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दंगाईयों के दिमाग में होता है केमिकल लोचा

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Chemical imbalance leads people towards riots
अंकुर कुमार श्रीवास्‍तव की रिपोर्ट- मशहूर शायर डॉक्‍टर बशीर बद्र ने शायद सच ही कहा है कि 'लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में, तुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में।' रविवार को उत्‍तराखंड के सबसे शांति प्रिय शहर रुद्रपुर ने रुद्र रूप ले लिया और कई लोगों की रोजी रोटी का सहारा आग की भेट चढ़ गई। गांधी जयंती यानी अहिंसा दिवस के दिन दंगाईयों ने खून की जो होली खेली उसने देश की भाई-चारा नीति पर स्‍याह उछाल दी। मगर क्‍या आपने कभी सोचा है, आखिर ऐसा क्‍या होता है जो कुछ घंटों पहले तक एक आदमी का जीवन जी रहा इंसान दंगे पर उतारु हो जाता है। नहीं, तो आईए हम आपको बताते हैं। दरअसल दिमाग में केमिकल डिसबैलेंस के चलते आम आदमी उग्र होकर दंगा करता है। सीधे शब्‍दों में कहें तो दंगाईयों के दिमाग में केमिकल लोचा होता है।

आगे की बात करने से पहले आपको बताते चलें कि रविवार की सुबह से रुद्रपुर दंगे की आग में झुलस रहा है। बहुत प्रयास के बाद भी पुलिस दंगाइयों पर काबू नहीं कर पा रही हैं। ऐसे में एक अध्‍यन की बात करें तो वैज्ञानिकों ने यह पाया है कि जो लोग दंगा करते हैं, उनमें ब्रेन केमिकल का स्‍तर कम होता है। यह केमिकल आवेशी व्यवहार को नियंत्रित रखता है। हालांकि कुछ लोगों में न्यूरोट्रांसमीटर गाबा कम होता है। यही वजह है कि ये अपना आवेशपूर्ण व्यवहार नियंत्रित नहीं रख पाते और दंगे जैसी हरकतों पर उतारू हो जाते हैं।

बायोलॉजिकल सोसाइटी की पत्रिका में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार कार्डिफ विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने आवेशी व्यवहार और न्यूरोट्रांसमीटर गाबा के संबंधों पर अध्ययन किया। इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि, जिनके दिमाग में गाबा की कमी होती है, वह जल्‍दी उत्‍तेजित हो जाते हैं और खुद पर नियंत्रण नहीं रख पाते। आपको बताते चलें कि गाबा वह रसायन है, जो दिमाग में न्यूरॉन के अंदर एक सिग्नल प्रवाहित करने का काम करता है। यह वही रसायन है जो मनुष्‍य के दिमाग को अच्‍छे और गलत का निर्णय करने योग्‍य बनाता है। इसके साथ ही यह रसायन यह‍ भी तय करता है कि मनुष्‍य को कब और किस प्रकार का व्‍यवहार करना चाहिए।

शोधकर्ताओं ने अपने शोध के लिये कार्डिफ विश्‍वविद्यालय के 30 छात्रों का ब्रेन स्‍कैनिंग किया। इन छात्रों से कुछ ऐसे भी सवाल पूछे गये जिसे सुनते ही वह उत्‍तेजन की चरम सीमा पर पहुंच जायें। इस शोध में पाया गया कि जिन छात्रों में गाबा की कमी थी वो जल्‍द उत्‍तेजित और बेकाबू हो गये। वहीं दूसरे छात्र ना ही जल्‍दी उत्‍तेजित हुए और ना ही बेकाबू हुए। इस शोध के दौरान वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि जिनके दिमाग में गाबा की कमी होती है वह आसानी से ड्रग्‍स और नशा करने को तैयार हो जाते हैं।

लंदन के शोधकर्ताओं ने अपने शोध के लिए विश्वविद्यालय के 30 छात्रों विशेष मानसिक स्कैन किया। इन छात्रों से कुछ विशेष उत्तेजित करने वाले सवाल भी पूछे गए। इसमें पाया कि जिन छात्रों में गाबा की कमी थी वो जल्दी उत्तेजित और बेकाबू हो जाते थे। वहीं दूसरे छात्र जल्दी उत्तेजित भी नहीं होते और अपनी भावनाओं पर काबू भी आसानी से रख ले रहे थे। वैज्ञानिकों ने पाया कि जिन लोगों में गाबा की कमी थी वो आसानी से ड्रग्स और नशा करने को भी राजी हो जाते हैं। मुख्य शोधकर्ता डॉ. फ्रेडरिक बॉय ने पत्रिका में कहा है कि अब यह साफ हो चुका है कि जटिल व्यवहार करने वाले लोगों के पीछे आनुवांशिक, रसायनिक, सामाजिक और पर्यावरणीय कारक जिम्मेदार होते हैं।

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English summary
Rudrapur, the industrial town of Uttarakhand was today brought under curfew following widespread clashes between two communities that left three people dead and scores of others injured. Do you know the reason behind these sort of unexpected activities. Chemical imbalance in brain leads people for this cause.
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