भरतपुर अभयारण्य में अंतत: पहुंचेगा पानी
जयपुर, 28 अगस्त (आईएएनएस)। राजस्थान में भरतपुर अभयारण्य पानी की भारी कमी के चलते अपने मेहमान पक्षियों की मेजबानी खो रहा था लेकिन एक बांध से अभयारण्य के लिए पानी छोड़ने के सरकार के फैसले से एक बार फिर उसके मेहमानों की तादाद बढ़ने की उम्मीद जिंदा हो गई है।
हालात की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने शुक्रवार को करौली जिले के पंछना बांध से अभयारण्य के लिए पानी छोड़ा। इस अभयारण्य को 'केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान' या 'घाना अभयारण्य' के नाम से भी जानते हैं। यह अभयारण्य पक्षियों के 370 प्रजातियों का ठौर है और पानी की कमी के पहले यहां 375 तरह के फूलों के पौधे पाए जाते थे।
गौरतलब है कि अभयारण्य में पिछले दो-तीन सालों से पानी की भारी कमी चल रही है। इससे यहां पाए जाने वाले विभिन्न पौधों के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया था। पानी के अभाव के चलते मेहमान पक्षियों का आना भी कम हो गया था। अभयारण्य का अधिकतर हिस्सा सूखा प्रभावित है।
जल विभाग के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "हमने पंछना बांध से अभयारण्य के लिए पानी छोड़ा है। गंभीर नदी के माध्यम से अभयारण्य तक पानी चार सितंबर तक पहुंच जाएगा।"
पार्क, गंभीर और वाणगंगा नदी के संगम पर स्थित है और इसके लिए हर साल 500 से 550 क्यूसेक पानी की आवश्यकता होती है।
इससे पहले, भी अभयारण्य को पंछना बांध से पानी मिलता रहा है। करौली जिले में बारिश की कमी और किसानों के भारी विरोध के चलते दो-तीन साल से बांध से अभयारण्य के लिए पानी छोड़ना बंद कर दिया गया था।
अभयारण्य में जलीय पारिस्थितिकीय जीवों की सुरक्षा को लेकर पर्यावरणीय और सामाजिक संगठनों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से अनुरोध किया था।
संगठनों को डर था कि अगर अभयारण्य में पानी नहीं छोड़ा गया तो मेहमान पक्षियां यहां आना बंद कर देंगी।
एक गैर सरकारी संगठन 'पीपुल्स फॉर एनीमल्स' (पीएफए) के राज्य प्रभारी बाबू लाल जाजू ने कहा, "सरकार ने अभयारण्य के लिए आखिरकार पानी छोड़ने की इजाजत दे ही दी।"
उन्होंने कहा, "पानी के अभाव में बहुत से पक्षी अभयारण्य छोड़ रहे थे और अपने लिए नए घरौंदे की तलाश कर रहे थे। इसकी वजह से इस इलाके में पक्षियों की तादाद में कमी आ गई थी। लेकिन अब हम भरतपुर में मेहमान पक्षियों को फिर से देख सकते हैं।"
इंडो-एशियन न्सूज सर्विस।