म हो जायेगी तो शायद वो गलत हैं क्योंकि आप एक टीम को तोड़ सकते हैं, एक अन्ना की आवाज दबा सकते हैं लेकिन भारत में तो घर-घर में अन्ना हैं, इसलिए कितनों को भ्रष्ट साबित करेगें।
गौरतलब है कि इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक किरण बेदी के ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है। साल 1979 में देश के सम्मान वीरता पुरस्कार से सम्मानित की जा चुकी किरण बेदी को तब से ही एयर इंडिया की ओर से इकोनॉमी क्लास के किराए में 75 फीसदी की छूट मिलती है। लेकिन उनके ऊपर आरोप लगा है कि किरण बेदी किसी भी एनजीओ कार्यक्रम और सेमिनार में शामिल होने के लिए जाती हैं तो वहां के आयोजकों और कार्यक्रम वालों से पूरे वैसे वसूलती हैं। उनके ऊपर ये भी आरोप लगा है कि वो इकोनॉमी क्लास में सफर करके वह आयोजकों से बिजनेस क्लास का किराया मांगती हैं। जिसके जवाब में किरण बेदी ने कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है।