दंगाईयों के दिमाग में होता है केमिकल लोचा
आगे की बात करने से पहले आपको बताते चलें कि रविवार की सुबह से रुद्रपुर दंगे की आग में झुलस रहा है। बहुत प्रयास के बाद भी पुलिस दंगाइयों पर काबू नहीं कर पा रही हैं। ऐसे में एक अध्यन की बात करें तो वैज्ञानिकों ने यह पाया है कि जो लोग दंगा करते हैं, उनमें ब्रेन केमिकल का स्तर कम होता है। यह केमिकल आवेशी व्यवहार को नियंत्रित रखता है। हालांकि कुछ लोगों में न्यूरोट्रांसमीटर गाबा कम होता है। यही वजह है कि ये अपना आवेशपूर्ण व्यवहार नियंत्रित नहीं रख पाते और दंगे जैसी हरकतों पर उतारू हो जाते हैं।
बायोलॉजिकल सोसाइटी की पत्रिका में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार कार्डिफ विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने आवेशी व्यवहार और न्यूरोट्रांसमीटर गाबा के संबंधों पर अध्ययन किया। इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि, जिनके दिमाग में गाबा की कमी होती है, वह जल्दी उत्तेजित हो जाते हैं और खुद पर नियंत्रण नहीं रख पाते। आपको बताते चलें कि गाबा वह रसायन है, जो दिमाग में न्यूरॉन के अंदर एक सिग्नल प्रवाहित करने का काम करता है। यह वही रसायन है जो मनुष्य के दिमाग को अच्छे और गलत का निर्णय करने योग्य बनाता है। इसके साथ ही यह रसायन यह भी तय करता है कि मनुष्य को कब और किस प्रकार का व्यवहार करना चाहिए।
शोधकर्ताओं ने अपने शोध के लिये कार्डिफ विश्वविद्यालय के 30 छात्रों का ब्रेन स्कैनिंग किया। इन छात्रों से कुछ ऐसे भी सवाल पूछे गये जिसे सुनते ही वह उत्तेजन की चरम सीमा पर पहुंच जायें। इस शोध में पाया गया कि जिन छात्रों में गाबा की कमी थी वो जल्द उत्तेजित और बेकाबू हो गये। वहीं दूसरे छात्र ना ही जल्दी उत्तेजित हुए और ना ही बेकाबू हुए। इस शोध के दौरान वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि जिनके दिमाग में गाबा की कमी होती है वह आसानी से ड्रग्स और नशा करने को तैयार हो जाते हैं।
लंदन के शोधकर्ताओं ने अपने शोध के लिए विश्वविद्यालय के 30 छात्रों विशेष मानसिक स्कैन किया। इन छात्रों से कुछ विशेष उत्तेजित करने वाले सवाल भी पूछे गए। इसमें पाया कि जिन छात्रों में गाबा की कमी थी वो जल्दी उत्तेजित और बेकाबू हो जाते थे। वहीं दूसरे छात्र जल्दी उत्तेजित भी नहीं होते और अपनी भावनाओं पर काबू भी आसानी से रख ले रहे थे। वैज्ञानिकों ने पाया कि जिन लोगों में गाबा की कमी थी वो आसानी से ड्रग्स और नशा करने को भी राजी हो जाते हैं। मुख्य शोधकर्ता डॉ. फ्रेडरिक बॉय ने पत्रिका में कहा है कि अब यह साफ हो चुका है कि जटिल व्यवहार करने वाले लोगों के पीछे आनुवांशिक, रसायनिक, सामाजिक और पर्यावरणीय कारक जिम्मेदार होते हैं।