'आदर्श' इमारत को 3 माह में ढहाने का आदेश
नई दिल्ली/मुम्बई। केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री जयराम रमेश ने रविवार को अपने अंतिम आदेश में मुम्बई की आदर्श हाउसिंग सोसायटी इमारत को तीन माह के भीतर गिराने की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि सोसायटी के निर्माण में तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) नियमों और मानदंडों का उल्लंघन किया गया। इस बीच सोसायटी ने कहा कि इस आदेश को अदालत में चुनौती दी जाएगी।
महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्री संजय देवताले ने कहा कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के आदेश की प्रति मिलने के बाद फैसला किया जाएगा कि इस मसले पर क्या करना है। उन्होंने कहा कि आदेश की प्रति मिलते ही जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा।रमेश ने अपने 29 पृष्ठों के आदेश में कहा कि मुम्बई के कोलाबा क्षेत्र के ब्लॉक-6, बैकवे रिक्लेमेशन एरिया में बना 31 मंजिला अवैध ढांचा पूरी तरह ढहा दिया जाना चाहिए और इस इलाके को इसकी पूर्व स्थिति में लाया जाना चाहिए।
आदेश में कहा गया है, "यह आदेश प्राप्त करने के तीन महीने के भीतर इसका पालन न होने की सूरत में मंत्रालय इस निर्देश को लागू करने और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 की धारा 15 के तहत कार्रवाई करने के लिए बाध्य होगा।"मुम्बई के कोलाबा में यह 31 मंजिली इमारत पूर्व में छह मंजिली बनाई जानी थी। इस इमारत में कारगिल युद्ध के जांबाजों और उनके परिजनों को आवास दिए जाने थे लेकिन बाद में इसमें अतिरिक्त मंजिलें जोड़कर इसे 31 मंजिला बना दिया गया।
सीआरजेड के तहत तटीय इलाके में किसी भी निर्माण से पहले अनुमति लेनी होती है। मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा है कि आदर्श सोसायटी ने सीआरजेड अधिसूचना 1991 के तहत आवश्यक पूर्वानुमति नहीं ली थी।आदेश के मुताबिक मंत्रालय ने तीन विकल्पों पर विचार किया-पूरे ढांचे को गिरा दिया जाए, क्योंकि वह अवैध है, ढांचे के अतिरिक्त हिस्सों को ढहा दिया जाए तथा सरकार को सार्वजनिक इस्तेमाल के लिए इस इमारत पर कब्जा करने को कहा जाए।
आदेश में कहा गया है कि बाद वाले दोनों विकल्प नामंजूर कर दिए गए क्योंकि ऐसा किया जाना तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) अधिसूचना, 1991 का उल्लंघन होता।रमेश ने नई दिल्ली में कहा, "तथ्यों, परिस्थितियों, विचार-विमर्श, विचारों, दलीलों और आदर्श कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी के दस्तावेज के विश्लेषणों पर गौर करते हुए मैंने इस इमारत को ढहाने का विकल्प चुना है।"
इससे
पहले
गत
नवम्बर
में
सोसायटी
को
नोटिस
जारी
कर
पूछा
गया
था
कि
क्यों
न
इमारत
में
अवैध
तौर
पर
बनाई
गई
मंजिलें
ढहा
दी
जाएं।
दूसरी
ओर,
आदर्श
सोसायटी
के
वकील
सतीश
मानेशिंदे
ने
कहा
कि
पर्यावरण
मंत्रालय
ने
यह
फैसला
जल्दबाजी
में
लिया
है
और
वह
इसके
खिलाफ
अदालत
जाएंगे।
समाचार चैनल एनडीटीवी से बातचीत में मानेशिंदे ने कहा, "आदेश का जो तात्पर्य है वह अनुचित है और वे इसे अदालत में चुनौती देंगे।"मानेशिंदे ने कहा, "मुझे अंदेशा था कि मंत्रालय ऐसा ही आदेश पारित करेगा, क्योंकि आदेश का मसौदा गुरुवार और शुक्रवार को ही मीडिया के समक्ष जाहिर कर दिया गया था जो कि पूरी तरह गलत और अवैधानिक है। बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया के रविवार को जिस तरह आदेश पारित किया गया, मैं महसूस करता हूं कि यह दुर्भावना से प्रेरित है। आदेश की प्रति मिलते ही हम इसे अदालत में चुनौती देंगे।"
वैधानिक विकल्पों के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, "पहला वैधानिक विकल्प है उच्च न्यायालय में अपील करना। अगली रणनीति सोसायटी तय करेगी। मैं आदेश की प्रति देखने के बाद उन्हें सलाह दूंगा। अभी यह कहना जल्दबाजी होगा कि हम क्या करने जा रहे हैं।"उधर महाराष्ट्र के निलंबित मुख्य सूचना आयुक्त रामानंद तिवारी ने आदर्श हाउसिंग घोटाला मामले में खुद को निर्दोष बताते हुए रविवार को कहा कि राज्यपाल के. शंकरानारायण ने उन्हें इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा है।
तिवारी ने कहा, "मैं राज्यपाल से मिला। उन्होंने मरी बातों को धैर्यपूर्वक सुना। मैंने उनके समक्ष अपना पक्ष रखा और कहा कि मैं जांच के लिए तैयार हूं।"तिवारी ने आदर्श घोटाले का मुख्य आरोपी होने से इंकार करते हुए कहा कि वह राज्य सरकार द्वारा जारी निलंबन के आदेश को चुनौती देंगे।
महाराष्ट्र शहरी विकास विभाग (यूडीडी) के प्रमुख रहे तिवारी ने कहा कि आदर्श की फाइल स्वीकृति के लिए उनके समक्ष नहीं लाई गई थी।उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "मैंने अपने कार्यकाल के दौरान शहरी विकास विभाग की ढेर सारी फाइलों का निष्पादन किया, लेकिन आदर्श सोसायटी के मामले में भूमि आरक्षण एवं हस्तांतरण को स्वीकृति देने का फैसला राज्य सरकार ने लिया, मैंने नहीं।"
ज्ञात हो कि महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने 11 जनवरी को आदर्श सोसायटी घोटाला में संलिप्तता के आरोप में तिवारी को पद से हटाने की संस्तुति की थी।इसके अलावा सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम की धारा 17 के तहत उचित कार्रवाई करने का एक प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा गया था।
भारतीय
प्रशासनिक
सेवा
के
पूर्व
अधिकारी
तिवारी
पर
आरोप
है
कि
उन्होंने
आदर्श
सोसायटी
से
सम्बंधित
महत्वपूर्ण
सूचना
सोसाइटी
के
सदस्य
कुछ
राजनेताओं
एवं
नौकरशाहों
को
दी
थी।
इतना
ही
नहीं,
सोसायटी
के
एक
फ्लैट
का
मालिक
उनके
पुत्र
ओमकार
भी
हैं।उल्लेखनीय
है
कि
इस
मामले
में
महाराष्ट्र
के
तत्कालीन
मुख्यमंत्री
अशोक
चव्हाण
को
नौकरशाहों
और
राजनीतिज्ञों
के
बीच
साठगांठ
के
आरोपों
के
कारण
पद
छोड़ना
पड़ा
था।