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पहले से ज्‍यादा बेहाल कर सकता है 'रिसेशन'

By Ajay Mohan
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नई दिल्‍ली। अमेरिका में आयी आर्थिक मंदी के बादल लगातार गहराते जा रहे हैं। वित्‍त मंत्री प्रणब मुखर्जी चाहे कुछ भी कहें, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अगर मंदी आयी तो 2008 की मंदी से ज्‍यादा बेहाल कर देने वाली होगी। इसका प्रभाव सबसे ज्‍यादा नौकरी पेशे वालों पर पड़ेगा। साथ ही इसका असर तकनीकी और बीपीओ क्षेत्र को हो सकता है।

अमेरिका की आरडीक्‍यू इक्‍नॉमिक्‍स के वरिष्‍ठ अर्थशास्‍त्री कोनराड डीक्‍वाड्रोस का कहना है कि अगर अमेरिका की अर्थ व्‍यवस्‍था समय पर नहीं संभल पायी तो आने वाली आर्थिक मंदी यानी रिसेशन पिछले रिसेशन से ज्‍यादा खतरनाक होगा। इसका सबसे ज्‍यादा प्रभाव अमेरिका और कुछ यूरोपीय देशों पर पड़ेगा।

पिछले रिसेशन के दौरान कुछ विकल्‍प खुले थे, जिस वजह से मल्‍टीनेशनल कंपनियां बहुत ज्‍यादा प्रभावित नहीं हुई थीं। लेकिन इस बार विकल्‍पों का मिलना मुश्किल होगा। निजी कंपनियों में काम कर रहे लोगों का वेतन कट सकता है, वेतन वृद्धि रुक सकती है, जिन कंपनियों ने भारी कर्ज लिया है वो परेशानी में पड़ सकती हैं।

अमेरिका की बात करें तो राष्‍ट्रपति बराक ओबामा ने देश से सचेत रहने के लिए कहा है। ओबामा ने 'अर्जेंट मिशन' के अंतर्गत अर्थ व्‍यवस्‍था को तेजी से बढ़ाने और ज्‍यादा से ज्‍यादा नौकरियां सृजित करनी होंगी। सभी को कड़ी मेहनत करनी होगी, ताकि जल्‍द से जल्‍द अमेरिका इस मंदी से उबर सके। अब अगर पिछले रिसेशन से तुलना की जाये तो उस दौरान अमेरिका में बेरोजगारी का औसत 5 प्रतिशत था, जो अब 9 प्रतिशत है। वहीं तब से अभी तक नौकरियों में बढ़ोत्‍तरी के बजाये 5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है।

कई अमेरिकी कं‍पनियों ने अभी से ही अतिरिक्‍त शिफ्ट में काम करने के लिए कर्मचारियों से तैयार रहने के लिए कहा गया है। कंपनियों ने अभी से ज्‍यादा से ज्‍यादा लाभ कमाने के लिए प्‍लान बनाने शुरू कर दिये हैं। अर्थशास्त्रियों की मानें तो इस बार कंज्‍यूमर बेस्‍ड प्रॉडक्‍ट पर सबसे ज्‍यादा प्रभाव पड़ सकता है। अनुमान है कि स्‍टैंडर्ड एंड पूअर्स नाम की कंपनी का कहना है कि एशिया-पैसिफिक में इस मंदी का काफी बुरा असर पड़ सकता है।

सबसे खराब बात यह है कि एशियाई देशों पर अगर प्रभाव पड़ा तो वो काफी गहरा और लंबे समय तक चलने वाला होगा। हालांकि यहां भारत का नाम नहीं लिया गया है। एस एंड पी के मुताबिक कंपनियों व देशों के लिए ऋण लेना महंगा हो सकता है। वैसे भी 2008 की मंदी के बाद से कई देशों की हालत पहले ही खराब चल रही है।

English summary
Standard & Poor's, whose rating downgrade of the US has created mayhem in markets worldwide, today warned that Asia-Pacific economies, including India, might face a deeper and prolonged impact if the global economy suffers a renewed slowdown.
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