ब्लैकबेरी को 31 अगस्त तक मिली मोहलत (राउंडअप)
सरकार ने कहा है कि ब्लैकबेरी को अपनी सेवाओं के जरिए होने वाले संचार को सुरक्षा एजेंसियों को उसी तरह उपलब्ध कराना होगा जैसा कि अन्य फोन सेवाओं और एसएमएस सेवाओं में उपलब्ध होता है।
गृहसचिव जी. के. पिल्लै की अध्यक्षता में हुई एक बैठक के बाद गृहमंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, "यदि 31 अगस्त तक कंपनी ने तकनीकी विकल्प उपलब्ध नहीं कराए तो सरकार स्थिति की समीक्षा करेगी और कंपनी की उन दो सेवाओं को प्रतिबंधित करने के कदम उठाएगी जो परिवर्तित भाषा में संदेश प्रसारित करती हैं।"
सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों के साथ हुई इस बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया, "बैठक में इस तथ्य को रेखांकित किया गया कि ब्लैकबेरी अपनी ध्वनि, एसएमएस और बीआईएस (इंटरनेट सेवा) सेवाओं को सुरक्षा एजेंसियों को उपलब्ध करा रही है।"
अधिकारियों ने कहा कि ब्लैकबेरी सामान्य ध्वनि और एसएमएस सेवाओं की विषय वस्तु अन्य मोबाइल फोन सेवाओं की तरह सुरक्षा एजेंसियों के लिए उपलब्ध हैं। कंपनी की यह सेवाएं प्रतिबंध से प्रभावित नहीं होंगी।
गृहमंत्रालय का यह बयान रिसर्च इन मोशन के अधिकारियों के एक दल की गृहमंत्री पी. चिदंबरम से मुलाकात के कुछ देर बाद आया है।
आरआईएम के उपाध्यक्ष रॉबर्ट क्रो से मुलाकात के बाद नार्थ ब्लॉक स्थित अपने कार्यालय में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए चिदंबरम ने कहा, "यह केवल एक शिष्टाचार भेंट थी।"
वहीं दूसरी ओर गृह सचिव जी. के. पिल्लै की अध्यक्षता में हुई एक अन्य बैठक में इंटेलिजेंस ब्यूरो, दूरसंचार विभाग, राष्ट्रीय तकनीकी शोध संस्थान और गृह मंत्रालय के अधिकारी शामिल हुए।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, "आरआईएम की ओर से किसी तरह का सहयोग नहीं किया गया है। वह एक बात को घुमा फिरा रहे हैं इसलिए हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। देश की सुरक्षा के साथ किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जा सकता।"
सरकार ने स्पष्ट किया है कि उसका इरादा ब्लैकबेरी की निजी संदेशों वाली सेवाओं की निजता भंग करने का नहीं है बल्कि वह इन सेवाओं का दुरुपयोग रोकना चाहती है। सरकार सुनिश्चित करना चाहती है कि इनका उपयोग आतंकवादी और उग्रवादी न करें।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।