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महिलाओं का गर्भपात हराम है : देवबंद

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अपने तानाशाही रवैये के लिए मशहूर दारूल उलूम ने अपने नये फतवे से सनसनी पैदा कर दी है। ताजा फतवा महिलाओं के मां बनने से संबधित है। इस फतवे के मुताबिक कोई महिला तभी अपना गर्भपात करा सकती है जब हकीम साहब या कोई मुस्लिम डॉक्टर साहब इसकी इजाजत दें। और तो और इस फतवे ने उस गर्भपात को हराम करार दिया है जो कि गर्भ के तीन महीने के बाद कराया गया है।

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देवबंद ने ये फतवा एक सवाल के जवाब में जारी किया है, जिसमें पूछा गया था कि उस दंपति को दो बच्चे है। उनका छोटा बच्चा 11 महीने का है जिसकी वजह से वो अभी तीसरे बच्चे की देखभाल करने में सक्षम नहीं है। उसकी बीवी की शारीरिक हालत ऐसी नहीं है कि वो बच्चा पैदा करें ऐसे में क्या उसकी बीवी गर्भपात करा सकती है।

देवबंद का जवाब था कि अगर कोई मुस्लिम डाक्टर इस बात का समर्थन करता है तो ऐसा हो सकता है अन्यथा महिलाओं द्वारा गर्भपात कराना उनकी नजर में हराम औऱ अनैतिक है। हालाकि देवबंद की इस बात पर मुस्लिम महिला डॉक्टर ने एतराज जताया है कि कोई भी डॉक्टर गर्भपात की सलाह तभी देता जब वो जान जाता है कि मरीज यानी औरत गर्भ सहने के लायक नहीं है। इस बात को कोई डाक्टर ही बेहतर समझ सकता है। हकीम इस बारे में कुछ नहीं कर सकते हैं।

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English summary
From now on, ask a ''holyMuslim doctor'' before you go for an abortion, the Darul Uloom-Deoband has ruled in its latest fatwa.The highest Muslim school has ruled, "If a holy Muslimdoctor advises that a woman is unable to bear birth pangs,then a less than three months old pregnancy can be terminatedbut if it is more than three months old, the abortion isabsolutely unlawful".
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